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Mystery: शिव को समर्पित चमत्कारी मंदिर, जो खड़ा है 5 हजार साल से बगैर नींव पर...

भारत के कोने-कोने में अनेकों रहस्यमयी ईमारतें हैं, जो अपने रहस्य के कारण चर्चाओं और आकर्षण का केंद्र बनती हैं. केवल रहस्य ही नहीं बल्कि ऐतिहासिक महत्व भी पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है. राजाओं-महाराजाओं और चोल शासकों से संबंधित ऐतिहासिक स्थल हमें इतिहास से अवगत कराती हैं और एक सीख देती है.

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कोटा का रहस्यमयी शिव मंदिर
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Published : Jan 7, 2020, 1:12 PM IST

Updated : Jan 7, 2020, 1:36 PM IST

कोटा. राजस्थान में वैसे तो लोगों की देवी-देवताओं के प्रति श्रद्धा और भक्ति भावना के अनगिनत तीर्थ स्थल हैं. कईं मंदिरों की तो अपनी-अपनी कहानियां भी हैं. जिन्हें लोग सदियों से सुनते आ रहे हैं. ऐसी ही एक कहानी कोटा के कैथून कस्बे के नजदीक बनियानी गांव में स्थित शिव मंदिर की है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसे भूत प्रेतों ने बनाया है.

कोटा का रहस्यमयी शिव मंदिर...

5 हजार साल पुराना इतिहास...

मंदिर के बार में ग्रामीणों का कहना है कि पीढ़ी दर पीढ़ी हमें यह बताया जाता है कि यह मंदिर भूतों द्वारा निर्मित है. ग्रामीणों ने बताया कि बुजुर्गों के अनुसार, उन्होंने भी अपने बचपन में लोगों से सुना है कि करीब 5 हजार साल पहले इस मंदिर का निर्माण भूतों की ओर से कराया गया है. उनके अनुसार यहां एक समतल मैदान हुआ करता था. लेकिन एक ही रात में यहां मंदिर बन गया.

मंदिर के दरवाजे पर उकेरी गई कलाकृतियां...

मंदिर के गर्भ गृह में जाने के लिए मुख्य द्वार पर कलाकृतियां उकेरी गई हैं. जो देखने में बहुत ही मोहक नजर आती हैं. जो अपने आप में इतिहास का वर्णन करती हैं, लेकिन देखरेख के आभव में कई कलाकृतियां क्षतिग्रस्त होने लगी हैं. इस मंदिर में गांव के एक पुजारी नित्य शिव की पूजा करते हैं. शिवलिंग गर्भ गृह में स्थित है.

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गर्भ गृह में स्थित शिवलिंग

बिना छत का मंदिर...

ग्रामीणों ने बताया कि उस जमाने में बहुत ही तड़के दैनिक उपभोग के लिए हाथ की चक्की से अनाज पिसा जाता था. जब भूत रात में मंदिर का निर्माण कर रहे थे तो तड़के चक्की की आवाज सुनकर भूत उस मंदिर का जितना निर्माण कर सकते थे, उसे करके चले गए. वहीं मंदिर को देखा जाए तो मंदिर की छत नहीं है और मंदिर बिना किसी जोड़ के विशालकाय पत्थरों पर खड़ा है. मंदिर में उत्कृष्ट शिल्प और कारीगरी नजर आती है. जो उस समय की याद दिलाती है.

मंदिर में लिखे हैं कुछ लेख...

मंदिर में किसी लिपि में कुछ लेख भी देखा गया है. ग्रामीणों का कहना है कि इस मंदिर में कई बार आक्रमण हुए और इसकी सुंदर मूर्तियों-कलाकृतियों को नष्ट कर दिया गया है. वहीं पर देखरेख के अभाव में समय के थपेड़ों से भी यह मंदिर जर्जर अवस्था में हो गया है.

पढ़ेंः OMG! काल बनकर फसलों पर मंडरा रही टिड्डियां, अब तो बाड़मेर के रास्ते जोधपुर में घुस आई

मंदिर के पास एक रात में बनाया सास और बहु का कुंड...

मंदिर के पास दो कुंडों के बारे में बताया जाता है कि यह कुंड सास और बहू द्वारा निर्मित है. लोगों का कहना है कि एक रात में पहले सास ने कुंड का निर्माण शुरू किया. बड़े कुंड का निर्माण होने के बाद जब बहू ने दूसरा कुंड का निर्माण करना शुरू किया तो भोर हो गई इसलिए बहू का कुंड छोटा और गहरा कुंड बन गया.

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मंदिर के पास बने एक कुंड का मनमोहक दृश्य...

