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हालात-ए-बयांः  वार्डों में ठिठुरते हुए मर रहे बच्चे, स्टाफ ने खुद के बचाव में लगा रखे हैं हीटर

कोटा के जेके लोन अस्पताल में ठंड के कारण एक नवजात बच्चे की मौत का मामला सामने आया है. बच्चे का जन्म स्वस्थ हुआ था लेकिन वार्ड में तापमान कम होने के कारण उसकी मौत हो गई. गायनिक वार्ड में नवजात और उनकी मां को ठंड से बचाने की किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं है. तो वहीं दूसरी तरफ स्टाफ हीटरों से अपने आपको बचाने की जुगत में लगा हुआ है.

ठंड के कारण बच्चे की मौत, Kota News
जेके लोन अस्पताल
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Published : Jan 1, 2020, 5:33 PM IST

कोटा. जिले के जेके लोन अस्पताल में बुधवार को ठंड के कारण एक नवजात बच्चे की मौत का मामला सामने आया है. बता दें कि बच्चे का जन्म स्वस्थ हुआ था, लेकिन वार्ड में तापमान कम होने के कारण बच्चे की मौत हो गई. जेके लोन अस्पताल के गायनिक वार्ड में नवजात बच्चों और उनकी मां को बचाने के लिए किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं है. वहीं दूसरी तरफ अस्पताल के कर्मचारी हीटर से अपने आपको बचाने की जुगत में लगा हुआ है.

जेके लोन अस्पताल में ठंड के कारण बच्चे की मौत

मामले को लेकर अस्पताल अधीक्षक डॉ. एस.सी दुलारा ने कहा कि वे जल्द ही हीटरों का इंतजाम करेंगे. चिकित्सकों के मुताबिक नवजात बच्चों को करीब 35 डिग्री तापमान चाहिए, लेकिन जेके लोन अस्पताल के हालात ऐसे नहीं है कि वहां पर 35 डिग्री टेंपरेचर गायनिक वार्ड में मेंटेन किया जाए. उन्होंने बताया कि जो नवजात स्वस्थ पैदा होते हैं और उन्हें किसी भी तरह के उपचार की जन्म के बाद जरूरत नहीं होती वह अपनी मां के पास ही रहते हैं. एक-दो दिन मां को जब तक अस्पताल से छुट्टी नहीं मिलती नवजात उनके पास ही रहता है. चिकित्सकों का कहना है कि लेकिन गायनिक वार्ड की हालत ऐसी हो रही है कि अधिकांश खिड़कियां टूटी हुई है और रात को चलने वाली ठंडी हवाओं से पूरा वार्ड में भर्ती प्रसूताएं और उनके नवजात ठंड के चलते अकड़ते रहते हैं.

पढ़ें- 21 दिन की मासूम बच्ची ने तोड़ा दम, चिकित्सा मंत्री ने कहा- लापरवाही करने वाले के ऊपर होगी कार्रवाई

जेके लोन अस्पताल के गायनिक वार्ड में भर्ती महिलाओं ने कहा कि हालात ऐसे हैं कि अस्पताल केवल एक कंबल देकर इतिश्री कर देता है. मरीजों का कहना है कि वार्ड के खिड़कियां और दरवाजे टूटे हुए हैं. जिसके कारण रात में परेशानी का सामना करना पड़ता है. अस्पताल के पोस्ट नेटल वार्ड में भर्ती प्रसूता ने बताया कि खिड़कियां टूटी होने के कारण वार्ड में ठंड से ठिठुरते रहते हैं, ऐसे में अस्पताल में हीटर की जरूरत है.

छोटा हीटर आ गया तो लगा लिया

जेके लोन अस्पताल में पीडियाट्रिक, ओपीडी और टीकाकरण केंद्र में स्टाफ ही हीटरों का उपयोग करते हुए नजर आते हैं. वहीं, इस बारे में जब वहां उपस्थित कर्मचारियों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि यह तो बच्चों के लिए लगाए हुए हैं. हालांकि टीकाकरण केंद्र स्टाफ नर्स ने कहा कि हीटर बच्चों के लिए मंगवाया गया था, लेकिन छोटा हीटर आ गया तो हमने लगा लिया.

