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Resident strike: 40 मरीजों के ऑपरेशन टालने पड़े, हद तो तब हो गई जब 1 मरीज ने दम तोड़ दिया - कोटा न्यूज

मरीजों के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर अगर 50 साल के हरिशंकर को अटेंड कर लेते तो शायद वह बच जाता, पर ऐसा नहीं हुआ. क्योंकि रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर बैठे हैं. ऐसे में इस हड़ताल की वजह से एक मरीज की मौत हो चुकी है.

रेजिडेंट्स डॉक्टरों की हड़ताल, Residents doctors strike
रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल के चलते समय पर इलाज नहीं मिलने से एक मरीज की मौत
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Published : Dec 5, 2019, 10:03 AM IST

Updated : Dec 5, 2019, 10:41 AM IST

कोटा. शहर में रेजिडेंट्स डॉक्टरों की हड़ताल का असर अब अस्पतालों पर पड़ने लगा है. इस सिलसिले में शहर के तीनों बड़े अस्पतालों में रेजिडेंट्स डाक्टरों की हड़ताल होने के कारण एक मरीज की जान चली गई. जानकारी के अनुसार मरीज का समय पर सीपीआर तक नहीं हो पाया और मरीज ने दम तोड़ दिया.

रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल के चलते समय पर इलाज नहीं मिलने से एक मरीज की मौत

आए दिन होने वाली रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल का खामियाजा मरीज भुगत रहे हैं, अब हर कोई सवाल करने लगा है कि अपनी मांगे मनवाने का इसके अलावा कोई और तरीका नहीं है क्या.? बात-बात पर रेजिडेंट हड़ताल कर रहे हैं. ऐसे में डिग्री धारी रेजिडेंट और संविदा कर्मी में क्या फर्क रह जाता है.

पढ़ेंः 21वीं सदी के दौर में घूंघट और बुर्का प्रथा सही नहीं इसे हटाने के लिए चलना चाहिए अभियान : अशोक गहलोत

कुन्हाड़ी के हरिशंकर शर्मा को सुबह चेस्ट पेन होने पर परिजनों ने अस्पताल में एडमिट कराया था. इमरजेंसी मेडिसिन वार्ड में उनका करीब 4 घंटे तक इलाज चला. इसके बाद परिजन उन्हे दूसरे अस्पताल ले गए और उन्हें वार्ड में लेकर आए तो स्टाफ ने डॉक्टर को कॉल किया. वार्ड में कॉल करने के 26 मिनट बाद मेडिसिन विभाग के सीनियर डॉक्टर पहुंचे और रोगी को सीपीआर शुरू किया, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी. आखिरकार मरीज को मृत घोषित कर दिया.

इसलिए है रेजिडेंट डॉक्टरों का रोल...

सीनियर डॉक्टर अस्पतालों में 6 घंटे मिलते हैं, जबकि रेजिडेंट्स 24 घंटे बाद. वह इमरजेंसी में रहकर व्यवस्थाएं संभालते हैं. किसी भी इमरजेंसी में रेजिडेंट को कॉल किया जाता है और वह तत्काल पहुंच भी जाते हैं. ऐसे में सीपीआर और अन्य प्रोसीजर तत्काल हो जाते हैं. मेडिकल कॉलेज के अधीन 300 से ज्यादा रेजिडेंट हैं. ऐसे में एक साथ इतनी बड़ी संख्या में डॉक्टर नहीं होने से व्यवस्थाएं प्रभावित हो रही हैं.

पढ़ेंः सीकर: रींगस परिवहन कार्यालय में RTO इंस्पेक्टर रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार, ACB ने 70 हजार की रिश्वत लेते किया ट्रैप

टालने पड़े 40 ऑपरेशन...

रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल के कारण तीनों अस्पतालों में 40 ऑपरेशन टालने पड़े. वहीं मरीज बाहर ही भटकते रहे. मेडिकल कॉलेज के आर्थोपेडिक विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर आरपी मीणा ने जानकारी देते हुए बताया कि ऑपरेशन और सर्जरी करने के लिए रेजिडेंट डॉक्टरों की टीम के साथ में काम किया जाता है, जिसमें रेजिडेंट डॉक्टरों की महत्वपूर्ण भूमिका इसमें होती है. इनके हड़ताल के कारण कई महत्वपूर्ण ऑपरेशन टाले जाने की मजबूरी बनी हुई है.

कोटा. शहर में रेजिडेंट्स डॉक्टरों की हड़ताल का असर अब अस्पतालों पर पड़ने लगा है. इस सिलसिले में शहर के तीनों बड़े अस्पतालों में रेजिडेंट्स डाक्टरों की हड़ताल होने के कारण एक मरीज की जान चली गई. जानकारी के अनुसार मरीज का समय पर सीपीआर तक नहीं हो पाया और मरीज ने दम तोड़ दिया.

रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल के चलते समय पर इलाज नहीं मिलने से एक मरीज की मौत

आए दिन होने वाली रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल का खामियाजा मरीज भुगत रहे हैं, अब हर कोई सवाल करने लगा है कि अपनी मांगे मनवाने का इसके अलावा कोई और तरीका नहीं है क्या.? बात-बात पर रेजिडेंट हड़ताल कर रहे हैं. ऐसे में डिग्री धारी रेजिडेंट और संविदा कर्मी में क्या फर्क रह जाता है.

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कुन्हाड़ी के हरिशंकर शर्मा को सुबह चेस्ट पेन होने पर परिजनों ने अस्पताल में एडमिट कराया था. इमरजेंसी मेडिसिन वार्ड में उनका करीब 4 घंटे तक इलाज चला. इसके बाद परिजन उन्हे दूसरे अस्पताल ले गए और उन्हें वार्ड में लेकर आए तो स्टाफ ने डॉक्टर को कॉल किया. वार्ड में कॉल करने के 26 मिनट बाद मेडिसिन विभाग के सीनियर डॉक्टर पहुंचे और रोगी को सीपीआर शुरू किया, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी. आखिरकार मरीज को मृत घोषित कर दिया.

इसलिए है रेजिडेंट डॉक्टरों का रोल...

सीनियर डॉक्टर अस्पतालों में 6 घंटे मिलते हैं, जबकि रेजिडेंट्स 24 घंटे बाद. वह इमरजेंसी में रहकर व्यवस्थाएं संभालते हैं. किसी भी इमरजेंसी में रेजिडेंट को कॉल किया जाता है और वह तत्काल पहुंच भी जाते हैं. ऐसे में सीपीआर और अन्य प्रोसीजर तत्काल हो जाते हैं. मेडिकल कॉलेज के अधीन 300 से ज्यादा रेजिडेंट हैं. ऐसे में एक साथ इतनी बड़ी संख्या में डॉक्टर नहीं होने से व्यवस्थाएं प्रभावित हो रही हैं.

पढ़ेंः सीकर: रींगस परिवहन कार्यालय में RTO इंस्पेक्टर रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार, ACB ने 70 हजार की रिश्वत लेते किया ट्रैप

टालने पड़े 40 ऑपरेशन...

रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल के कारण तीनों अस्पतालों में 40 ऑपरेशन टालने पड़े. वहीं मरीज बाहर ही भटकते रहे. मेडिकल कॉलेज के आर्थोपेडिक विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर आरपी मीणा ने जानकारी देते हुए बताया कि ऑपरेशन और सर्जरी करने के लिए रेजिडेंट डॉक्टरों की टीम के साथ में काम किया जाता है, जिसमें रेजिडेंट डॉक्टरों की महत्वपूर्ण भूमिका इसमें होती है. इनके हड़ताल के कारण कई महत्वपूर्ण ऑपरेशन टाले जाने की मजबूरी बनी हुई है.

