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स्पेशल रिपोर्ट: लकवेश्वर हनुमान मंदिर..जहां आने से लकवा पीड़ित हो जाते है रोग मुक्त

राजस्थान में ऐसे कई चमत्कारी स्थान है. जहां बताया जाता है कि वहां आने से सारे दुख दर्द दूर हो जाते है. कोटा के सांगोद में ऐसा ही एक चमत्कारी देव स्थल लकवेश्वर हनुमान मंदिर है. जहां लोगों की मान्यता है कि यहां बालाजी द्वारा लकवे की बीमारी का इलाज किया जाता है.

लकवेश्वर हनुमान मंदिर, Lakhveshwar Balaji Temple
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Published : Oct 8, 2019, 7:53 PM IST

सांगोद (कोटा). सांगोद उपखंड मुख्यालय से करीब 11 किलोमीटर दूर लसेडिया गांव में है. जहां लकवेश्वर बालाजी का मंदिर है. वहां लोगों की मान्यता है कि यहां बालाजी, लकवे की बीमारी का इलाज करते है. दावा है कि यहां लकवे और कैंसर जैसी बीमारियों से जूझते हर व्यक्ति की बीमारी दूर होती है. मान्यता यह भी है कि यहां लकवे से पीड़ित हर व्यक्ति को यहां आकर राहत मिलती है. मंदिर में रोगी दूसरों के सहारे आता है, लेकिन जाता अपने आप है.

लकवेश्वर हनुमान मंदिर..जहां आने से लकवा पीड़ित हो जाते है रोग मुक्त

लकवे से पीड़ित बच्ची ने पिता ने बताया चमत्कार
वहीं एक बीमारी से पीड़ित के पिता ने बताया कि यहां पर लकवे से ग्रसित रोगी आते है और इसलिए वो अपनी बाच्ची को लेकर यहां आए है. यहां 7 शानिवार तक आना पड़ता है. उन्होंने बताया कि उनकी बालिका जो कि पहले चल फिर नहीं सकती थी. आज उसने बालाजी की एक परिक्रमा पूरी की है. बता दें कि हनुमान मंदिर के प्रति क्षेत्र के लोगों में अगाध आस्था है. नवरात्रि में तो यह पैर रखने तक कि जगह नहीं होती है. वहीं मंगलवार और शनिवार को श्रद्धालुओं की खासी भीड़ रहती है.

लकवेश्वर हनुमान मंदिर, Lakhveshwar Balaji Temple
सांगोद से करीब 11 किमी दूर लसेडिया गांव में कवेश्वर हनुमान मंदिर.

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: अजमेर में सगाई वाले बालाजी कुंवारों को देते हैं शादी का आशीर्वाद

पूजा-अर्चना करने मात्र से ही कई प्रकार लकवे की बीमारी हो जाती है दूर
दूरदराज के बड़ी संख्या में श्रद्धालु लकश्वेर बालाजी के पहुंचते हैं. इनमें लकवे से ग्रसित मरीजों की संख्या अधिक होती है. यहां पूजा-अर्चना करने मात्र से ही कई प्रकार लकवे की बीमारी दूर हो जाती है. वहीं ईटीवी भारत से बात करते हुए एक रोगी के पुत्र दिनेश मेरोठा ने बताया की उसके पिता पहले तो चल फिर भी नहीं सकते थे और देख भी नहीं पाते थे. यही नहीं सोचने समझने और किसी को पहचानने की क्षमता तक नहीं थी. लेकिन बालाजी के दर पर आने से इनकी हालत में काफी हद तक सुधार हुआ है. वहीं लकवे से पीड़ित रामनिवास ने बताया कि पहले उनका एक हाथ और पैर काम नहीं कर सकता था. लेकिन अभी वो चल सकते है. वहीं मंदिर के पुजारी महावीर शर्मा ने बताया कि मेरे पूर्वज कई सालों से मंदिर की पूजा करते आ रहे है. लोगों की अगाध आस्था है. यहां लकवे-कैंसर जैसी बीमारियों का इलाज पूजा अर्चना मात्र से ही हो जाता है.

लकवेश्वर हनुमान मंदिर, Lakhveshwar Balaji Temple
सांगोद से करीब 11 किमी दूर लसेडिया गांव में कवेश्वर हनुमान मंदिर.

पढ़ें- क्या आप जानते हैं नारायण के हाथों में चक्र कहां से आया

लकवेश्वर धाम मंदिर का इतिहास
बताया जाता है कि यहां पर शांति दास जी महाराज के द्वारा तपस्या की गई थी. फिर तपस्या पूरी होने के बाद में समस्त ग्रामवासी मंदिर पर इकट्ठा हुए. इस दौरान शांति दास जी महाराज ने गांव के लोगों को बताया कि मंदिर पर आने वाले समय में कई प्रकार के रोगों से निजात मिलेगी, विशेषकर लकवा नामक बीमारी से ग्रसित लोगों का पूजा मात्र से ही यहां उपचार सम्भव होगा. वहीं जानकारी ये भी सामने आई कि यहां कई साल पहले ठाकुर अनार सिंह इस बीमारी से ग्रसित हुए. जिन्हें बालाजी के दरबार लाया गया और तत्काल उनकी बीमारी ठीक हो गई. उसी समय से हनुमान मंदिर को यहां लकवेश्वर हनुमान मंदिर के नाम से ख्याति मिली. बताया जाता है कि कितने मरीज यहां ठीक हुए है इसकी गिनती नहीं की जा सकती. आज लकवेश्वर मंदिर एक तपोभूमि बन चुका है.

