कोटा. जिले के इटावा क्षेत्र में बारिश के कहर के बाद बुधवार को इटावा नगर की निचली बस्तियों के कई मकान धराशायी हो गए. वहीं कई परिवार घर से बेघर भी हो गए. जानकारी के मुताबिक इटावा नगर में 100 से अधिक मकान धराशायी हो गए हैं.जिसके बाद कई परिवारों के सामने दो जून की रोटी का भी संकट आ खड़ा हो गया है.
इटावा में धराशायी हुए मकानों को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने इन लोगों के बीच पहुंचकर इनसे इनकी पीड़ा बांटी और इनके दर्द में हमदर्द बनने का प्रयास किया.इस दौरान हमने सबसे पहले बाढ़ पीड़िता दाखा बाई से बात की. उन्होंने बताया कि रात में अचानक नदी में पानी बढ़ गया जिसके बाद हम सब अपनी जान बचाकर घर छोड़कर भागे और कृषिमंडी में शरण ली.
पढ़ें. लाखों हेक्टेयर खरीफ फसलों की बर्बादी के बाद बेबस 'धरती पुत्र' कर रहे मुआवजे की मांग
इसके बाद हमने स्थानीय निवासी राधेश्याम से बात की तो उन्होंने इसका जिम्मेदार नगरपालिका को बताया उन्होंने बताया कि नगरपालिका ने समय पर पानी के बढ़ते स्तर की सूचना नहीं दी जिसके कारण हमारे सामने समस्या आई जिससे हम अपने घरों से कुछ नहीं निकाल पाए और सब बर्बाद हो गया.
रतन सिंह नाम के व्यक्ति से हमने बात की तो उनका कहना था कि दुख की इस घड़ी में किसी ने साथ नहीं दिया और प्रशासन की अनदेखी के चलते हमारे जान के भी लाले पड़ गए. आगे उन्होंने बताया कि बच्चे, बच्चियों को लेकर पानी से निकलकर अपनी जान बचाई है लेकिन अब खाने के लिए न दाना है न रहने के लिए छत जिसके करण काफी परेशानी आ रही है.