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अब सड़क हादसों के कारणों की जांच करेगी कोटा ग्रामीण पुलिस - Road accident in Kota

कोटा ग्रामीण पुलिस अब क्राइम कंट्रोल के साथ-साथ सड़क हादसों की भी जांच करेगी. इसके लिए 60 ट्रेंड पुलिसकर्मी एंड्रॉइड फोन में एक्सिडेंटल जोन का डाटा लेंगे. इसके बाद 'E' फेक्टर का पता लगाकर उस पर कार्य किया जाएगा.

Kota rural police will investigate road accident,  Road accident in Kota
सड़क हादसों के कारणों की जांच करेगी कोटा ग्रामीण पुलिस
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Published : Mar 10, 2021, 8:10 PM IST

कोटा. जिला ग्रामीण पुलिस क्राइम कंट्रोल के साथ-साथ अब सड़क हादसों की भी जांच करेगी और पता लगाने की कोशिश करेगी कि उनके इलाके में कहां एक्सीडेंटल स्पॉट है, जहां पर लगातार हादसे होते हैं. इसके बाद पुलिस उस स्पॉट पर रिसर्च करेगी और पूरे एरिया को एक्सीडेंटल मुक्त करेगी. इसके लिए एंट्री गेट रेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस पर भी कोटा ग्रामीण पुलिस काम कर रही है.

सड़क हादसों के कारणों की जांच करेगी कोटा ग्रामीण पुलिस

पढ़ें- बारां: ट्रैक्टर चालक ने बाइक सवार को मारी टक्कर, हादसे में एक युवक की मौत दूसरा घायल

कोटा ग्रामीण एसपी शरद चौधरी ने बताया कि भारत में हर साल पांच लाख लोग सड़क हादसे में अपनी जान गंवा देते हैं. इसको लेकर मिनिस्ट्री ऑफ रोड एंड ट्रांसपोर्ट ने रिसर्च का कार्य शुरू किया है. इसके तहत सड़क हादसों के कारणों का पता लगाया जाएगा और उन्हें रोकने के लिए माकूल कदम भी उठाया जाएगा, जिससे प्रतिवर्ष हो रहे हादसों में मौतों को रोका जा सकेगा. इसके लिए पुलिस विभाग के जरिए डेटाबेस भी तैयार किया जा रहा है.

चार E से रोकेंगे दुर्घटना

विशेषज्ञों के अनुसार एक्सीडेंट में चार E का बड़ा योगदान होता है, जिनमें इंजीनियरिंग, एंपावरमेंट, एनफोर्समेंट और एजुकेशन शामिल है. रिसर्च वर्क के अनुसार सबसे पहले ये देखा जाएगा कि जहां हादसा हुआ है वहां की सड़क की डिजाइन और उसकी इंजीनियरिंग में कोई डिफेक्ट तो नहीं है. दूसरे और तीसरे E के मुताबिक यानि एंपावरमेंट और एनफोर्समेंट का मतलब यातायात नियमों की पालना करवाना, जो कि यातायात और पुलिस का काम है.

वहीं, चौथा E का मतलब एजुकेशन है, मतलब सड़क पर चलने के नियम, ओवर स्पीड नहीं चलाने जैसे विषयों पर समय-समय पर जनचेतना के लिए एजुकेशन देना. इन चारों E फेक्टर पर काम किया जाएगा और इस कार्य के लिए स्थानीय पुलिस का भी सहयोग लिया जाएगा.

17 थानों के 60 पुलिसकर्मियों को दी ट्रेनिंग

ग्रामीण एसपी शरद चौधरी ने बताया कि इस कार्य के लिए एनआईसी की टीम के साथ मिलकर कोटा ग्रामीण के 17 थानों से मिलकर लगभग 60 पुलिसकर्मियों को ट्रेंड किया जा रहा है. कार्मिकों को आधुनिक तकनीक के साथ ट्रेंड कर उन्हें बताया जा रहा है कि वे अपने इलाकों में ऐसे तमाम स्पॉट को चिन्हित करें, जहां अमूमन सड़क हादसे होते हैं.

पढ़ें- राजगढ़ में कंटेनर ने ट्रक में मारी टक्कर, कंटेनर पर सवार दो लोग घायल

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कंप्यूटर की भी ली जाएगी मदद

इन तमाम स्पॉट को चिन्हित करने के बाद उन स्पॉट्स के लोंगिट्यूड और लेटिट्यूट एंड्रॉइड फोन में लिए जाएंगे. इसके बाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कंप्यूटर की मदद से एक डाटा तैयार किया जाएगा और पूरे भारत मे ऐसे तमाम स्पॉट्स को चिन्हित किया जाएगा, जहां सड़क हादसे होते हैं. डाटा के जरिए ये पता लगाया जाएगा कि उन स्पॉट्स पर हादसे के कारण क्या हैं और फिर 'E' फेक्टर का पता लगाकर उस पर कार्य किया जाएगा.

