कोटा. 8 नवबंर को नोटबंदी को 3 साल हो जाएगे. लेकिन कोटा मं आज भी प्रॉपर्टी मार्केट इससे उभर नहीं पाया है. हालात ऐसे हैं कि नगर विकास न्यास ने कोटा में कई कॉलोनियों में अपनी प्लानिंग की दरों को कम कर दिया है. यहां तक कि 25 से 30 फीसदी कटौती के बावजूद इन कॉलोनियों में प्लॉट नहीं बिक रहे हैं. इनमें शहर के पॉश एरिया श्रीनाथपुरम व आरके पुरम भी शामिल है.
इसके साथ ही सुभाष नगर, रंगबाड़ी विस्तार योजना, टैगोर नगर, विवेकानंद नगर, स्वामी विवेकानंद योजना, रानी लक्ष्मीबाई आवास योजना, अन्तपुरा, मुकंदरा सहित कई जगह पर यूआईटी की प्लानिंग की हालत खराब है. पहले जहां पर यूआईटी को रोज एक करोड़ रुपए का रेवेन्यू मिल रहा था. जो घटकर सप्ताह में दो से तीन करोड़ ही रह गया है. मात्र 5 से 6 भूखंड ही यूआईटी के सप्ताह भर में नीलाम हो रहे हैं.
कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री का काम ठप
बिल्डर मनोज जैन आदिनाथ का कहना है कि उनके पहले जहां पर चार से पांच प्रोजेक्ट हर समय चालू रहते थे. आज हालात ऐसे हैं इक्का-दुक्का प्रोजेक्ट ही चालू है. जिनमें भी मंदी की मार है. उन्होंने कहा कि लेबर का भुगतान भी पिछले 3 साल से नहीं हो पाया है. साथ ही इस मंदी के चलते कई लेबर को घर भी बैठना पड़ा है. उनका यह भी कहना है कि दोहरी मार पड़ी है. मजदूरी भी नहीं बढ़ी और काम भी कम हो गया है. इसका सामना पूरे कंट्रक्शन इंडस्ट्री को करना पड़ा है.
80 फीसदी ठप प्रॉपर्टी व्यवसाय, जिस दर में खरीदे थे उसमें भी नहीं बिक रहे
प्रॉपर्टी व्यवसायी गणेशराम मीणा कहते हैं कि 3 साल पहले जब नोटबंदी नहीं हुई थी तो प्रॉपर्टी का व्यवसाय सर्वोच्च उठान पर था. शहर के हर एरिया में नई-नई कॉलोनियां काटी जा रही थी और लोग इन्वेस्टमेंट के लिए भी प्लॉट व मकान खरीद रहे थे. अब हालात ऐसे हैं कि जो 3 साल पहले दाम थे, उससे 50 फ़ीसदी गिर गए हैं. हमें खरीदे हुए प्लॉट की मूल दरें भी नहीं मिल पा रही है, 80 फ़ीसदी व्यापार ठप है. अधिकांश प्रॉपर्टी व्यवसायी योने तो इस धंधे को ही छोड़ दिया और दूसरे व्यवसाय से जुड़ गए हैं. पिछले 3 साल में कोई नई प्लानिंग नहीं काटी गई है.
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जिसको जरूरत वो ही बना रहा मकान
बिल्डिंग मटेरियल सप्लायर रमेश प्रजापति का कहना है कि उनका व्यापार भी 25 से 30 फीसदी प्रभावित हुआ है. निर्माण कार्य ठप होने से अब सीमेंट, मार्बल, पत्थर, ईंट, गिट्टी व सरिया सब बिकना कम हो गया है. रेत बंद होने के चलते भी इस पर असर पड़ा है. अब केवल वहीं लोग मकान या दुकान का निर्माण कर रहे हैं. जिन्हें इसकी जरूरत है या फिर उन्हें लोन मिल सकता है. जिसे वे धीरे-धीरे चुका सकें. पहले जहां पर इन्वेस्टमेंट के लिए लोग खरीद रहे थे या फिर मकान बनाकर बेच रहे थे वह सब बंद हो गया है.