सांगोद (कोटा). सांगोद उपखंड मुख्यालय से करीब 11 किलोमीटर दूर लसेडिया गांव में है. जहां लकवेश्वर बालाजी का मंदिर है. वहां लोगों की मान्यता है कि यहां बालाजी, लकवे की बीमारी का इलाज करते है. दावा है कि यहां लकवे और कैंसर जैसी बीमारियों से जूझते हर व्यक्ति की बीमारी दूर होती है. मान्यता यह भी है कि यहां लकवे से पीड़ित हर व्यक्ति को यहां आकर राहत मिलती है. मंदिर में रोगी दूसरों के सहारे आता है, लेकिन जाता अपने आप है.
लकवे से पीड़ित बच्ची ने पिता ने बताया चमत्कार
वहीं एक बीमारी से पीड़ित के पिता ने बताया कि यहां पर लकवे से ग्रसित रोगी आते है और इसलिए वो अपनी बाच्ची को लेकर यहां आए है. यहां 7 शानिवार तक आना पड़ता है. उन्होंने बताया कि उनकी बालिका जो कि पहले चल फिर नहीं सकती थी. आज उसने बालाजी की एक परिक्रमा पूरी की है. बता दें कि हनुमान मंदिर के प्रति क्षेत्र के लोगों में अगाध आस्था है. नवरात्रि में तो यह पैर रखने तक कि जगह नहीं होती है. वहीं मंगलवार और शनिवार को श्रद्धालुओं की खासी भीड़ रहती है.
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पूजा-अर्चना करने मात्र से ही कई प्रकार लकवे की बीमारी हो जाती है दूर
दूरदराज के बड़ी संख्या में श्रद्धालु लकश्वेर बालाजी के पहुंचते हैं. इनमें लकवे से ग्रसित मरीजों की संख्या अधिक होती है. यहां पूजा-अर्चना करने मात्र से ही कई प्रकार लकवे की बीमारी दूर हो जाती है. वहीं ईटीवी भारत से बात करते हुए एक रोगी के पुत्र दिनेश मेरोठा ने बताया की उसके पिता पहले तो चल फिर भी नहीं सकते थे और देख भी नहीं पाते थे. यही नहीं सोचने समझने और किसी को पहचानने की क्षमता तक नहीं थी. लेकिन बालाजी के दर पर आने से इनकी हालत में काफी हद तक सुधार हुआ है. वहीं लकवे से पीड़ित रामनिवास ने बताया कि पहले उनका एक हाथ और पैर काम नहीं कर सकता था. लेकिन अभी वो चल सकते है. वहीं मंदिर के पुजारी महावीर शर्मा ने बताया कि मेरे पूर्वज कई सालों से मंदिर की पूजा करते आ रहे है. लोगों की अगाध आस्था है. यहां लकवे-कैंसर जैसी बीमारियों का इलाज पूजा अर्चना मात्र से ही हो जाता है.
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लकवेश्वर धाम मंदिर का इतिहास
बताया जाता है कि यहां पर शांति दास जी महाराज के द्वारा तपस्या की गई थी. फिर तपस्या पूरी होने के बाद में समस्त ग्रामवासी मंदिर पर इकट्ठा हुए. इस दौरान शांति दास जी महाराज ने गांव के लोगों को बताया कि मंदिर पर आने वाले समय में कई प्रकार के रोगों से निजात मिलेगी, विशेषकर लकवा नामक बीमारी से ग्रसित लोगों का पूजा मात्र से ही यहां उपचार सम्भव होगा. वहीं जानकारी ये भी सामने आई कि यहां कई साल पहले ठाकुर अनार सिंह इस बीमारी से ग्रसित हुए. जिन्हें बालाजी के दरबार लाया गया और तत्काल उनकी बीमारी ठीक हो गई. उसी समय से हनुमान मंदिर को यहां लकवेश्वर हनुमान मंदिर के नाम से ख्याति मिली. बताया जाता है कि कितने मरीज यहां ठीक हुए है इसकी गिनती नहीं की जा सकती. आज लकवेश्वर मंदिर एक तपोभूमि बन चुका है.