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कोटा: बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए आगे आए समाजसेवी, 20 से ज्यादा भोजनशाला संचालित - कोटा न्यूज

बाढ़ पीड़ितों के लिए करीब 20 से ज्यादा जगह भोजनशाला संचालित की जा रही है. जहां पर लोगों को भोजन उपलब्ध करवाया जा रहा है. भोजनशाला में स्थानीय लोग ही भोजन बना रहे हैं. भोजन पैकिटों को पैक कर बस्तियों में पहुंचा रहे है.

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Published : Sep 17, 2019, 7:29 PM IST

कोटा. जिले में बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. चंबल के किनारे की बस्तियों में लोगों के घर क्षतिग्रस्त हो गए और राशन बह गया है. ऐसे में उनके सामने अब खाने-पीने का संकट भी पैदा हो गया है. जो लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकले थे, उन्हें तो भोजन की भी समस्या सामने आ गई थी. ऐसे में शहर की कई सामाजिक संस्थाएं और लोग आगे आए हैं.

बाढ़ प्रभावित इला में 20 से ज्यादा भोजनशालाएं संचालित

सामाजिक संस्थाओं की ओर से करीब 20 से ज्यादा जगहों पर भोजनशाला संचालित की जा रही है. जहां लोगों के लिए भोजन उपलब्ध करवाया जा रहा है. इन भोजनशालाओं में स्थानीय लोग ही खाना बना रहे हैं और वहीं पैकिंग का काम भी कर रहे हैं. ताकि जिन लोगों का बाढ़ में सब कुछ बह गया है उन्हें 2 वक्त की रोटी तो ठीक से नसीब हो सके. इस काम में कोटा शहर के करीब 300 लोग जुटे हुए हैं. जो अपने स्तर पर ही भोजनशालाओं को संचालित कर रहे हैं.

पढ़ें: गहलोत की 'सर्जिकल स्ट्राइक' : ना बसपा को भनक लगी, ना राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष पायलट को...

समाजसेवियों द्वारा की जा रही कोशिशें

वहीं समाजसेवी लोग भोजन बनवाकर इन कच्ची बस्ती और चंबल के किनारे की कॉलोनियों में जा रहे हैं और लोगों को खाना उपलब्ध करवा रहे हैं. साथ ही उनके लिए टैंकर लगाकर पानी की व्यवस्था भी लगातार किए जा रहे हैं.

समाजसेवी विश्वनाथ शर्मा का कहना है कि वह बीते 3 दिनों में करीब 5 से 6 हजार लोगों को भोजन उपलब्ध करवा चुके हैं. साथ ही उनके लिए टैंकर की व्यवस्था भी वे कर रहे हैं.
इसके अलावा बालिता रोड पर भोजनशाला संचालित कर रहे पवन शर्मा का कहना है कि रोज 2000 लोगों के लिए भोजन बनवा रहे हैं और बस्तियों में जाकर बांट रहे हैं. जहां पर लोगों का सब कुछ बह चुका है. उनका कहना है कि इस भोजनशाला में उनके स्थानीय साथी ही उनकी मदद कर रहे हैं. वे खुद पुड़िया बना रहे हैं और सब्जी भी खुद ही बना रहे हैं. साथ ही भोजन पैकिटों को पैक कर बस्तियों में पहुंचा रहे है. जितना खाना बनता है. उन्हें बस्तियों में बांटने के लिए रवाना हो जाते हैं.

कोटा. जिले में बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. चंबल के किनारे की बस्तियों में लोगों के घर क्षतिग्रस्त हो गए और राशन बह गया है. ऐसे में उनके सामने अब खाने-पीने का संकट भी पैदा हो गया है. जो लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकले थे, उन्हें तो भोजन की भी समस्या सामने आ गई थी. ऐसे में शहर की कई सामाजिक संस्थाएं और लोग आगे आए हैं.

बाढ़ प्रभावित इला में 20 से ज्यादा भोजनशालाएं संचालित

सामाजिक संस्थाओं की ओर से करीब 20 से ज्यादा जगहों पर भोजनशाला संचालित की जा रही है. जहां लोगों के लिए भोजन उपलब्ध करवाया जा रहा है. इन भोजनशालाओं में स्थानीय लोग ही खाना बना रहे हैं और वहीं पैकिंग का काम भी कर रहे हैं. ताकि जिन लोगों का बाढ़ में सब कुछ बह गया है उन्हें 2 वक्त की रोटी तो ठीक से नसीब हो सके. इस काम में कोटा शहर के करीब 300 लोग जुटे हुए हैं. जो अपने स्तर पर ही भोजनशालाओं को संचालित कर रहे हैं.