हम यह नहीं कहते हैं कि इस तरह की भूत के बात का कोई प्रामाणिक या कहीं पर किसी तरह से इसका उल्लेख है, लेकिन इन ग्रामीणों की इस मंदिर के निर्माण को लेकर जो कथा है, उन्हें उस पर पूर्ण विश्वास और इस मंदिर पर पूरी आस्था है.

कोटा. राजस्थान में वैसे तो लोगों की देवी-देवताओं के प्रति श्रद्धा और भक्ति भावना के अनगिनत तीर्थ स्थल हैं. कईं मंदिरों की तो अपनी-अपनी कहानियां भी हैं. जिन्हें लोग सदियों से सुनते आ रहे हैं. ऐसी ही एक कहानी कोटा के कैथून कस्बे के नजदीक बनियानी गांव में स्थित शिव मंदिर की है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसे भूत प्रेतों ने बनाया है.

कोटा का रहस्यमयी शिव मंदिर...

5 हजार साल पुराना इतिहास...

मंदिर के बार में ग्रामीणों का कहना है कि पीढ़ी दर पीढ़ी हमें यह बताया जाता है कि यह मंदिर भूतों द्वारा निर्मित है. ग्रामीणों ने बताया कि बुजुर्गों के अनुसार, उन्होंने भी अपने बचपन में लोगों से सुना है कि करीब 5 हजार साल पहले इस मंदिर का निर्माण भूतों की ओर से कराया गया है. उनके अनुसार यहां एक समतल मैदान हुआ करता था. लेकिन एक ही रात में यहां मंदिर बन गया.

मंदिर के दरवाजे पर उकेरी गई कलाकृतियां...

मंदिर के गर्भ गृह में जाने के लिए मुख्य द्वार पर कलाकृतियां उकेरी गई हैं. जो देखने में बहुत ही मोहक नजर आती हैं. जो अपने आप में इतिहास का वर्णन करती हैं, लेकिन देखरेख के आभव में कई कलाकृतियां क्षतिग्रस्त होने लगी हैं. इस मंदिर में गांव के एक पुजारी नित्य शिव की पूजा करते हैं. शिवलिंग गर्भ गृह में स्थित है.

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गर्भ गृह में स्थित शिवलिंग

बिना छत का मंदिर...

ग्रामीणों ने बताया कि उस जमाने में बहुत ही तड़के दैनिक उपभोग के लिए हाथ की चक्की से अनाज पिसा जाता था. जब भूत रात में मंदिर का निर्माण कर रहे थे तो तड़के चक्की की आवाज सुनकर भूत उस मंदिर का जितना निर्माण कर सकते थे, उसे करके चले गए. वहीं मंदिर को देखा जाए तो मंदिर की छत नहीं है और मंदिर बिना किसी जोड़ के विशालकाय पत्थरों पर खड़ा है. मंदिर में उत्कृष्ट शिल्प और कारीगरी नजर आती है. जो उस समय की याद दिलाती है.

मंदिर में लिखे हैं कुछ लेख...

मंदिर में किसी लिपि में कुछ लेख भी देखा गया है. ग्रामीणों का कहना है कि इस मंदिर में कई बार आक्रमण हुए और इसकी सुंदर मूर्तियों-कलाकृतियों को नष्ट कर दिया गया है. वहीं पर देखरेख के अभाव में समय के थपेड़ों से भी यह मंदिर जर्जर अवस्था में हो गया है.

पढ़ेंः OMG! काल बनकर फसलों पर मंडरा रही टिड्डियां, अब तो बाड़मेर के रास्ते जोधपुर में घुस आई

मंदिर के पास एक रात में बनाया सास और बहु का कुंड...

मंदिर के पास दो कुंडों के बारे में बताया जाता है कि यह कुंड सास और बहू द्वारा निर्मित है. लोगों का कहना है कि एक रात में पहले सास ने कुंड का निर्माण शुरू किया. बड़े कुंड का निर्माण होने के बाद जब बहू ने दूसरा कुंड का निर्माण करना शुरू किया तो भोर हो गई इसलिए बहू का कुंड छोटा और गहरा कुंड बन गया.

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मंदिर के पास बने एक कुंड का मनमोहक दृश्य...

हम यह नहीं कहते हैं कि इस तरह की भूत के बात का कोई प्रामाणिक या कहीं पर किसी तरह से इसका उल्लेख है, लेकिन इन ग्रामीणों की इस मंदिर के निर्माण को लेकर जो कथा है, उन्हें उस पर पूर्ण विश्वास और इस मंदिर पर पूरी आस्था है.

