कोटा. प्रदेश के पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से पेपर कप को बैन करने का विरोध किया जा रहा है. पेपर कप (Paper Cup Ban in Rajasthan) इंडस्ट्री में काम करने वाले लोगों का कहना है कि सरकार ने बंद करने का आदेश अचानक से निकाला है, जिसे वापस लिया जाए या फिर उन्हें करीब 5 साल का समय दिया जाए. ताकि वे अपने उद्योगों को दूसरी तरफ शिफ्ट कर ले या फिर पेपर कप इंडस्ट्री की मशीनों में कोई दूसरा आइटम बनाने के लिए तैयार कर लें. तब तक उन्हें इजाजत दी जाए. ऐसा नहीं होने की स्थिति में उन्होंने न्यायालय में जाने की धमकी दी है.
राजस्थान उपभोग के मामले में भी आगे: पेपर कप मैन्युफैक्चरिंग सोसायटी राजस्थान से करीब 3000 इंडस्ट्री जुड़ी हुई है. हाड़ौती संभाग में करीब 100 उद्योग लगे हुए हैं. जिनमें पत्तल दोने से लेकर पेपर कप और अन्य कई आइटम का निर्माण किया जाता है. यह इकाइयां लगभग राजस्थान के सभी शहर में लगी है. राजस्थान में शादी विवाह से लेकर छोटे-मोटे आयोजनों में भी पेपर कप के उत्पाद का ही उपयोग किया जाता है. साथ ही रूटीन उपयोग में भी बड़ी मात्रा में पेपर कप यूज में लिया जाता रहा है. ऐसे में राजस्थान भी उपभोग के मामले में पेपर कप का एक बड़ा हब है. इसके साथ ही पेपर कब इंडस्ट्री से जुड़े उद्योगपतियों का कहना है कि बड़ी-बड़ी कंपनियां भी इस तरह के कप का और उपयोग करती है, लेकिन उन पर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं है. जिनमें बड़ी आइसक्रीम कंपनियां भी शामिल हैं.
करोड़ों रुपए का लोन लिया: फैक्ट्री संचालकों का कहना है कि जैसे ही सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन करने की बात आई थी, वह लगातार अपने यूनिट को अपग्रेड कर रहे थे और बढ़ावा दे रहे थे. बैंकों से लोन ले लिया और इन्वेस्टमेंट कर दिया, लेबर भी बढ़ा और नए प्लांट खरीद लिए हैं. लेकिन अचानक से यह फैसला आया है. अब हमारे ऊपर करोड़ों रुपये का लोन है. कई उद्योगपतियों ने हाल ही में प्राइम मिनिस्टर एंप्लॉयमेंट जेनरेशन प्रोग्राम (पीएमईजीपी) के तहत लाखों रुपए का लोन इसी माह लिया है, लेकिन अब जब इंडस्ट्री को ही बैन लगा रहे हैं. फिर किस तरह से वे लोन चुका पाएंगे.
कोई अल्टरनेट या सब्सीट्यूट भी नहीं: स्मॉल स्केल इंडस्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष राजकुमार जैन का कहना है कि हमारे उद्योग तो बंद होंगे ही, लेकिन राजस्थान में लोगों के सामने भी संकट आ जाएगा. हमारे यहां शादियों से लेकर समारोह और कार्यक्रम में पेपर कप के प्रोडक्ट का उपयोग होता है. ऐसे में यह लोग अपने आयोजनों में पेपर कप के सब्सीट्यूट के तौर पर किसका उपयोग करेंगे? यहां तक कि रेलवे के सामने भी बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी. बाजार में मिलने वाली चाय और अन्य खाने-पीने के आइटम की हाइजीन भी खत्म हो जाएगी.
सिंगल यूज प्लास्टिक में बड़ी कंपनियों को 10 साल की छूट: पेपर कप इंडस्ट्री से जुड़े जयपुर के उद्योगपति रवि पालीवाल का कहना है कि सिंगल यूज प्लास्टिक में बड़ी यूनिट्स को छूट दे दी, जबकि छोटी इकाइयों पर ही यह पाबंदी लगाई जा रही है. उनका कहना है कि सभी फूड पैकेजिंग मैटेरियल, चेक छोटे बाबू सुपारी, गुटका, नमकीन, बिस्किट, दूध में छूट दे दी गई है जबकि यह 100% प्लास्टिक से निर्मित है. वहीं पेपर कप में नाम मात्र का प्लास्टिक तीन से 5% केवल कोटिंग के रूप में लगाई जाती है, फिर भी इसे बैन किया जा रहा है. यह सरासर गलत है.पालीवाल का कहना है कि जिस तरह से बड़ी कंपनियों को 10 साल की छूट दी गई है, उसी तरह उन्हें भी 5 साल की छूट दी जाए.