सांगोद (कोटा). सांगोद उपखंड मुख्यालय से करीब 11 किलोमीटर दूर लसेडिया गांव में है. जहां लकवेश्वर बालाजी का मंदिर है. वहां लोगों की मान्यता है कि यहां बालाजी, लकवे की बीमारी का इलाज करते है. दावा है कि यहां लकवे और कैंसर जैसी बीमारियों से जूझते हर व्यक्ति की बीमारी दूर होती है. मान्यता यह भी है कि यहां लकवे से पीड़ित हर व्यक्ति को यहां आकर राहत मिलती है. मंदिर में रोगी दूसरों के सहारे आता है, लेकिन जाता अपने आप है.

लकवेश्वर हनुमान मंदिर..जहां आने से लकवा पीड़ित हो जाते है रोग मुक्त

लकवे से पीड़ित बच्ची ने पिता ने बताया चमत्कार
वहीं एक बीमारी से पीड़ित के पिता ने बताया कि यहां पर लकवे से ग्रसित रोगी आते है और इसलिए वो अपनी बाच्ची को लेकर यहां आए है. यहां 7 शानिवार तक आना पड़ता है. उन्होंने बताया कि उनकी बालिका जो कि पहले चल फिर नहीं सकती थी. आज उसने बालाजी की एक परिक्रमा पूरी की है. बता दें कि हनुमान मंदिर के प्रति क्षेत्र के लोगों में अगाध आस्था है. नवरात्रि में तो यह पैर रखने तक कि जगह नहीं होती है. वहीं मंगलवार और शनिवार को श्रद्धालुओं की खासी भीड़ रहती है.

लकवेश्वर हनुमान मंदिर, Lakhveshwar Balaji Temple
सांगोद से करीब 11 किमी दूर लसेडिया गांव में कवेश्वर हनुमान मंदिर.

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: अजमेर में सगाई वाले बालाजी कुंवारों को देते हैं शादी का आशीर्वाद

पूजा-अर्चना करने मात्र से ही कई प्रकार लकवे की बीमारी हो जाती है दूर
दूरदराज के बड़ी संख्या में श्रद्धालु लकश्वेर बालाजी के पहुंचते हैं. इनमें लकवे से ग्रसित मरीजों की संख्या अधिक होती है. यहां पूजा-अर्चना करने मात्र से ही कई प्रकार लकवे की बीमारी दूर हो जाती है. वहीं ईटीवी भारत से बात करते हुए एक रोगी के पुत्र दिनेश मेरोठा ने बताया की उसके पिता पहले तो चल फिर भी नहीं सकते थे और देख भी नहीं पाते थे. यही नहीं सोचने समझने और किसी को पहचानने की क्षमता तक नहीं थी. लेकिन बालाजी के दर पर आने से इनकी हालत में काफी हद तक सुधार हुआ है. वहीं लकवे से पीड़ित रामनिवास ने बताया कि पहले उनका एक हाथ और पैर काम नहीं कर सकता था. लेकिन अभी वो चल सकते है. वहीं मंदिर के पुजारी महावीर शर्मा ने बताया कि मेरे पूर्वज कई सालों से मंदिर की पूजा करते आ रहे है. लोगों की अगाध आस्था है. यहां लकवे-कैंसर जैसी बीमारियों का इलाज पूजा अर्चना मात्र से ही हो जाता है.

लकवेश्वर हनुमान मंदिर, Lakhveshwar Balaji Temple
सांगोद से करीब 11 किमी दूर लसेडिया गांव में कवेश्वर हनुमान मंदिर.

पढ़ें- क्या आप जानते हैं नारायण के हाथों में चक्र कहां से आया

लकवेश्वर धाम मंदिर का इतिहास
बताया जाता है कि यहां पर शांति दास जी महाराज के द्वारा तपस्या की गई थी. फिर तपस्या पूरी होने के बाद में समस्त ग्रामवासी मंदिर पर इकट्ठा हुए. इस दौरान शांति दास जी महाराज ने गांव के लोगों को बताया कि मंदिर पर आने वाले समय में कई प्रकार के रोगों से निजात मिलेगी, विशेषकर लकवा नामक बीमारी से ग्रसित लोगों का पूजा मात्र से ही यहां उपचार सम्भव होगा. वहीं जानकारी ये भी सामने आई कि यहां कई साल पहले ठाकुर अनार सिंह इस बीमारी से ग्रसित हुए. जिन्हें बालाजी के दरबार लाया गया और तत्काल उनकी बीमारी ठीक हो गई. उसी समय से हनुमान मंदिर को यहां लकवेश्वर हनुमान मंदिर के नाम से ख्याति मिली. बताया जाता है कि कितने मरीज यहां ठीक हुए है इसकी गिनती नहीं की जा सकती. आज लकवेश्वर मंदिर एक तपोभूमि बन चुका है.