Intro:भूतों ने बनाया रात भर में मंदिर भोर होने पर अधूरा छोड़ा काम कथाओं के अनुसार प्रचलित है मंदिर की कथा
आधुनिक युग मे जंहा साइंस भूत प्रेतों को नही मानता, लेकिन बनियानी गांव निवासी दो हजार सालो से कई पीढ़ियां गुजर गई।वहां स्थित शिव मंदिर का निर्माण, भूतों ने किया है।वही स्थित सास बहू की बावड़ी का निर्माण एक रात में हुआ बताया गया।
कोटा
आधुनिक युग में साइंस भले भूत प्रेत के अस्तित्व को नहीं मानता है मगर भारतीय लोग भूत प्रेत के अस्तित्व को कहीं न कहीं मानते हैं इसका एक उदाहरण कोटा जिले के कैथून कस्बे के नजदीक बनियानी गांव में देखने को मिलता है जहां पर कहते हैं कि तकरीबन 5000 साल पुराना शिव मंदिर बना हुआ है। इसके बारे में स्थानीय ग्रामीण का कहना है कि हमारे पीढ़ी दर पीढ़ी यह सुनते हैं कि यह मंदिर रात को भूतों द्वारा निर्मित है
Body:ग्रामीणों का कहना है उस जमाने में तकरीबन आज से 5000 वर्ष पूर्व यहां पर समतल मैदान हुआ करता था एक दिन जब भोर में लोगों ने उठकर देखा तो यहां पर शिव मंदिर नजर आया इन लोगों का कहना है कि यह मंदिर भूतों ने निर्माण किया था।
मंदिर का दरवाजे पर उकेरी गई कलाकृतियां:-
मंदिर के गर्भ गृह में जाने के लिए मुख्य द्वार पर कलाकृतियां उकेरी गई है।देखने में बहुत ही मोहक नजर आती है।लेकिन देखरेख के आभव में कई कलाकृतियां सतिग्रस्त होने लगी है।
हवा में लटकते मंडप के पिल्लर, बिना छत का मंडप:-
ग्रामीणों ने जानकारी देते हुये बताया कि उस जमाने में बहुत ही तड़के दैनिक उपभोग के लिए हाथ की चक्की से अनाज पिसा जाता था चक्की की आवाज सुनकर भूत उस मंदिर का जितना निर्माण हुआ था उसे करके चले गए और जब मंदिर को देखा जाए तो मंडप की छत नहीं है और मंदिर बिना किसी जोड़ के पत्थरों पर विशालकाय पत्थरो पर खड़ा है मंदिर में उत्कृष्ट शिल्प और कारीगरी नजर आती है जो समय के साथ खंडहर में तब्दील होती जा रही है।
मंदिर में किसी लिपि में कुछ लेख भी देखा गया है ग्रामीणों का कहना है कि इस मंदिर में कई बार आक्रमण हुए और इसकी सुंदर मूर्तियां कलाकृतियों को नष्ट कर दिया गया है वहीं पर देखरेख के अभाव में समय के थपेड़ों से भी यह मंदिर जर्जर अवस्था में हो गया है शिव की पूजा यहां पर गांव का एक पुजारी नित्य करते हैं शिवलिंग गर्भ ग्रह में स्थित है।
मंदिर के पास एक रात में बनाया सास ओर बहु का कुंड:-
मंदिर के पास दो कुंड के बारे में बताया जाता है कि यह कुंड सास और बहू द्वारा निर्मित है लोगों का कहना है कि एक रात में पहले सास ने कुंड का निर्माण शुरू किया बड़े कुंड का निर्माण होने के बाद जब बहू ने दूसरा कुंड का निर्माण करना शुरू किया तो भोर हो गई इस पर बहू का कुंड छोटा और गहरा कुंड है
हम यह नहीं कहते हैं कि इस तरह की भूत के बाद का कोई प्रामाणिक या कहीं पर किसी तरह से उल्लेख है मगर इन ग्रामीणों की जो इस मंदिर के निर्माण को लेकर जो कथा है उस पर पूर्ण विश्वास व इस मंदिर पर आस्था है।
Conclusion:इस मंदिर की भव्यता व इस मंदिर के कलात्मक पहलुओं को देखें तो पुरातत्व विभाग इस मंदिर की सुध ले तो उसे बचाया जा सकता हे।
बाईट-मुकेश मेरौठा, पुजारी,
बाईट-कुसुमलता, ग्रामीण
पीटीसी-त्रिभुवन सोलंकी, कंट्रीब्यूटर
Last Updated : Jan 7, 2020, 1:36 PM IST
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