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समाजसेवियों द्वारा की जा रही कोशिशें

वहीं समाजसेवी लोग भोजन बनवाकर इन कच्ची बस्ती और चंबल के किनारे की कॉलोनियों में जा रहे हैं और लोगों को खाना उपलब्ध करवा रहे हैं. साथ ही उनके लिए टैंकर लगाकर पानी की व्यवस्था भी लगातार किए जा रहे हैं.

समाजसेवी विश्वनाथ शर्मा का कहना है कि वह बीते 3 दिनों में करीब 5 से 6 हजार लोगों को भोजन उपलब्ध करवा चुके हैं. साथ ही उनके लिए टैंकर की व्यवस्था भी वे कर रहे हैं.
इसके अलावा बालिता रोड पर भोजनशाला संचालित कर रहे पवन शर्मा का कहना है कि रोज 2000 लोगों के लिए भोजन बनवा रहे हैं और बस्तियों में जाकर बांट रहे हैं. जहां पर लोगों का सब कुछ बह चुका है. उनका कहना है कि इस भोजनशाला में उनके स्थानीय साथी ही उनकी मदद कर रहे हैं. वे खुद पुड़िया बना रहे हैं और सब्जी भी खुद ही बना रहे हैं. साथ ही भोजन पैकिटों को पैक कर बस्तियों में पहुंचा रहे है. जितना खाना बनता है. उन्हें बस्तियों में बांटने के लिए रवाना हो जाते हैं.

Intro:बाढ़ पीड़ितों के लिए करीब 20 से ज्यादा जगह भोजनशाला संचालित की जा रही है. जहां पर लोगों को भोजन उपलब्ध करवाया जा रहा है. भोजनशाला में स्थानीय लोग ही भोजन बना रहे हैं. भोजन पैकिटों को पैक कर बस्तियों में पहुंचा रहे है.


Body:कोटा.
कोटा में बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. चंबल के किनारे की बस्तियों में लोगों के घर और राशन सब बह गए हैं. ऐसे में उनके सामने अब खाने पीने का संकट भी पैदा हो गया है. जो लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकले थे, उन्हें तो भोजन की भी समस्या सामने आ गई थी. ऐसे में शहर की कई सामाजिक संस्थाएं और लोग आगे आए हैं. करीब 20 से ज्यादा जगह भोजनशाला संचालित की जा रही है. जहां पर लोगों को बुलाकर भोजन उपलब्ध करवाया जा रहा है. इन भोजनशालाओ में स्थानीय लोग ही खाना बना रहे हैं और वही पैकिंग का काम भी कर रहे हैं. ताकि जिन लोगों का बाढ़ में सब कुछ बन गया है उन्हें 2 जून की रोटी तो ठीक से नसीब हो सके. इस काम में कोटा शहर के करीब 300 लोग जुटे हुए हैं. जो अपने स्तर पर ही भोजनशालाओं को संचालित कर रहे हैं.
वहीं समाजसेवी लोग भोजन बनवाकर इन कच्ची बस्ती और चंबल के किनारे की कॉलोनियों में जा रहे हैं और लोगों को खाना उपलब्ध करवा रहे हैं. साथ ही उनके लिए टैंकर लगाकर पानी की व्यवस्था भी लगातार किए जा रहे हैं.


Conclusion:समाजसेवी विश्वनाथ शर्मा का कहना है कि वह बीते 3 दिनों में करीब 5 से 6 हजार लोगों को भोजन उपलब्ध करवा चुके हैं. साथ ही उनके लिए टैंकर की व्यवस्था भी वे कर रहे हैं.
इसके अलावा बालिता रोड पर भोजनशाला संचालित कर रहे पवन शर्मा का कहना है कि रोज 2000 लोगों के लिए भोजन बनवा रहे हैं और बस्तियों में जाकर बांट रहे हैं. जहां पर लोगों का सब कुछ बह चुका है. उनका कहना है कि इस भोजनशाला में उनके स्थानीय साथी ही उनकी मदद कर रहे हैं. वे खुद पुड़िया बना रहे हैं और सब्जी भी खुद ही बना रहे हैं. साथ ही भोजन पैकिटों को पैक कर बस्तियों में पहुंचा रहे है. जितना खाना बनता है. उन्हें बस्तियों में बांटने के लिए रवाना हो जाते हैं.


बाइट-- विश्वनाथ शर्मा, समाजसेवी
बाइट-- पवन शर्मा, समाजसेवी
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