Intro:Body:सांगोद(कोटा)
मोतीलाल सुमन
नवरात्रा स्पेशल स्टोरी

चमत्कारिक देव स्थल लखवेश्वर हनुमान मंदिर लसेडिया कलां

सांगोद उपखंड मुख्यालय से करीब 11 किलोमीटर दूर लसेडिया गांव में है लखवेश्वर बालाजी का मंदिर जहा लोगों की मान्यता है कि यहां बालाजी द्वारा लकवे की बीमारी का इलाज किया जाता है कमोलर पंचायत के लसेडिया कलां गांव में स्थित लखवेश्वर हनुमान मंदिर किसी चमत्कारी जगह से कम नहीं है दावा है कि यहां लकवे ओर कैंसर जैसी बीमारियों से झुझते हर व्यक्ति की बीमारी दूर होती है मान्यता यह भी है कि यहां लकवे से पीड़ित हर व्यक्ति को राहत मिलती है वो आता दूसरों के सहारे है लेकिन जाता अपने आप है बीमारी से पीड़ित चंचला के पिता निरंजन गौत्तम से बात की उन्होंने बताया कि यहां पर लकवे से ग्रसित रोगी आते है ओर भी अपनी बालिका को लेकर यहां आया हु यहां 7 शानिवार तक आना पड़ता है।मेरी बालिका जो कि पहले चल फिर नही सकती थी आज उसने बालाजी की एक परिक्रमा पूरी की है ।बपावर कमोलर मार्ग से महज 3 किलोमीटर दूर स्थित लखवेश्वर हनुमान मंदिर के प्रति क्षेत्र के लोगो मे अगाध आस्था है नवरात्रा में तो यह पेर रखने तक कि जगह नही मिलती मंगलवार और शनिवार को श्रद्धालुओं की खासी भीड़ यहां रहती है दर्शनों के लिए लोग लालायित रहते हैं मेले सा माहौल बना रहता है। दूरदराज के बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं इनमें लकवे से ग्रसित मरीजों की संख्या अधिक होती है यहां पूजा-अर्चना करने मात्र से ही कई प्रकार लकवे की बीमारी दूर हो जाती है वही दूसरी रोगी के पुत्र दिनेश मेरोठा ने बताया की पहले तो ये चल फिर नही सकते थे और देख भी नही पाते थे यही नही सोचने समझने की ओर किसी को पहचानने की समता तक नही थी बालाजी के दर पर आने से इनकी हालत में काफ़ी हद तक सुधार हुवा है ।ऐसे में यहां बड़ी संख्या में लकवे से पीड़ित मरीज पहुंचते हैं।लकवे से पीड़ित रामनिवास ने बताया कि पहले मेरा एक हाथ और पेर काम नही कर सकता था पर अभी में चल फिर सकता था डॉक्टर ने भी यहां आने की सलाह दी थी।वही पुजारी महावीर शर्मा ने बताया कि में ओर मेरे पूर्वज कई सालों से मंदिर की पूजा करते आ रहे लोगो की अगाध आस्था है यहां लकवे केंसर जैसी बीमारियों का इलाज पूजा अर्चना मात्र से ही हो जाता है

लखवेश्वर धाम मंदिर का विवरण
यहां पर शांति दास जी महाराज के द्वारा तपस्या करि गई तपस्या पूरी होने के बाद में समस्त ग्राम वासी मंदिर पर इकट्ठा हुए ओर शांति दास जी महाराज ने ग्राम वासियों को बताया कि मंदिर पर आने वाले समय में कई प्रकार के रोगों से निजात मिलेगी ।विशेष कर लकवा नामक बीमारी से ग्रसित लोगो का पूजा मात्र से ही यहां उपचार सम्भव होगो ।कई साल पहले ठाकुर अनार सिंग इस बीमारी से ग्रसित हुवे जिन्हें बालाजी के दरबार लाया गया ओर तत्काल उनकी बीमारी ठीक हो गई। उसी समय से हनुमान मंदिर को यहाँ लखवेश्वर हनुमान मंदिर के नाम से ख्याति मिली ।कितने मरीज यहाँ ठीक हुवे इसकी गिनती नही की जा सकती । निसंतान लोगो को संतान प्राप्ति भी यहां हुई है । कैसंर से पीड़ित लोगों तक इलाज यहां पूजा मात्र से ही हुवा है।आज ये एक तपोभूमि बन चुका है ।
बाईट निरंजन शर्मा,रोगी चंचला के पिता
बाईट दिनेश मेरोठा रोगी के पुत्र
बाईट रामनिवास स्वयं रोगी
बाईट महावीर शर्मा मंदिर के पुजारीConclusion:
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