कोटा. राज्य सरकार ने निजी बसों को भी लॉकडाउन-5 में चलने की अनुमति दे दी है. लेकिन इसके बावजूद कोटा के बस ऑपरेटर अपनी बसों को नहीं चलाएंगे. 3 जून से वे बसों का चक्का जाम भी कर रहे हैं. इसके लिए उन्होंने जिला कलेक्टर को मंगलवार को ज्ञापन भी सौंपा है. इसके अलावा उन्होंने मांग रखी है कि लॉकडाउन के पीरियड में उनकी बसें खड़ी रही है. इसलिए पूरे 70 दिन का टैक्स माफ होना चाहिए.
इसके बाद भी बसें आधी क्षमता से ही चलेगी. ऐसे में उनसे आधा ही टैक्स वसूला जाए. बस मालिक संघ का यह भी कहना है कि उनसे लगातार परिवहन विभाग टैक्स वसूली का दबाव बना रहा है. ऐसे में वह सभी बसों को परिवहन कार्यालय में ही खड़ा करना चाहते हैं. कोटा के निजी बस मालिकों के पास 750 से ज्यादा बसें हैं. इनका करोड़ों रुपए का टैक्स हर महीने परिवहन विभाग के पास जमा होता है.
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बस संचालन सम्भव नहीं
बस ऑपरेटरों का कहना है कि किसी भी सूरत में बसों का संचालन करना हमारे लिए संभव नहीं है. हर आदमी अभी कोविड-19 के चलते डरा हुआ है. कोई भी घर से बाहर नहीं निकलना चाहता है. सरकार बसों को पूरी क्षमता से चलाने के लिए कह रही हैं. लेकिन कोरोना की वजह से अभी लोग बसों से सफर नहीं कर रहे हैं. हमने कई बार सरकार से मदद की विनती की है, लेकिन किसी तरह की कोई सुनवाई नहीं हुई.
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10 राज्यों ने माफ किया टैक्स
बस मालिक संघ राजस्थान के प्रदेश महासचिव सत्यनारायण साहू का कहना है कि लॉकडाउन में हमने सभी बसें खड़ी कर दी थी. केंद्र ने गाइडलाइन दी है कि निजी बसों या अन्य वाहनों को टैक्स से छूट दी जाए. इस आदेश के तहत भारत के 10 राज्यों ने टैक्स माफ भी कर दिया है. जिसमें 6 माह से 1 साल तक का टैक्स माफ है. बस संचालकों का आरोप है कि राजस्थान सरकार के आदेश हैं कि सोशल डिस्टेंसिंग की चिंता मत करो गाड़ी में जितनी भी सवारियां भरनी है भरों, लेकिन हमें पूरा टैक्स दो. लॉकडाउन पीरियड का भी टैक्स हमसे मांगा जा रहा है. जब हमने बसें चलाई नहीं तो कैसा टैक्स दे.