ETV Bharat / city

कोटा में पानी का कहर, इटावा क्षेत्र में 100 से ज्यादा मकान धराशायी

कोटा जिले के इटावा क्षेत्र की निचली बस्तियों में नदी का पानी आने से 100 से ज्यादा मकान धाराशायी हो गए हैं. स्थानीय लोगों ने इसका जिम्मेदार नगर पालिका प्रशासन को ठहराया है.

इटावा में तबाह हुए घर, Destroyed homes in Etawah
author img

By

Published : Sep 19, 2019, 4:56 AM IST

कोटा. जिले के इटावा क्षेत्र में बारिश के कहर के बाद बुधवार को इटावा नगर की निचली बस्तियों के कई मकान धराशायी हो गए. वहीं कई परिवार घर से बेघर भी हो गए. जानकारी के मुताबिक इटावा नगर में 100 से अधिक मकान धराशायी हो गए हैं.जिसके बाद कई परिवारों के सामने दो जून की रोटी का भी संकट आ खड़ा हो गया है.

कोटा के इटावा क्षेत्र में नदी का पानी घुसने से कई घर तबाह

इटावा में धराशायी हुए मकानों को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने इन लोगों के बीच पहुंचकर इनसे इनकी पीड़ा बांटी और इनके दर्द में हमदर्द बनने का प्रयास किया.इस दौरान हमने सबसे पहले बाढ़ पीड़िता दाखा बाई से बात की. उन्होंने बताया कि रात में अचानक नदी में पानी बढ़ गया जिसके बाद हम सब अपनी जान बचाकर घर छोड़कर भागे और कृषिमंडी में शरण ली.

पढ़ें. लाखों हेक्टेयर खरीफ फसलों की बर्बादी के बाद बेबस 'धरती पुत्र' कर रहे मुआवजे की मांग

इसके बाद हमने स्थानीय निवासी राधेश्याम से बात की तो उन्होंने इसका जिम्मेदार नगरपालिका को बताया उन्होंने बताया कि नगरपालिका ने समय पर पानी के बढ़ते स्तर की सूचना नहीं दी जिसके कारण हमारे सामने समस्या आई जिससे हम अपने घरों से कुछ नहीं निकाल पाए और सब बर्बाद हो गया.

रतन सिंह नाम के व्यक्ति से हमने बात की तो उनका कहना था कि दुख की इस घड़ी में किसी ने साथ नहीं दिया और प्रशासन की अनदेखी के चलते हमारे जान के भी लाले पड़ गए. आगे उन्होंने बताया कि बच्चे, बच्चियों को लेकर पानी से निकलकर अपनी जान बचाई है लेकिन अब खाने के लिए न दाना है न रहने के लिए छत जिसके करण काफी परेशानी आ रही है.

कोटा. जिले के इटावा क्षेत्र में बारिश के कहर के बाद बुधवार को इटावा नगर की निचली बस्तियों के कई मकान धराशायी हो गए. वहीं कई परिवार घर से बेघर भी हो गए. जानकारी के मुताबिक इटावा नगर में 100 से अधिक मकान धराशायी हो गए हैं.जिसके बाद कई परिवारों के सामने दो जून की रोटी का भी संकट आ खड़ा हो गया है.

कोटा के इटावा क्षेत्र में नदी का पानी घुसने से कई घर तबाह

इटावा में धराशायी हुए मकानों को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने इन लोगों के बीच पहुंचकर इनसे इनकी पीड़ा बांटी और इनके दर्द में हमदर्द बनने का प्रयास किया.इस दौरान हमने सबसे पहले बाढ़ पीड़िता दाखा बाई से बात की. उन्होंने बताया कि रात में अचानक नदी में पानी बढ़ गया जिसके बाद हम सब अपनी जान बचाकर घर छोड़कर भागे और कृषिमंडी में शरण ली.