करीब 1000 करोड़ का सीधा होगा नुकसान: रवि पालीवाल के अनुसार प्रदेश में करीब 3000 इकाइयां पेपर कप उद्योग की लगी हुई है. इनमें चार सौ करोड़ का निवेश मशीनरी के रूप में हुआ है. इसके अलावा करीब 600 करोड़ रुपए का कच्चा माल और कागज उनके पास है. पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड राजस्थान में 14 जुलाई को अमेंडमेंट जारी किया था, जिसमें 15 दिन का समय दिया है. ऐसे में 29 जुलाई से ही है उद्योग बंद होने की कगार पर आ जाएंगे. इसके कारण हमारा यह पूरा 1000 करोड़ का उद्योग बंद जैसा हो जाएगा.
एक लाख प्रत्यक्ष और 5 लाख अप्रत्यक्ष रोजगार: पेपर कप उद्योग के जरिए पूरे प्रदेश में करीब 1,00,000 लोग प्रत्यक्ष रूप से रोजगार से जुड़े हुए हैं, जो कि फैक्ट्रियों में काम कर रहे हैं. इसके अलावा माल सप्लाई से लेकर स्टॉकिस्ट और रिटेलर तक लेकर 5,00,000 लोग इस व्यापार से जुड़े हुए हैं. जैसे ही सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन किया था. इसके बाद व्यापारियों ने अपना स्टॉक बढ़ा लिया था, क्योंकि अब केवल पेपर कप सिंगल यूज प्लास्टिक के डिस्पोजल का विकल्प था. लेकिन सरकार ने अचानक से इस पर बैन लगा दिया, जिसके चलते लोगों के रोजगार पर खतरा आ गया है.
उद्योगपतियों ने बताया राठौड़ी कार्रवाई: उद्योगपति गोविंद राम मित्तल का कहना है कि पेपर कप बैन लगाना सरकार की राठौड़ी कार्रवाई है. एक रात में ही आदेश जारी कर दिया कि पेपर कप-प्लेट भी प्लास्टिक के चलते बंद होगा. सिंगल यूज प्लास्टिक को बंद करने के पहले भी सरकार ने आदेश जारी किए थे, लेकिन अचानक से 14 जुलाई को एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए इन्हें बैन कर दिया है. जब इसके पहले सिंगल यूज़ प्लास्टिक को बैन किया गया था, तब इनके लिए कोई एडवाइजरी जारी नहीं की गई थी. जारी किए गए नोटिफिकेशन में 15 दिन यानी 29 जुलाई से इसके प्रोडक्शन को बंद करने की बात कही है. जबकि पूरे देश में कहीं भी इस पर बैन नहीं है. केवल राजस्थान पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने यह आदेश निकाला है.
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हमारे पास विदेशियों के कई ऑर्डर कैसे भेजेंगे: रवि पालीवाल का कहना है कि पेपर कप किसी भी हालात में हानिकारक नहीं है. यह 250 डिग्री सेल्सियस पर यह मेल्ट होता है. जबकि चाय या कोई भी चीज 2 डिग्री सेल्सियस पर बनती है और उसको कप में भरा जाता है, तो उसका 80 डिग्री सेल्सियस तापमान हो जाता है. पेपर कप का कागज लकड़ी से बनता है और पूरी तरह से फूड ग्रेड है. नेपाल, बांग्लादेश, लंदन, फ्रांस, इजराइल, दुबई सऊदी के माल भेजा जाता है. पूरे विश्व में कहीं भी इस पर बैन नहीं है. उन्होंने बताया कि उनके पास भी 1 साल के आगे के आर्डर हैं. विदेशों में इसे पूरी तरह से भी रीसायकल किया जाता है. सरकार को इससे संबंधित सभी डॉक्यूमेंट भी उपलब्ध करा दिए गए हैं, लेकिन कोई बात नहीं मान रहा है. इसमें प्लास्टिक का महज तीन से पांच प्रतिशत ही उपयोग किया जाता है.
रीसाइक्लिंग बढ़ाने की जगह प्लास्टिक पर ही लगाया बैन: उद्योगपतियों का कहना है कि विदेशों में भारत से ज्यादा सिंगल यूज प्लास्टिक उपयोग में ली जाती है. भारत में चाइना का 10 फीसदी भी सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग नहीं होता है. इसके बावजूद यहां पर उसको बैन किया गया है. जबकि रीसाइक्लिंग का काम सरकार को बड़े स्तर पर करना चाहिए, ताकि उससे प्लास्टिक खतरे के रूप में नहीं बने. यूएसए और यूके में तो यहां से भी बड़ी मात्रा में प्लास्टिक का यूज किया जाता है. वहां पर रीसाइक्लिंग का काम भी अच्छे से होता है, इसीलिए प्लास्टिक पर बैन लगाने की जरूरत नहीं हो रही है.