कोटा. नगर विकास न्यास की तरफ से कोटा में बंधा धर्मपुरा एरिया में 105 हैक्टेयर भूमि पर अत्याधुनिक और हाईटेक सुविधाओं से लैस देवनारायण पशुपालक आवासीय योजना का पहले चरण का काम पूरा हो गया है. योजना के उद्घाटन के साथ पशुपालकों का गृह प्रवेश कार्यक्रम भी 19 जून को रखा गया है. यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल की मौजूदगी गृह प्रवेश कार्यक्रम संपन्न होगा.
हाई टेक टाउन: कोटा शहर को कैटल फ्री (Cattle Free Kota) बनाने के उद्देश्य से बनाई गई इस योजना में प्रथम फेज में 738 आवासीय पशु बाड़े तैयार हो गए हैं. ये सभी पशु बाड़े 2 बीएचके के हैं. जिनमें सभी अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई हैं. खास बात ये कि पशु बाड़े भी सरकार ने ही पशुपालकों के लिए तैयार किए हैं. यहां अपने पशुओं के साथ खुद भी रह सकेंगे. इस पूरे एरिया को बाउंड्री वॉल से कवर करके अत्याधुनिक रूप दिया (Modern Look To Kota Husbandry Town) गया है. इसमें गार्डेन से लेकर स्कूल, पशु चिकित्सालय, डिस्पेंसरी, स्कूल, सामुदायिक भवन, पुलिस चौकी, दुग्ध मंडी, हाट बाजार, भूसा गोदाम, डेयरी उद्योग, चारागृह मैदान, मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट, बायोगैस प्लांट से लेकर सब कुछ तैयार किया गया है. यहां तक कि पूरे एरिया गार्डेन को अच्छे शहरी गार्डेन की तरह बना दिया गया है. यहां आने पर ऐसा नहीं लगता है कि यहां पर पशुओं को रखने के लिए बाड़े बनाए गए हैं.
ऐसे होगा कैटल मुक्त कोटा: हाइटेक सिटी के बनाने के पीछे तर्क शहर को कैटल फ्री की श्रेणी में लाने का था. उद्देश्य पशुपालकों के जीवन में बदलाव लाने का भी था. इससे कोटा की सड़कों पर घूमने वाले मवेशियों की वजह से होने वाले हादसों से मुक्ति मिल सके. इसके लिए नगर विकास न्यास और जिला प्रशासन के अधिकारियों को देशभर की योजनाओं को देखने के लिए भी भेजा गया था. इस योजना के तहत देश भर की जितनी भी पशुपालक योजनाएं थी उनका निरीक्षण किया गया और वहां की कमियों को यहां पर दूर किया गया है. इसके साथ ही पशुपालकों की सभी मूलभूत सुविधाओं को यहां पर योजना में शामिल किया गया है. योजना के मुताबिक इनमें पशु आहार से लेकर पशुओं के उपयोग के उपकरण जैसी तमाम सामग्रियों की दुकानें स्थापित करवाई जाएंगी.
2 BHK पशु बाड़ा! : पशुपालकों के लिए बनाए गए 2 बीएचके पशु बाड़े दो साइज में हैं. एक 35 गुना 70 और दूसरा 35 गुना 90 का. इस योजना के तहत पशुपालकों से छोटे पशु बाड़े के सवा 14 और बड़े के 16 लाख रुपए देने हैं. हालांकि ये राशि उन्हें किस्तों में देनी है. पशुपालकों को आवास के साथ पशुबाड़ा, भूसा कक्ष, बिजली, पानी, चौड़ी सड़क व सीवरेज की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है. पशुओं के लिए छायादार टीन शेड लगाया गया है. परिसर में लगे गोबर गैस प्लांट के जरिए इन मकानों के किचन में खाना पकाने के लिए नेचुरल गैस की सप्लाई भी होगी.
पशुओं का पूरा ध्यान: पूरी योजना की मॉनिटरिंग के लिए प्रशासनिक भवन भी बनाया गया है. जहां जाकर पशुपालक अपनी समस्याओं को रख सकेंगे. इसके अलावा एक कृत्रिम तालाब भी स्थापित किया गया है. ताकि दिन भर पानी में बैठने वाले पशुओं को सुविधा मिल सके. शहर की तरह यहां के गार्डेन को भी बिल्कुल विकसित किया गया है. जहां पशुपालकों के बच्चे खेल कूद सकेंगे. पशुओं के घूमने फिरने का भी ख्याल रखा गया है. उन्हें कोई बाधा न हो इसके लिए अच्छी चौड़ी सड़कें बनाई गई हैं.
पशुपालकों की होगी अच्छी कमाई: नगर विकास न्यास की तरफ से स्थापित देश के दूसरे सबसे बड़े गोबर गैस प्लांट के लिए पशुपालकों का गोबर ही खरीदा जाएगा. इसे एक रुपए किलो की दर से पशुपालकों से लिया जाएगा. कोटा शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित इस योजना तक नगरीय परिवहन की बसों का संचालन शुरू करवा दिया गया है. अधिकारियों के अनुसार योजना के जरिए पशुपालकों के जीवन में सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक विकास की पूरी व्यवस्था की गई है. दूसरी तरफ, शहर से पशु बाड़ा शिफ्ट होगा तो इलाका साफ सुथरा रहेगा. सड़कों पर आवारा पशुओं के घूमने फिरने से आम जनता को भी परेशानी नहीं होगी.
नगर निगम से लेकर पुलिस कार्मिकों की तैनाती: न्यास सचिव राजेश जोशी ने बताया कि पहले फेज में 738 पशु बाड़े तैयार हो गए हैं. जबकि दूसरे और पहले फेज को मिलाकर 1227 पशु बाड़े बनने हैं. ऐसे में दूसरे फेज में शेष पशु बाड़े को बनाने की तैयारी पूरी है. योजना में नगर निगम, पशुपालन विभाग, पुलिस, चिकित्सा विभाग, परिवहन, विद्युत और जलदाय विभाग के कार्मिकों की नियुक्ति की गई है. ये सभी विभाग अपनी सेवाएं देवनारायण पशुपालक आवास योजना में दे रहे हैं. जोशी ने दावा किया है कि पहले फेज में 501 पशुपालकों को इस योजना के तहत शिफ्ट कर दिया जाएगा. इसके बाद यह प्रक्रिया लगातार जारी रहेगी.
30 करोड़ का गोबर गैस प्लांट: पशुपालकों के गोबर के निस्तारण के लिए देश का दूसरा सबसे बड़ा गोबर गैस प्लांट स्थापित किया गया है. ये प्लांट राजस्थान का सबसे बड़ा गोबर गैस प्लांट होगा. करीब 30 करोड़ रुपए से बनकर तैयार प्लांट में एग्रीकल्चर वेस्ट और गोबर से सीएनजी और बायोगैस का निर्माण शुरू होगा. करीब 5 एकड़ में फैले इस प्लांट से 400 क्यूबिक मीटर बायोगैस व सीएनजी तैयार होगी. इसे राजस्थान स्टेट गैस लिमिटेड के जरिए बेचा जाएगा. इसके अलावा सैकड़ों टन लिक्विड ओर सॉलि़ड ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर का निर्माण भी होगा. ये प्लांट जीरो पॉल्यूशन हाई बायोगैस तकनीक पर काम करेगा और करीब 150 टन गोबर और मंडी वेस्ट का रोज निस्तारण किया जाएगा.