Intro:रेजिडेंट डॉक्टरों के हड़ताल समय पर इलाज नहीं मिलने से एक मरीज की मौत, 5 हजार से ज्यादा मरीज हो रहे हैं परेशान तीनों अस्पतालों में 40 से ज्यादा ऑपरेशन टाले।
मरीजों के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर अगर 50 साल के हरिशंकर को अटेंड कर लेते तो शायद वह बच जाता पर ऐसा नहीं हुआ, क्योंकि रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर बैठे हैं।
कोटा में रेजिडेंट्स डॉक्टरों की हड़ताल का असर अस्पतालों में पड़ने लगा है।हड़ताल के चलते एक मरीज की मौत हो चुकी है।
Body:कोटा के तीनों बड़े अस्पतालों में रेजिडेंट्स डाक्टरो की हड़ताल से एक मरीज के लिए जानलेवा साबित हो गई।इस रोगी का समय पर सीपीआर तक नहीं हो पाया और मरीज की सांसे टूट गई यह मामला एमबीएस अस्पताल का है।

मरीजों का एक ही सवाल विरोध जताने और मांगे मनवाने का क्या दूसरा तरीका नहीं है:-

आए दिन होने वाली रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल का खामियाजा मरीज भुगत रहे हैं अब हर कोई सवाल करने लगा है कि अपनी मांगे मनवाने का इसके अलावा कोई और तरीका नहीं है क्या बात बात पर रेजिडेंट हड़ताल कर रहे हैं ऐसे में डिग्री धारी रेजिडेंट व संविदा कर्मी में क्या फर्क रह जाता है।
कुन्हाड़ी के हरिशंकर शर्मा को सुबह चेस्ट पेन होने पर परिजनों ने अस्पताल में एडमिट कराया था इमरजेंसी मेडिसिन वार्ड में उनका करीब 4 घंटे तक इलाज चला इसके बाद परिजनों ने दूसरे अस्पताल ले गए मरीज को गेट पर ही लाकर एंबुलेंस में शिफ्ट किया जा रहा था तभी वह निढाल हो गए परिजन फिर उन्हें वार्ड में लेकर आए तो स्टाफ ने डॉक्टर को कॉल किया वार्ड में कॉल करने के 26 मिनट बाद मेडिसिन विभाग के सीनियर डॉक्टर हाय और रोगी को सीपीआर शुरू किया लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी आखिरकार मरीज को मृत घोषित कर दिया इससे पहले परिजन कुछ सीपीआर का प्रयास करते रहे।

इसलिए है रेजिडेंट डॉक्टरों का रोल:-

सीनियर डॉक्टर अस्पतालों में 6 घंटे मिलते हैं जबकि रेजिडेंस 24 घंटे बाद तो वह इमरजेंसी में रहकर व्यवस्थाएं संभालते हैं किसी भी इमरजेंसी में रेजिडेंट को कॉल किया जाता है और वह तत्काल पहुंच भी जाते हैं ऐसे में सीपीआर व अन्य प्रोसीजर तत्काल हो जाते हैं मेडिकल कॉलेज के अधीन 300 से ज्यादा रेजिडेंट हैं ऐसे में एक साथ इतनी बड़ी संख्या में डॉक्टर नहीं होने से व्यवस्थाएं प्रभावित हो रही है

टालने पड़े 40 ऑपरेशन:-

रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल के कारण तीनों अस्पतालों में 40 ऑपरेशन टालने पड़े आउटडोर में मरीज भटकते रहे।
Conclusion:मेडिकल कॉलेज के आर्थोपेडिक विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर आरपी मीणा ने जानकारी देते हुए बताया कि ऑपरेशन और सर्जरी करने के लिए रेजिडेंट डॉक्टरों की टीम के साथ में काम किया जाता है जिसमें रेजिडेंट डॉक्टरों की महत्वपूर्ण भूमिका है इसमें होती है इनके हड़ताल के चलते कई महत्वपूर्ण ऑपरेशन टाले जाने की मजबूरी बनी हुई है।
बाईट-डॉ.आरपी मीणा, एचओडी, ऑर्थोपेडिक विभाग

Last Updated : Dec 5, 2019, 10:41 AM IST
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