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शिक्षा मंत्री के खिलाफ बोले निजी स्कूल संचालक, कहा- पढ़ाई बंद है तब तक मंत्री भी अपना पद त्याग दें

प्राइवेट स्कूल संचालक ने शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के बयान प्राइवेट स्कूलों में "नो स्कूल नो फीस" होना चाहिए के खिलाफ लामबंद हो गए हैं. साथ ही प्राइवेट स्कूल संचालक का कहना है कि शिक्षा मंत्री को अपने पद से त्याग कर दें. इसके अलावा सरकारी स्कूल के जो टीचर हैं, उनको भी तनख्वाह नहीं दी जाए.

Education Minister Govind Singh Dotasara,  kota news
शिक्षा मंत्री के खिलाफ प्राइवेट स्कूल संचालक का रोष
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Published : Jul 28, 2020, 6:28 PM IST

कोटा. राज्य सरकार ने प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की फीस स्कूल नहीं खुलने तक स्थगित की है. इसके विरोध में शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के विरोध में प्राइवेट स्कूल संचालक लामबंद हो गए हैं. कोटा में मंगलवार को प्राइवेट स्कूल संचालकों की गठित शिक्षा बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति ने पत्रकार वार्ता आयोजित करते हुए शिक्षा मंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया.

शिक्षा मंत्री के खिलाफ प्राइवेट स्कूल संचालक का रोष

उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री डोटासरा ने कहा है कि जब प्राइवेट स्कूलों में "नो स्कूल नो फीस" होना चाहिए, तो फिर शिक्षा मंत्री को अपने पद से त्याग कर दें. जब शिक्षा दोबारा शुरु होगी, तब वह शपथ लेकर दोबारा मंत्री बन जाए. इसके अलावा सरकारी स्कूल के जो टीचर हैं, उनको भी तनख्वाह नहीं दी जाए. साथ ही जो बाबू से लेकर प्रिंसिपल, सेक्रेटरी तक शिक्षा विभाग का महकमा है. वह कुछ भी काम नहीं कर रहा होगा. ऐसे में सभी को वहां से हटा दिया जाए.

वहीं समिति की राजस्थान की कोऑर्डिनेटर हेमलता शर्मा ने कहा कि शिक्षा मंत्री शिक्षकों का अपमान करते हैं. ऐसे में उन्हें सभी शिक्षकों से माफी मांगनी चाहिए. सरकारी स्कूलों के खिलाफ सिर्फ स्थगित करने का आदेश वापस लेना चाहिए. साथ ही अगर ऐसा नहीं हुआ, तो प्रदेश के 38 हजार स्कूल और उनमें पढ़ाने वाले 11 लाख शिक्षक जिन्हें सैलरी नहीं मिल पा रही है, वह लामबंद होकर आंदोलन करेंगे और सरकार को झुकने पर मजबूर कर देंगे.

पढ़ेंः बूंदी: निजी स्कूल संचालकों ने फीस माफी के फैसले का जताया विरोध, दी आंदोलन की चेतावनी

संघर्ष समिति के संरक्षक महेश गुप्ता ने कहा कि शिक्षा मंत्री का रहने कि कोई करिकुलम जारी नहीं हुआ है. ऐसे में अप्रैल, मई और जून में शिक्षा विभाग ने जो दूरदर्शन से स्लॉट लेकर पढ़ाया है, वह क्या था. केवल अभिभावकों को गुमराह शिक्षा मंत्री अपने बयानों से कर रहे हैं. सरकारी स्कूलों में प्रवेशोत्सव मनाया जा रहा है. समिति के कोटा के संयोजक संजय शर्मा ने कहा कि स्कूलों का कैटिगराइजेशन जरूरी है. क्योंकि कई प्राइवेट स्कूल बहुत छोटे स्तर पर संचालित हो रहे हैं. वहां पर बहुत कम फीस ली जाती है.

