कोटा. शहर में दशहरा मैदान के अलावा कई इलाकों में रावण दहन का आयोजन किया जाता रहा है. वहीं आरकेपुरम में स्थानीय निवासी करीब18 सालों से खुद रावण बनाते आ रहे हैं. इस बार रावण की लंबाई करीब 60 फीट की होगी और रावण ओर उसके परिवार की ड्रेस रंग बदलती हुई नजर आएगी.
इसके साथ ही रावण की ओर भी कई तरह की खासियतें नजर आएगी. यह रावण आंखे झपकेगा, हाथ हिलाएगा और कई तरह के करतब करता नजर आएगा. लेकिन सबसे ज्यादा इस रावण की खासियत यह है कि यह है कि इसे कोई विशिष्ट कारीगर नहीं बल्कि वहां के स्थानीय लोग ही मिलकर बनाते है.
भागिरथी जन सेवा संस्थान के सचिव ने जानकारी देते हुए बताया कि करीब18 सालो से रावण और उनका परिवार बनाते आए है. सबसे पहले 20 फीट का रावण बनाया गया था जो कि अब 60 फीट तक पहुंच चुका है. उन्होंने बताया कि इस बार रावण की विशेषता यह है कि इसमें मल्टी लाइट के प्रयोग से इसको विभिन्न पोशाकों में देखा जा सकेगा.
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उन्होंने बताया कि रावण और उसके कुनबे को बनाने के लिए जनसहयोग लिया जाता है. इसे बनाने में बच्चे और बड़े दोनों बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते है. जिसके चलते ही उन्होंने भागीरथी जनसेवा संस्थान बनाई हुई है. उन्होंने बताया कि रावण ओर उसके परिवार के कुनबे बनाने में करीब दो लाख का खर्चा आता है, जो कि जनसहयोग से किया जाता है. इसमे नगर निगम का कोई सहयोग नही होता.
300 किलो अखबार की रद्दी, करीब 500 बांस, आरारोट की लेइ, सुतली, रस्सी, ओर जीआई वायर का इस्तेमाल रावण बनाने में किया जाता है. इस बार लगातार बारिश होने से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है. एक बार तो पूरा रावण का कुनबा बरसात के चलते खराब हो गया. जिसे फिर से दिनरात मेहनत कर वापस बनाया जा रहा है.