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Resentment Over Ticket In Kota Congress: नाराज देहात जिलाध्यक्ष सरोज मीणा समेत 10 से अधिक पदाधिकारियों ने दिए इस्तीफे

राजस्थान के 4 जिलों में होने वाले जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के चुनाव के लिए नामांकन का आज (Last date of nomination for Zilla Parishad and Panchayat Samiti Member) आखिरी दिन है. नामांकन के आखिरी दिन तक भी बगावत के डर से कांग्रेस ने उम्मीदवारों की सूची सार्वजनिक नहीं की. इसी बीच आज कोटा देहात कांग्रेस जिलाध्यक्ष सरोज मीना ने इस्तीफा दे दिया है. साथ ही 10 से अधिक पदाधिकारियों ने भी इस्तीफे दे दिए हैं. इसमें जिला उपाध्यक्ष देहात, ब्लॉक अध्यक्ष, जिला प्रवक्ता, जिला सचिव समेत कई नेता शामिल हैं.

Resentment Over Ticket In Kota Congress
देहात जिलाध्यक्ष सरोज मीना ने दिया इस्तीफा
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Published : Dec 2, 2021, 11:16 AM IST

Updated : Dec 2, 2021, 10:44 PM IST

कोटा. जिले में पंचायती राज चुनाव के तहत 5 पंचायत समिति और जिला परिषद के चुनाव हो रहे हैं. नामांकन का आज अंतिम दिन (Last date of nomination for Zilla Parishad and Panchayat Samiti Member) है. अभी तक कांग्रेस (Rajasthan Congress) और भाजपा (Rajasthan BJP) की ओर से अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन विधायकों के जरिए कांग्रेस सिंबल का वितरण (Distribution of symbols through MLAs) कर रही है.

साथ ही विधानसभा चुनाव (Rajasthan Vidhansabha Election) में जो प्रत्याशी रहे हैं, वे भी टिकट बांट रहे हैं. इस दौरान संगठन की अवहेलना का भी आरोप लग रहा है. इसी बीच कोटा देहात से कांग्रेस जिला अध्यक्ष सरोज मीना ने इस्तीफा दे दिया (Resentment Over Ticket In Kota Congress) है.

देहात जिलाध्यक्ष सरोज मीना ने दिया इस्तीफा

पढ़ें-Rajasthan Big News : कांग्रेस पार्टी ने बनाए 13 जिला अध्यक्ष, यहां जानें किसे क्या मिली जिम्मेदारी...

इटावा पंचायत समिति से पूर्व प्रधान सरोज मीना (Saroj Meena) का कहना है कि पीपल्दा के विधायक रामनारायण मीना ने अपनी मनमर्जी चलाई है. जबकि पीसीसी को तय करना चाहिए था और संगठन के जरिए टिकट बांटने चाहिए थे. उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को टिकट दिया गया है, जिन्होंने कांग्रेस के लिए कभी काम नहीं किया है. संगठन के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं की अवहेलना हुई है. ऐसे में जब कांग्रेस चुनाव हार जाएगी तब हार का ठीकरा उनके माथे फूटेगा क्योंकि वे जिलाध्यक्ष हैं.

इस्तीफे की बताई कई वजह

सरोज मीणा ने इस्तीफे के बाद ईटीवी भारत से बातचीत की. उन्होंने तल्ख अंदाज में कहा (Resentment Over Ticket In Kota Congress) कि टिकटों के बारे में जानकारी विधायकों से ही पूछी जाए. उन्होंने ही घोषणा की है, मुझे कोई जानकारी नहीं है. मुझसे तो संगठन ने कहा था टिकट आपको बांटने है, लेकिन बाद में विधायकों को यह दे दिए हैं. इटावा में भी मेरी सहमति नहीं ली गई है. जबकि इटावा नगर पालिका में भी इसीलिए चुनाव पार्टी हार गई थी. जब पार्टी हारती है, तो हार का ठीकरा मेरे ऊपर फोड़ दिया जाएगा. मैंने अपना इस्तीफा संगठन को भेज दिया है. विधायकों ने संगठन को खत्म कर दिया है

इटावा विधायक राम नारायण मीणा ने तानाशाही रवैया अपनाया है. कुछ जगह तो मेरे टिकट को एडजस्ट किया है. मैं खुद के लिए तो कुछ नहीं मांग रही थी, कार्यकर्ताओं को दिला रही थी. जिनके भाजपा के शासन में मुकदमे लगे थे और आज तक भी मुकदमे वापस नहीं हो पाए है.