पढ़ें. लाखों हेक्टेयर खरीफ फसलों की बर्बादी के बाद बेबस 'धरती पुत्र' कर रहे मुआवजे की मांग

इसके बाद हमने स्थानीय निवासी राधेश्याम से बात की तो उन्होंने इसका जिम्मेदार नगरपालिका को बताया उन्होंने बताया कि नगरपालिका ने समय पर पानी के बढ़ते स्तर की सूचना नहीं दी जिसके कारण हमारे सामने समस्या आई जिससे हम अपने घरों से कुछ नहीं निकाल पाए और सब बर्बाद हो गया.

रतन सिंह नाम के व्यक्ति से हमने बात की तो उनका कहना था कि दुख की इस घड़ी में किसी ने साथ नहीं दिया और प्रशासन की अनदेखी के चलते हमारे जान के भी लाले पड़ गए. आगे उन्होंने बताया कि बच्चे, बच्चियों को लेकर पानी से निकलकर अपनी जान बचाई है लेकिन अब खाने के लिए न दाना है न रहने के लिए छत जिसके करण काफी परेशानी आ रही है.

Intro:इटावा में बाढ़ के बाद कई परिवार हुए बेघर
बाढ़ के पानी के साथ बह गए परिवारों के अरमान
सौ से अधिक कच्चे मकान हुए धराशाही
बेघर हुए परिवारों के सामने आया भारी संकट
अब कैसे करे जीवन का गुजारा न खाने को दाना न रहने को छत
इटावा नगर की खांकि बस्ती की है कहानीBody:कोटा जिले के इटावा क्षेत्र में बारिश के कहर के बाद इटावा नगर की निचली बस्तियों के कई आशियाने धराशाही हो गए और कई परिवार बेघर हो गए इटावा नगर में 100 से अधिक मकान धराशाही हो गए है जिसके बाद कई परिवारों के सामने दो जून की रोटी का भी संकट आ गया है इटावा में धराशाही हुए मकानों को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने इन लोगो के बीच पहुंचकर इनसे इनकी पीड़ा बांटी और इनके दर्द में हमदर्द बनने का प्रयास किया
इस दौरान बाढ़ पीड़िता दाखा बाई ने बताया कि रात में अचानक नदी में पानी बढ़ गया जिसके बाद अपनी जान बचाकर घर छोड़कर भागे और कृषिमंडी में शरण ली तो जान बच पाई वही स्थानीय निवासी राधेश्याम ने नगरपालिका को कोसते हुए बताया कि नगरपालिका ने समय पर पानी के बढ़ते स्तर की सूचना नही दी जिसके कारण हमारे सामने समस्या आई और हम अपने घरों से कुछ नही निकाल पाए और सब बर्बाद हो गया
वही रतन सिंह का कहना है कि दुख की इस घड़ी में किसी ने साथ नही दिया और प्रशासन की अनदेखी के चलते हमारे जान की भी लाले पड़ गए तो बच्चो बच्चियों को लेकर पानी से निकलकर अपनी जान बचाई है लेकिन अब खाने के लिए न दाना है न रहने के लिए छत जिसके करण काफी परेशानी आरही है
बहरहाल नगरपालिका की अनदेखी कहे या लापरवाही लेकिन समय रहते इनको सूचना नही मिलने से इनका सब कुछ तो तबाह हो ही गया लेकिन अब नगरपालिका से उम्मीद है कि कुछ दिन इनके रहने खाने का इंतजाम हो जाये तो इनकी जीवन की नया भी पटरी पर लौट आएगी अन्यथा यह बेघर परिवार किसके आगे हाथ फेलायेंगे
ईटीवी भारत राजस्थान के लिए इटावा से ललित बंसल की रिपोर्टConclusion:बेघर हुए परिवारों को राम के रूठने के बाद अब राज से आस है ताकि समय रहते इनके परिवारों की जीवन की गाड़ी भी पटरी पर लौट सके और यह अपने परिवारों का पालन कर सके
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.