कोटा. जिले के जेके लोन अस्पताल में बुधवार को ठंड के कारण एक नवजात बच्चे की मौत का मामला सामने आया है. बता दें कि बच्चे का जन्म स्वस्थ हुआ था, लेकिन वार्ड में तापमान कम होने के कारण बच्चे की मौत हो गई. जेके लोन अस्पताल के गायनिक वार्ड में नवजात बच्चों और उनकी मां को बचाने के लिए किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं है. वहीं दूसरी तरफ अस्पताल के कर्मचारी हीटर से अपने आपको बचाने की जुगत में लगा हुआ है.

जेके लोन अस्पताल में ठंड के कारण बच्चे की मौत

मामले को लेकर अस्पताल अधीक्षक डॉ. एस.सी दुलारा ने कहा कि वे जल्द ही हीटरों का इंतजाम करेंगे. चिकित्सकों के मुताबिक नवजात बच्चों को करीब 35 डिग्री तापमान चाहिए, लेकिन जेके लोन अस्पताल के हालात ऐसे नहीं है कि वहां पर 35 डिग्री टेंपरेचर गायनिक वार्ड में मेंटेन किया जाए. उन्होंने बताया कि जो नवजात स्वस्थ पैदा होते हैं और उन्हें किसी भी तरह के उपचार की जन्म के बाद जरूरत नहीं होती वह अपनी मां के पास ही रहते हैं. एक-दो दिन मां को जब तक अस्पताल से छुट्टी नहीं मिलती नवजात उनके पास ही रहता है. चिकित्सकों का कहना है कि लेकिन गायनिक वार्ड की हालत ऐसी हो रही है कि अधिकांश खिड़कियां टूटी हुई है और रात को चलने वाली ठंडी हवाओं से पूरा वार्ड में भर्ती प्रसूताएं और उनके नवजात ठंड के चलते अकड़ते रहते हैं.

पढ़ें- 21 दिन की मासूम बच्ची ने तोड़ा दम, चिकित्सा मंत्री ने कहा- लापरवाही करने वाले के ऊपर होगी कार्रवाई

जेके लोन अस्पताल के गायनिक वार्ड में भर्ती महिलाओं ने कहा कि हालात ऐसे हैं कि अस्पताल केवल एक कंबल देकर इतिश्री कर देता है. मरीजों का कहना है कि वार्ड के खिड़कियां और दरवाजे टूटे हुए हैं. जिसके कारण रात में परेशानी का सामना करना पड़ता है. अस्पताल के पोस्ट नेटल वार्ड में भर्ती प्रसूता ने बताया कि खिड़कियां टूटी होने के कारण वार्ड में ठंड से ठिठुरते रहते हैं, ऐसे में अस्पताल में हीटर की जरूरत है.

छोटा हीटर आ गया तो लगा लिया

जेके लोन अस्पताल में पीडियाट्रिक, ओपीडी और टीकाकरण केंद्र में स्टाफ ही हीटरों का उपयोग करते हुए नजर आते हैं. वहीं, इस बारे में जब वहां उपस्थित कर्मचारियों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि यह तो बच्चों के लिए लगाए हुए हैं. हालांकि टीकाकरण केंद्र स्टाफ नर्स ने कहा कि हीटर बच्चों के लिए मंगवाया गया था, लेकिन छोटा हीटर आ गया तो हमने लगा लिया.

Intro:जेके लोन अस्पताल में नवजात बच्चे की मौत ठंड के चलते हुई है. उसका जन्म स्वस्थ हुआ था, लेकिन वार्ड में तापमान कम होने के चलते ठिठुरते हुए उसका दम टूट गया. गायनिक वार्ड में नवजात और उनकी मां को ठंड से बचाने की किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं है. दूसरी तरफ स्टाफ हीटरों से अपने आपको बचाने की जुगत में लगा हुआ है.




