कोटा. राजस्थान में वैसे तो लोगों की देवी-देवताओं के प्रति श्रद्धा और भक्ति भावना के अनगिनत तीर्थ स्थल हैं. कईं मंदिरों की तो अपनी-अपनी कहानियां भी हैं. जिन्हें लोग सदियों से सुनते आ रहे हैं. ऐसी ही एक कहानी कोटा के कैथून कस्बे के नजदीक बनियानी गांव में स्थित शिव मंदिर की है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसे भूत प्रेतों ने बनाया है.
5 हजार साल पुराना इतिहास...
मंदिर के बार में ग्रामीणों का कहना है कि पीढ़ी दर पीढ़ी हमें यह बताया जाता है कि यह मंदिर भूतों द्वारा निर्मित है. ग्रामीणों ने बताया कि बुजुर्गों के अनुसार, उन्होंने भी अपने बचपन में लोगों से सुना है कि करीब 5 हजार साल पहले इस मंदिर का निर्माण भूतों की ओर से कराया गया है. उनके अनुसार यहां एक समतल मैदान हुआ करता था. लेकिन एक ही रात में यहां मंदिर बन गया.
मंदिर के दरवाजे पर उकेरी गई कलाकृतियां...
मंदिर के गर्भ गृह में जाने के लिए मुख्य द्वार पर कलाकृतियां उकेरी गई हैं. जो देखने में बहुत ही मोहक नजर आती हैं. जो अपने आप में इतिहास का वर्णन करती हैं, लेकिन देखरेख के आभव में कई कलाकृतियां क्षतिग्रस्त होने लगी हैं. इस मंदिर में गांव के एक पुजारी नित्य शिव की पूजा करते हैं. शिवलिंग गर्भ गृह में स्थित है.
बिना छत का मंदिर...
ग्रामीणों ने बताया कि उस जमाने में बहुत ही तड़के दैनिक उपभोग के लिए हाथ की चक्की से अनाज पिसा जाता था. जब भूत रात में मंदिर का निर्माण कर रहे थे तो तड़के चक्की की आवाज सुनकर भूत उस मंदिर का जितना निर्माण कर सकते थे, उसे करके चले गए. वहीं मंदिर को देखा जाए तो मंदिर की छत नहीं है और मंदिर बिना किसी जोड़ के विशालकाय पत्थरों पर खड़ा है. मंदिर में उत्कृष्ट शिल्प और कारीगरी नजर आती है. जो उस समय की याद दिलाती है.
मंदिर में लिखे हैं कुछ लेख...
मंदिर में किसी लिपि में कुछ लेख भी देखा गया है. ग्रामीणों का कहना है कि इस मंदिर में कई बार आक्रमण हुए और इसकी सुंदर मूर्तियों-कलाकृतियों को नष्ट कर दिया गया है. वहीं पर देखरेख के अभाव में समय के थपेड़ों से भी यह मंदिर जर्जर अवस्था में हो गया है.
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मंदिर के पास एक रात में बनाया सास और बहु का कुंड...
मंदिर के पास दो कुंडों के बारे में बताया जाता है कि यह कुंड सास और बहू द्वारा निर्मित है. लोगों का कहना है कि एक रात में पहले सास ने कुंड का निर्माण शुरू किया. बड़े कुंड का निर्माण होने के बाद जब बहू ने दूसरा कुंड का निर्माण करना शुरू किया तो भोर हो गई इसलिए बहू का कुंड छोटा और गहरा कुंड बन गया.
हम यह नहीं कहते हैं कि इस तरह की भूत के बात का कोई प्रामाणिक या कहीं पर किसी तरह से इसका उल्लेख है, लेकिन इन ग्रामीणों की इस मंदिर के निर्माण को लेकर जो कथा है, उन्हें उस पर पूर्ण विश्वास और इस मंदिर पर पूरी आस्था है.