कोटा. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के लिए कितनी जरूरी है, इसकी बानगी कोटा में दिखाई देने लगी है. लगातार बारिश ने हाड़ौती में किसानों की फसल को चौपट कर दिया. खेतों में पानी भरा होने के कारण किसान फसल की बुवाई तक नहीं कर पाये. ऐसे में इसे निष्फल बुवाई मानकर किसानों को क्लेम दिया जा रहा है. लेकिन यह क्लेम उन्हीं किसानों को मिलेगा जिन्होंने फसल का बीमा करा रखा है.
यह बीमा भी उन्हीं किसानों का हुआ है जिन्होंने बैंकों से ऋण लिया हुआ है. किसान स्वेच्छा से इस बीमा नहीं करवाते. ऐसे में केवल ऋणी किसानों को ही क्लेम मिल रहा है. इलाके के दूसरे किसानों को अब राज्य और केंद्र सरकार के फसल खराबे की मुआवजा घोषणा का इंतजार है.
कोटा जिले में 185870 हेक्टेयर कृषि भूमि पर इस बार बुवाई नहीं हो सकी. इनमें से केवल बीमा 48 फ़ीसदी कृषि भूमि यानी कि 88961 हेक्टेयर का ही हुआ है. इनमें 253269 पॉलिसी की गई हैं, जिनमें से महज स्वैच्छिक पॉलिसी करवाने वाले किसान 123 हैं, बचे हुए 253146 किसानों का बीमा लोन लेने के कारण हुआ है. हालांकि अब जब फसल खराबा सोयाबीन-उड़द-मक्का और अन्य फसलों में भी हुआ है, यह करीब 102198 हेक्टेयर में खराबा हुआ है, जो कि बीमित एरिया से भी ज्यादा है.
कोटा जिले में करवाया महज 123 किसानों ने बीमा
कोटा जिले में स्वैच्छिक बीमा करवाने वाले किसानों की संख्या महज कुछ प्रतिशत ही है. इस साल तो 123 किसानों ने ही खरीफ की फसल का बीमा करवाया है. जबकि वर्ष 2020-21 में 141 किसानों ने स्वच्छ बीमा करवाया था, 2019-20 में तो यह संख्या केवल 7 ही थी. जबकि उनसे कई गुना ज्यादा ऋणी किसानों का प्रीमियम जमा होता है और उनकी फसलों का इंश्योरेंस भी बैंक के जरिए होता है. प्रधानमंत्री फसल बीमा के तहत करीब 250 रुपए बीघा के अनुसार प्रीमियम लिया जाता है, जो कि फसलों के अनुसार कम ज्यादा होता रहता है.
कम हो गया है बीमा प्रीमियम और रकबा
पिछले साल की तुलना में इस बार इंश्योरेंस कंपनी की पॉलिसी का दायरा जरूर बढ़ गया है. लेकिन फसल बीमा के तहत बीमित एरिया में काफी गिरावट हुई है. इस बार आधा ही इलाका बीमा में कवर हो पाया है. क्योंकि बीमा कंपनी ने इस बार खसरा नंबर के चलते पॉलिसी की है. ऐसे में पिछले साल 132401 पॉलिसियां किसानों की हुई थी, उसका एरिया 162153 हेक्टेयर था.
जबकि इस बार बीमा की पॉलिसियां दुगनी हो गई हैं, यह 253269 पॉलिसियां किसानों की हुई हैं लेकिन एरिया कम होकर 88961 ही रह गया है. साथ ही पिछले साल जो प्रीमियम 75 करोड़ से ज्यादा था वह अब 41 करोड़ रह गया है.
2019 में प्रीमियम से ज्यादा राशि का किसानों को मिला क्लेम
प्रधानमंत्री फसल बीमा की बात करें तो 2019 में कोटा जिले में काफी फसल खराबा हुआ था. इसके चलते 68862 किसानों को 97.77 करोड़ का क्लेम मिला था, जो कि बीते बीते पूरे एक दशक में सबसे ज्यादा है. जबकि इसके लिए बीमा प्रीमियम करीब 83 करोड़ रुपए था. इसके अलावा करोड़ों में भी क्लेम की राशि कई सालों में नहीं पहुंची है.
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पिछले साल 2020-21 में ज्यादा कोई खराबा सामने नहीं आया था. इसके चलते महज 4.18 करोड़ रुपए का क्लेम ही 6106 किसानों को मिला था. इसके लिए बीमा कंपनी को 75 करोड़ से ज्यादा का प्रीमियम किसानों का मिला था. वहीं इस साल हुए लाखों बीघा फसल के नुकसान के मामले में भी बीमा कंपनी ने 47 करोड़ रुपए का क्लेम निष्फल बुवाई मानते हुए स्वीकृत किया है, इसमें क्रॉप कटिंग एक्सपेरिमेंट के बाद बढ़ोतरी होगी.
लाखों प्रचार में खर्च, फिर भी नहीं जागरूकता
किसानों को फसल बीमा करवाने के लिए प्रेरित करने में सरकार लाखों रुपए प्रचार-प्रसार में खर्च करती है, जिससे किसान आगे बढ़कर फसल बीमा योजना का लाभ नहीं ले रहे हैं. कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक रामावतार शर्मा का कहना है कि किसानों को बीमा राशि का क्लेम खराब नहीं होने के चलते नहीं बनता है.
बीते 3 साल में खरीफ फसल बीमा करवाने वाले किसान
वर्ष | कुल किसान | ऋणी बीमा | स्वैच्छिक बीमा |
2019-20 | 82314 | 82307 | 7 |
2020- 21 | 132401 | 13260 | 141 |
2021-22 | 253269 | 253146 | 123 |
बीते 3 साल में प्रीमियम और किसानों को मिला क्लेम (करोड़ों में)
वर्ष | प्रीमियम (करोड़) | एरिया (हेक्टेयर) | क्लेम मिला (करोड़) |
2019-20 | 82.98 | 125000 | 97.77 |
2020- 21 | 75.20 | 162153 | 4.18 |
2021-22 | 41.12 | 88961 | 47 |
नोट : चालू वर्ष में अभी निष्फल बुवाई का ही क्लेम किसानों को मिला है, क्रॉप कटिंग एक्सपेरिमेंट के बाद में इसमें बढ़ोतरी होगी.