Body:कोटा.
जेके लोन अस्पताल में आज ही एक नवजात बच्चे की मौत ठंड के चलते हुई है. उसका जन्म स्वस्थ हुआ था, लेकिन वार्ड में तापमान कम होने के चलते ठिठुरते हुए उसका दम टूट गया. जेके लोन अस्पताल के गायनिक वार्ड में नवजात बच्चों और उनकी मां को ठंड से बचाने की किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं है. दूसरी तरफ स्टाफ हीटरों से अपने आपको बचाने की जुगत में लगा हुआ है. इससे साफ है कि अस्पताल में किस कदर ठंड का प्रकोप है. अस्पताल अधीक्षक डॉ. एस सी दुलारा जब मीडिया ने स्टाफ हितों से गर्मी ले रहा है, लेकिन नवजात व प्रसूताओं के लिए व्यवस्था नहीं है. जिस पर उन्होंने कहा कि वे तुरंत हीटरों का इंतजाम करेंगे.

नवजात छोड़ों मां भी ठंड से अकड़ जाती है
चिकित्सकों के मुताबिक नवजात बच्चों को करीब 35 डिग्री टेंपरेचर चाहिए, लेकिन जेके लोन अस्पताल के हालात ऐसे नहीं है कि वहां पर 35 डिग्री टेंपरेचर गायनिक वार्ड में मेंटेन किया जाए. जो नवजात स्वस्थ पैदा होते हैं और उन्हें किसी भी तरह के उपचार की जन्म के बाद जरूरत नहीं होती वह अपनी मां के पास ही रहते हैं. एक-दो दिन मां को जब तक अस्पताल से छुट्टी नहीं मिलती नवजात उनके पास ही रहता है, लेकिन गायनिक वार्ड की हालत ऐसी हो रही है कि अधिकांश खिड़कियां टूटी हुई है और रात को चलने वाली ठंडी हवाओं से पूरा वार्ड में भर्ती प्रसूता आएं और उनके नवजात ठंड के चलते अकड़ते रहते हैं.

केवल एक कंबल देकर इतिश्री कर रहा अस्पताल
जेकेलोन के गायनिक वार्ड में भर्ती महिलाओं ने कहा कि हालात ऐसे हैं कि अस्पताल केवल एक कंबल देकर इतिश्री कर देता है. यहां भर्ती मरीजों का कहना है कि खिड़कियां दरवाजे टूटे हुए हैं. पूरी रात ठंडी हवा चलती है. एक कंबल में ठंड में सहन नहीं होती, ऐसे में रजाई किराए से लेकर आनी पड़ रही है. अस्पताल के पोस्ट नेटल वार्ड में भर्ती प्रसूता रजनी का कहना है कि पूरी रात में ठंड से ठिठुरते रहते हैं और बच्चे को भी संभालना होता है. ऐसे में अस्पताल में हीटर की जरूरत है खिड़कियां भी टूटी हुई है. इन्हें भी सुधारने की तत्काल जरूरत है.


Conclusion:छोटा आ गया तो लगा लिया
जेके लोन अस्पताल में पीडियाट्रिक ओपीडी और टीकाकरण केंद्र में स्टाफ ही हीटरों से अपने आप को गर्म करता हुआ मिला. जब उनसे पूछा गया कि वह हीटरों से गर्मी ले रहे हैं, तो उन्होंने कह दिया कि यह तो बच्चों के लिए लगाए हुए हैं. हालांकि टीकाकरण केंद्र स्टाफ नर्स बीना शर्मा ने कहा कि बच्चों के लिए मंगवाया था, लेकिन छोटा हीटर आ गया ऐसे में लगा लिया.


बाइट-- नवजात की परिजन
बाइट-- लाड़कंवर, नवजात के परिजन
बाइट-- रजनी, प्रसूता
बाइट-- बीना शर्मा, जेके लोन अस्पताल स्टाफ
बाइट-- डॉ. एससी दुलारा, अधीक्षक, जेके लोन अस्पताल
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