पढ़ें-Rajendra Gudha Met Maken: प्रदेश प्रभारी से मिलने के बाद दूर हुई नाराजगी, गुढ़ा सरकारी गाड़ी लेकर पहुंचे अपने क्षेत्र

विधायक के बेटे को टिकट नहीं देने पर अड़ गई थी

नाराज नेता ने एक-एक कर वजह का खुलासा किया. बोलीं कि उन्हें झुकना मंजूर नहीं था. सरोज बोलीं - मेरा यह था कि अगर विधायक के बेटे को टिकट दिया जाएगा, तो तो मैं भी चुनाव लड़ूंगी. जिसमें आधे-आधे टिकट देने होंगे. PCC ने विधायक रामनारायण मीणा के बेटे शिव (Son Of MLA Ramnarayan Meena) को टिकट देने से मना कर दिया है. इसके बाद विधायक कहते हैं कि जिलाध्यक्ष मेरे से आकर टिकट मांगे. वे मुझे झुकते और गिड़गिड़ाते देखना चाह रहे थे. मैंने ऐसा नहीं किया.

कटघरे में PCC

सरोज मीणा को दुख है कि प्रदेश कांग्रेस कमिटी यानी पीसीसी (PCC) भी पीपल्दा विधानसभा मैटर को ही नहीं सुलझा पाई. जबकि जिला अध्यक्ष की पीसीसी में बात मानी जाती है. पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा (PCC Chief Govind Singh Dotasra) ने भी मुझे आश्वासन दिया था कि इस बार मेरे साथ न्याय होगा. गोविंद सिंह डोटासरा ने भी कहा था कि आपके साथ इस बार न्याय होगा. मेरे ही गृह क्षेत्र में मेरा मान सम्मान तोड़ा गया है. दुखी होकर मैंने इस्तीफा भेज दिया है क्योंकि मैंने बड़ी मेहनत से पार्टी को खड़ा किया था. परिवार का भी साथ इसके लिए छोड़ना पड़ा था.

विधायक भरत सिंह बोले- ये तो पार्टी का काम

विधायक भरत सिंह का कहना है कि सूची अभी जारी नहीं हुई है. जब सभी को सिंबल अलॉट (Symbol Allotment After Nomination) हो जाएंगे. तब ही जारी मानी जाएगी, पर्चा दाखिल करने के दौरान भीड़ इकट्ठी नहीं हो इसलिए हमने लोगों को बता दिया कि वह अपना नामांकन भर कर आ जाएं, इसके बाद उनके सिंबल पहुंचा दिए जाएंगे.

मेरे पास प्रभारी आए थे, लेकिन मैंने मना कर दिया था. मैंने कहा जिला अध्यक्ष को यह सिंबल दीजिए. अपने हिसाब से उस प्रोसेस को कंप्लीट कर देंगे. प्रभारी का कहना है कि उन्हें निर्देश दिए गए हैं कि सिंबल विधायक को ही दिया जाए. इसीलिए मेरे विधानसभा क्षेत्र की दो पंचायतों के सिंबल मुझे देकर गए. मैंने सिंबल की खाली फॉर्म ब्लॉक अध्यक्ष कुशल पाल सिंह का पानाहेड़ा को मैंने भेज दिया. जहां से उन्हीं फाइनल करने के लिए कहा है. टिकट बांटना संगठन का काम है. हमारे एरिया में मैंने इसकी पालना करवाई है.

कोटा. जिले में पंचायती राज चुनाव के तहत 5 पंचायत समिति और जिला परिषद के चुनाव हो रहे हैं. नामांकन का आज अंतिम दिन (Last date of nomination for Zilla Parishad and Panchayat Samiti Member) है. अभी तक कांग्रेस (Rajasthan Congress) और भाजपा (Rajasthan BJP) की ओर से अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन विधायकों के जरिए कांग्रेस सिंबल का वितरण (Distribution of symbols through MLAs) कर रही है.

साथ ही विधानसभा चुनाव (Rajasthan Vidhansabha Election) में जो प्रत्याशी रहे हैं, वे भी टिकट बांट रहे हैं. इस दौरान संगठन की अवहेलना का भी आरोप लग रहा है. इसी बीच कोटा देहात से कांग्रेस जिला अध्यक्ष सरोज मीना ने इस्तीफा दे दिया (Resentment Over Ticket In Kota Congress) है.

देहात जिलाध्यक्ष सरोज मीना ने दिया इस्तीफा

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इटावा पंचायत समिति से पूर्व प्रधान सरोज मीना (Saroj Meena) का कहना है कि पीपल्दा के विधायक रामनारायण मीना ने अपनी मनमर्जी चलाई है. जबकि पीसीसी को तय करना चाहिए था और संगठन के जरिए टिकट बांटने चाहिए थे. उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को टिकट दिया गया है, जिन्होंने कांग्रेस के लिए कभी काम नहीं किया है. संगठन के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं की अवहेलना हुई है. ऐसे में जब कांग्रेस चुनाव हार जाएगी तब हार का ठीकरा उनके माथे फूटेगा क्योंकि वे जिलाध्यक्ष हैं.

