कोटा: कृषि के क्षेत्र में लगातार नए शोध हो रहे हैं. सब्जियां भी कई वैरायटी और अलग-अलग किस्म की उगाई जाने लगी है. कोटा के एक प्रगतिशील किसान ने भी अर्जुनपुरा में लाल रंग की भिंडी का उत्पादन शुरू किया है. यह सामान्य भिंडी से ज्यादा पौष्टिक है. हालांकि इस भिंडी के उत्पादन में लागत सामान्य भिंडी से 4 गुना ज्यादा है, लेकिन इसका बाजार मूल्य भी हरी भिंडी से दोगुना है.
प्रारंभिक तौर पर तो कोटा के किसान ने केवल बीज तैयार करने के लिए ही फसल उगाई थी, जिससे हर दूसरे दिन करीब 2 किलो भिंडी का उत्पादन हो रहा है. किसान का कहना है कि अगले सीजन में उत्पादन कई गुना बढ़कर रोजाना करीब 25 से 30 किलो होगा.
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कृषि विभाग के अधिकारियों का भी कहना है कि इस भिंडी में विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट तत्व ज्यादा हैं. भिंडी का उत्पादन करने वाले प्रगतिशील किसान जय प्रकाश गहलोत का कहना है कि देशभर के प्रगतिशील किसानों का एक ग्रुप बना हुआ है, जिसमें नई तकनीक, बीज. ड्रिप व फव्वारा सिंचाई समेत तमाम जानकारियां साझा की जाती हैं.
जयप्रकाश गहलोत ने महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से इसका बीज मंगवाया है. दो रुपए का एक बीज आता है. यह सामान्य हरी भिंडी से 4 गुना महंगा है. लाल रंग होने की वजह से भिंडी के पौधों के आसपास कीट-पतंगे ज्यादा आकर्षित होते हैं. इससे नुकसान की संभावना भी बनी रहती है. कीट-पतंगों को भगाने के लिए पौधों के आसपास एक पीले रंग का बल्ब जलाकर रोशनी करनी पड़ती है. ज्यादा तापमान होने पर भिंडी के रंग पर भी असर पड़ता है. हालांकि इसको उगाने में नॉर्मल भिंडी के बराबर ही मेहनत रहती है.
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लाल रंग की भिंडी में विटामिन, मिनरल्स और प्रोटीन ज्यादा रहता है. नॉर्मल भिंडी से यह काफी ज्यादा फायदेमंद है. रंगीन सब्जियों में फाइबर की मात्रा भी ज्यादा रहती है. हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट के संयुक्त निदेशक डीके गुप्ता का कहना है कि जितनी भी कलरफुल सब्जियां होती हैं, उनमें एंटीऑक्सीडेंट और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा भी ज्यादा होती है.
जयप्रकाश गहलोत का कहना है कि नई वैरायटी होने की वजह से लोग लाल भिंडी को पसंद करते हैं. बाजार में सामान्य हरी भिंडी 30 से 35 रुपए किलो बिक रही है, जबकि लाल रंग की भिंडी के भाव 50 से 60 रुपए प्रति किलो हैं.