कोटा. जिले में बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. चंबल के किनारे की बस्तियों में लोगों के घर क्षतिग्रस्त हो गए और राशन बह गया है. ऐसे में उनके सामने अब खाने-पीने का संकट भी पैदा हो गया है. जो लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकले थे, उन्हें तो भोजन की भी समस्या सामने आ गई थी. ऐसे में शहर की कई सामाजिक संस्थाएं और लोग आगे आए हैं.
सामाजिक संस्थाओं की ओर से करीब 20 से ज्यादा जगहों पर भोजनशाला संचालित की जा रही है. जहां लोगों के लिए भोजन उपलब्ध करवाया जा रहा है. इन भोजनशालाओं में स्थानीय लोग ही खाना बना रहे हैं और वहीं पैकिंग का काम भी कर रहे हैं. ताकि जिन लोगों का बाढ़ में सब कुछ बह गया है उन्हें 2 वक्त की रोटी तो ठीक से नसीब हो सके. इस काम में कोटा शहर के करीब 300 लोग जुटे हुए हैं. जो अपने स्तर पर ही भोजनशालाओं को संचालित कर रहे हैं.
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समाजसेवियों द्वारा की जा रही कोशिशें
वहीं समाजसेवी लोग भोजन बनवाकर इन कच्ची बस्ती और चंबल के किनारे की कॉलोनियों में जा रहे हैं और लोगों को खाना उपलब्ध करवा रहे हैं. साथ ही उनके लिए टैंकर लगाकर पानी की व्यवस्था भी लगातार किए जा रहे हैं.
समाजसेवी विश्वनाथ शर्मा का कहना है कि वह बीते 3 दिनों में करीब 5 से 6 हजार लोगों को भोजन उपलब्ध करवा चुके हैं. साथ ही उनके लिए टैंकर की व्यवस्था भी वे कर रहे हैं.
इसके अलावा बालिता रोड पर भोजनशाला संचालित कर रहे पवन शर्मा का कहना है कि रोज 2000 लोगों के लिए भोजन बनवा रहे हैं और बस्तियों में जाकर बांट रहे हैं. जहां पर लोगों का सब कुछ बह चुका है. उनका कहना है कि इस भोजनशाला में उनके स्थानीय साथी ही उनकी मदद कर रहे हैं. वे खुद पुड़िया बना रहे हैं और सब्जी भी खुद ही बना रहे हैं. साथ ही भोजन पैकिटों को पैक कर बस्तियों में पहुंचा रहे है. जितना खाना बनता है. उन्हें बस्तियों में बांटने के लिए रवाना हो जाते हैं.