पढ़ेंः डूंगरपुर: शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक कार्यालय की छत का प्लास्टर 10 दिन में दूसरी बार गिरा

जबकि मध्यम तरह के भी स्कूल है और सीबीएसई के भी बड़े-बड़े स्कूल संचालित हो रहे हैं. जब तक सरकार स्कूलों को कैटिगराइजेशन नहीं करेगी, उन्हें एक ही आदेश से चलने पर मजबूरी होना पड़ेगा. ऐसे में छोटे और मध्यम वर्गीय स्कूलों को काफी नुकसान होता है. सभी स्कूल नो प्रॉफिट नो लॉस का संचालित होते हैं. ऐसे में इन को किसी भी तरह के सरकारी सहायता भी नहीं मिलती है. सरकार लॉकडाउन के बाद इनको भी आर्थिक सहायता मुहैया करवाएं.

कोटा. राज्य सरकार ने प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की फीस स्कूल नहीं खुलने तक स्थगित की है. इसके विरोध में शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के विरोध में प्राइवेट स्कूल संचालक लामबंद हो गए हैं. कोटा में मंगलवार को प्राइवेट स्कूल संचालकों की गठित शिक्षा बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति ने पत्रकार वार्ता आयोजित करते हुए शिक्षा मंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया.

शिक्षा मंत्री के खिलाफ प्राइवेट स्कूल संचालक का रोष

उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री डोटासरा ने कहा है कि जब प्राइवेट स्कूलों में "नो स्कूल नो फीस" होना चाहिए, तो फिर शिक्षा मंत्री को अपने पद से त्याग कर दें. जब शिक्षा दोबारा शुरु होगी, तब वह शपथ लेकर दोबारा मंत्री बन जाए. इसके अलावा सरकारी स्कूल के जो टीचर हैं, उनको भी तनख्वाह नहीं दी जाए. साथ ही जो बाबू से लेकर प्रिंसिपल, सेक्रेटरी तक शिक्षा विभाग का महकमा है. वह कुछ भी काम नहीं कर रहा होगा. ऐसे में सभी को वहां से हटा दिया जाए.

वहीं समिति की राजस्थान की कोऑर्डिनेटर हेमलता शर्मा ने कहा कि शिक्षा मंत्री शिक्षकों का अपमान करते हैं. ऐसे में उन्हें सभी शिक्षकों से माफी मांगनी चाहिए. सरकारी स्कूलों के खिलाफ सिर्फ स्थगित करने का आदेश वापस लेना चाहिए. साथ ही अगर ऐसा नहीं हुआ, तो प्रदेश के 38 हजार स्कूल और उनमें पढ़ाने वाले 11 लाख शिक्षक जिन्हें सैलरी नहीं मिल पा रही है, वह लामबंद होकर आंदोलन करेंगे और सरकार को झुकने पर मजबूर कर देंगे.

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संघर्ष समिति के संरक्षक महेश गुप्ता ने कहा कि शिक्षा मंत्री का रहने कि कोई करिकुलम जारी नहीं हुआ है. ऐसे में अप्रैल, मई और जून में शिक्षा विभाग ने जो दूरदर्शन से स्लॉट लेकर पढ़ाया है, वह क्या था. केवल अभिभावकों को गुमराह शिक्षा मंत्री अपने बयानों से कर रहे हैं. सरकारी स्कूलों में प्रवेशोत्सव मनाया जा रहा है. समिति के कोटा के संयोजक संजय शर्मा ने कहा कि स्कूलों का कैटिगराइजेशन जरूरी है. क्योंकि कई प्राइवेट स्कूल बहुत छोटे स्तर पर संचालित हो रहे हैं. वहां पर बहुत कम फीस ली जाती है.

पढ़ेंः डूंगरपुर: शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक कार्यालय की छत का प्लास्टर 10 दिन में दूसरी बार गिरा

जबकि मध्यम तरह के भी स्कूल है और सीबीएसई के भी बड़े-बड़े स्कूल संचालित हो रहे हैं. जब तक सरकार स्कूलों को कैटिगराइजेशन नहीं करेगी, उन्हें एक ही आदेश से चलने पर मजबूरी होना पड़ेगा. ऐसे में छोटे और मध्यम वर्गीय स्कूलों को काफी नुकसान होता है. सभी स्कूल नो प्रॉफिट नो लॉस का संचालित होते हैं. ऐसे में इन को किसी भी तरह के सरकारी सहायता भी नहीं मिलती है. सरकार लॉकडाउन के बाद इनको भी आर्थिक सहायता मुहैया करवाएं.

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