कोटा. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो कोटा की टीम ने रेलवे वर्कशॉप में कार्रवाई को अंजाम देते हुए सीनियर सेक्शन इंजीनियर को 20 हजार रुपए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया (Railway workshop SSE arrested in bribe case) है. आरोपी मुकेशचंद्र जाटव खुली नीलामी में हरे पेड़ों की कटाई और बेचान करने को लेकर ठेकेदार को परेशान नहीं करने की एवज में यह रिश्वत ले रहा था.
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कोटा एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विजय स्वर्णकार ने बताया कि मुकेश चंद्र जाटव वरिष्ठ खण्ड अभियंता (कार्य) सेकंड कार्यालय में सीनियर सेक्शन इंजीनियरिंग पद पर कार्यरत है. यह विंग रेलवे कॉलोनी के रखरखाव का कार्य करती है. इनका दफ्तर वर्कशॉप क्वार्टर के नजदीक है. इस मामले में परिवादी इमरान हुसैन और शरीफ खान ने शुक्रवार को ही परिवाद पेश किया था.
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इसमें बताया था कि फर्म हाड़ौती डिजिटल को खुली नीलामी में जुलाई में दो लाख और सितंबर में 14 लाख रुपए में हरे पेड़ों की कटाई और बेचान का ठेका मिला था. रेलवे कॉलोनी इलाके में हरे पेड़ों की कटाई करना शुरू कर दिया था, लेकिन सीनियर सेक्शन इंजीनियर जाटव इस कार्य में परेशान कर रहा था. साथ ही कटाई नहीं करने देता था. उससे बात करने पर ठेका राशि 16 लाख रुपए के तीन फीसदी के अनुसार 50 हजार रुपए की मांग कर रहा था.
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इस संबंध में परिवादी 5-5 हजार रुपए की राशि दो बार पहले दे चुका है. शिकायत के बाद परिवार का सत्यापन करवाया, जिसमें आरोपी जाटव के रिश्वत मांगने की पुष्टि हो गई. इसमें 20 हजार रुपए शुक्रवार और शेष 20 हजार बाद में लेने पर सहमति बनी. शुक्रवार को परिवादी से आरोपी एसएसई जाटव 20 हजार रुपए लेते पकड़ा गया. इसके बाद एसीबी की टीम ने उसके कोटा स्थित निवास पर भी तलाशी शुरू कर दी है.
रिश्वतखोर जाटव के कारनामे सोशल मीडिया पर हुए थे उजागर- सीनियर सेक्शन इंजीनियर महेश चंद्र जाटव के रिश्वत मांगने के चर्चे सोशल मीडिया पर भी उजागर हो रहे हैं. जिसमें सोशल मीडिया के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रेल मंत्री और पश्चिम मध्य रेलवे के जनरल मैनेजर तक को भी टैग करके शिकायत की गई थी. शिकायत में एक व्यक्ति ने अपने आपको रेलवे कांट्रेक्टर बताया था, जिसका अकाउंट पुनीत अरोड़ा के नाम से बना हुआ है. साथ ही एसएसई जाटव के सभी संवेदकों से रिश्वत मांगने की बात कही है.
बिल बनाने की एवज में रिश्वत मांगने की शिकायत की गई है. छोटे और नए ठेकेदारों को ज्यादा परेशान करने के बाद भी लिखी है. इसमें मकान बनाने के लिए रिश्वत और ठेकेदार से मोबाइल लेना, इस मोबाइल का बिल भी ठेकेदार के नाम से ही होने का जिक्र किया गया है. हालांकि, इस शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी. अभी भी जाटव उसी पद पर कार्यरत थे, जहां पर वह रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार हुए हैं.