सड़क हादसों में आएगी कमी

रिसर्च वर्क पर जानकारी देते हुए एसपी शरद चौधरी ने बताया कि प्रोजेक्ट लंबा है, लेकिन यदि एक बार ये डाटा सरकार को मिल जाएगा तो सड़क हादसों में होने वाली मौतों में कमी आ सकेगी. वहीं सरकार ने इसके लिए इंटरसेप्टर भी भेजे हैं, जिनके जरिए हाईवे और उन स्पॉट्स पर जहां दुर्घटना संभावित है, उन्हें लगाया गया है. ओवरस्पीड गाड़ी चलाने वालों के साथ ही यातायात नियम तोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.

कोटा. जिला ग्रामीण पुलिस क्राइम कंट्रोल के साथ-साथ अब सड़क हादसों की भी जांच करेगी और पता लगाने की कोशिश करेगी कि उनके इलाके में कहां एक्सीडेंटल स्पॉट है, जहां पर लगातार हादसे होते हैं. इसके बाद पुलिस उस स्पॉट पर रिसर्च करेगी और पूरे एरिया को एक्सीडेंटल मुक्त करेगी. इसके लिए एंट्री गेट रेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस पर भी कोटा ग्रामीण पुलिस काम कर रही है.

सड़क हादसों के कारणों की जांच करेगी कोटा ग्रामीण पुलिस

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कोटा ग्रामीण एसपी शरद चौधरी ने बताया कि भारत में हर साल पांच लाख लोग सड़क हादसे में अपनी जान गंवा देते हैं. इसको लेकर मिनिस्ट्री ऑफ रोड एंड ट्रांसपोर्ट ने रिसर्च का कार्य शुरू किया है. इसके तहत सड़क हादसों के कारणों का पता लगाया जाएगा और उन्हें रोकने के लिए माकूल कदम भी उठाया जाएगा, जिससे प्रतिवर्ष हो रहे हादसों में मौतों को रोका जा सकेगा. इसके लिए पुलिस विभाग के जरिए डेटाबेस भी तैयार किया जा रहा है.

चार E से रोकेंगे दुर्घटना

विशेषज्ञों के अनुसार एक्सीडेंट में चार E का बड़ा योगदान होता है, जिनमें इंजीनियरिंग, एंपावरमेंट, एनफोर्समेंट और एजुकेशन शामिल है. रिसर्च वर्क के अनुसार सबसे पहले ये देखा जाएगा कि जहां हादसा हुआ है वहां की सड़क की डिजाइन और उसकी इंजीनियरिंग में कोई डिफेक्ट तो नहीं है. दूसरे और तीसरे E के मुताबिक यानि एंपावरमेंट और एनफोर्समेंट का मतलब यातायात नियमों की पालना करवाना, जो कि यातायात और पुलिस का काम है.

वहीं, चौथा E का मतलब एजुकेशन है, मतलब सड़क पर चलने के नियम, ओवर स्पीड नहीं चलाने जैसे विषयों पर समय-समय पर जनचेतना के लिए एजुकेशन देना. इन चारों E फेक्टर पर काम किया जाएगा और इस कार्य के लिए स्थानीय पुलिस का भी सहयोग लिया जाएगा.

17 थानों के 60 पुलिसकर्मियों को दी ट्रेनिंग

ग्रामीण एसपी शरद चौधरी ने बताया कि इस कार्य के लिए एनआईसी की टीम के साथ मिलकर कोटा ग्रामीण के 17 थानों से मिलकर लगभग 60 पुलिसकर्मियों को ट्रेंड किया जा रहा है. कार्मिकों को आधुनिक तकनीक के साथ ट्रेंड कर उन्हें बताया जा रहा है कि वे अपने इलाकों में ऐसे तमाम स्पॉट को चिन्हित करें, जहां अमूमन सड़क हादसे होते हैं.

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कंप्यूटर की भी ली जाएगी मदद

इन तमाम स्पॉट को चिन्हित करने के बाद उन स्पॉट्स के लोंगिट्यूड और लेटिट्यूट एंड्रॉइड फोन में लिए जाएंगे. इसके बाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कंप्यूटर की मदद से एक डाटा तैयार किया जाएगा और पूरे भारत मे ऐसे तमाम स्पॉट्स को चिन्हित किया जाएगा, जहां सड़क हादसे होते हैं. डाटा के जरिए ये पता लगाया जाएगा कि उन स्पॉट्स पर हादसे के कारण क्या हैं और फिर 'E' फेक्टर का पता लगाकर उस पर कार्य किया जाएगा.

सड़क हादसों में आएगी कमी

रिसर्च वर्क पर जानकारी देते हुए एसपी शरद चौधरी ने बताया कि प्रोजेक्ट लंबा है, लेकिन यदि एक बार ये डाटा सरकार को मिल जाएगा तो सड़क हादसों में होने वाली मौतों में कमी आ सकेगी. वहीं सरकार ने इसके लिए इंटरसेप्टर भी भेजे हैं, जिनके जरिए हाईवे और उन स्पॉट्स पर जहां दुर्घटना संभावित है, उन्हें लगाया गया है. ओवरस्पीड गाड़ी चलाने वालों के साथ ही यातायात नियम तोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.

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