इस्तीफे की बताई कई वजह

सरोज मीणा ने इस्तीफे के बाद ईटीवी भारत से बातचीत की. उन्होंने तल्ख अंदाज में कहा (Resentment Over Ticket In Kota Congress) कि टिकटों के बारे में जानकारी विधायकों से ही पूछी जाए. उन्होंने ही घोषणा की है, मुझे कोई जानकारी नहीं है. मुझसे तो संगठन ने कहा था टिकट आपको बांटने है, लेकिन बाद में विधायकों को यह दे दिए हैं. इटावा में भी मेरी सहमति नहीं ली गई है. जबकि इटावा नगर पालिका में भी इसीलिए चुनाव पार्टी हार गई थी. जब पार्टी हारती है, तो हार का ठीकरा मेरे ऊपर फोड़ दिया जाएगा. मैंने अपना इस्तीफा संगठन को भेज दिया है. विधायकों ने संगठन को खत्म कर दिया है

इटावा विधायक राम नारायण मीणा ने तानाशाही रवैया अपनाया है. कुछ जगह तो मेरे टिकट को एडजस्ट किया है. मैं खुद के लिए तो कुछ नहीं मांग रही थी, कार्यकर्ताओं को दिला रही थी. जिनके भाजपा के शासन में मुकदमे लगे थे और आज तक भी मुकदमे वापस नहीं हो पाए है.

पढ़ें-Rajendra Gudha Met Maken: प्रदेश प्रभारी से मिलने के बाद दूर हुई नाराजगी, गुढ़ा सरकारी गाड़ी लेकर पहुंचे अपने क्षेत्र

विधायक के बेटे को टिकट नहीं देने पर अड़ गई थी

नाराज नेता ने एक-एक कर वजह का खुलासा किया. बोलीं कि उन्हें झुकना मंजूर नहीं था. सरोज बोलीं - मेरा यह था कि अगर विधायक के बेटे को टिकट दिया जाएगा, तो तो मैं भी चुनाव लड़ूंगी. जिसमें आधे-आधे टिकट देने होंगे. PCC ने विधायक रामनारायण मीणा के बेटे शिव (Son Of MLA Ramnarayan Meena) को टिकट देने से मना कर दिया है. इसके बाद विधायक कहते हैं कि जिलाध्यक्ष मेरे से आकर टिकट मांगे. वे मुझे झुकते और गिड़गिड़ाते देखना चाह रहे थे. मैंने ऐसा नहीं किया.

कटघरे में PCC

सरोज मीणा को दुख है कि प्रदेश कांग्रेस कमिटी यानी पीसीसी (PCC) भी पीपल्दा विधानसभा मैटर को ही नहीं सुलझा पाई. जबकि जिला अध्यक्ष की पीसीसी में बात मानी जाती है. पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा (PCC Chief Govind Singh Dotasra) ने भी मुझे आश्वासन दिया था कि इस बार मेरे साथ न्याय होगा. गोविंद सिंह डोटासरा ने भी कहा था कि आपके साथ इस बार न्याय होगा. मेरे ही गृह क्षेत्र में मेरा मान सम्मान तोड़ा गया है. दुखी होकर मैंने इस्तीफा भेज दिया है क्योंकि मैंने बड़ी मेहनत से पार्टी को खड़ा किया था. परिवार का भी साथ इसके लिए छोड़ना पड़ा था.

विधायक भरत सिंह बोले- ये तो पार्टी का काम

विधायक भरत सिंह का कहना है कि सूची अभी जारी नहीं हुई है. जब सभी को सिंबल अलॉट (Symbol Allotment After Nomination) हो जाएंगे. तब ही जारी मानी जाएगी, पर्चा दाखिल करने के दौरान भीड़ इकट्ठी नहीं हो इसलिए हमने लोगों को बता दिया कि वह अपना नामांकन भर कर आ जाएं, इसके बाद उनके सिंबल पहुंचा दिए जाएंगे.

मेरे पास प्रभारी आए थे, लेकिन मैंने मना कर दिया था. मैंने कहा जिला अध्यक्ष को यह सिंबल दीजिए. अपने हिसाब से उस प्रोसेस को कंप्लीट कर देंगे. प्रभारी का कहना है कि उन्हें निर्देश दिए गए हैं कि सिंबल विधायक को ही दिया जाए. इसीलिए मेरे विधानसभा क्षेत्र की दो पंचायतों के सिंबल मुझे देकर गए. मैंने सिंबल की खाली फॉर्म ब्लॉक अध्यक्ष कुशल पाल सिंह का पानाहेड़ा को मैंने भेज दिया. जहां से उन्हीं फाइनल करने के लिए कहा है. टिकट बांटना संगठन का काम है. हमारे एरिया में मैंने इसकी पालना करवाई है.

Last Updated : Dec 2, 2021, 10:44 PM IST
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