कोटा. कोटा आरटीयू में नवाचार (Innovation in Kota RTU) किया गया है. कृषि उपकरणों की दिशा (Innovation in Agricultural Equipment) में यह महत्वपूर्ण है. टेक्नोक्रेट्स का काम आम जनता और दुनिया के लिए सुलभ संसाधन और तकनीक की मदद से उन्हें लाभ पहुंचाने का है. इसके जरिए ही रोज नए-नए उपकरण इजाद किए जा रहे हैं. ऐसा ही काम राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के एक रिसर्च स्कॉलर ने किया है. उन्होंने किसानों के लिए एक सोलर एयर ड्रायर तैयार किया है.
सोलर एयर ड्रायर फसलों को कम समय में सुखाएगा. राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के रिसर्च स्कॉलर अणु दाधीच (Kota ATU research scholar) ने अपनी पीएचडी के दौरान यह काम किया. इसमें उन्हें राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और चीफ प्रॉक्टर डॉ. बृजेश त्रिपाठी ने सहयोग किया. स्कॉलर अणु दाधीच ने इसे 30 दिन के मेहनत में तैयार किया है. सोलर एयर ड्रायर से फसल कम समय में सूख जाती है और उसकी न्यूट्रिशन वैल्यू भी बनी रहती है.
एक तिहाई कम समय में सुखा देगा फसल
आरटीयू के प्रोफेसर डॉ. बृजेश त्रिपाठी का कहना है कि इस सोलर एयर ड्रायर में सोलर इंटेंसिटी आती है. पूरे दिन में कितनी इंटेंसिटी रिक्वायर होती होती है. उस पर काम कर रहे हैं. हम देख रहे हैं कि 10 से 15 दिन में कुछ वेजिटेबल, फ्रूट्स और एग्रीकल्चर प्रोडक्ट से उनको ड्राई करने में कितना टाइम लगता है. इस टाइम को हमें एक तिहाई कम करने की कोशिश की है.
गांव में किसान फसल के साथ फल और सब्जी का उत्पादन भी करते हैं, जिनमें से कुछ को सुखाने की भी जरूरत पड़ती है. इनको ज्यादा दिन धूप में सुखाने से उनकी न्यूट्रीशन वैल्यू कम हो जाती है. इसी समस्या को दूर करने के लिए यह नया वैज्ञानिक कृषि उपकरण (new agricultural scientific equipment) सोलर एयर ड्रायर इजाद किया गया है. इससे फसल सुखाने पर न्यूट्रीशन वैल्यू भी बनी रहेगी. साथ ही उसे ज्यादा समय तक प्रिजर्व किया जा सकेगा.
कम ज्यादा नहीं, सब बराबरी से सूखेंगे
डॉ. त्रिपाठी का कहना है कि किसान मिर्च धनिया से लेकर कई तरह के फल और सब्जियों को भी सुखाता है. उसके बाद ही उसे मार्केट में भेजता है. उसे मार्केट में बेचने से पहले सुखाने में काफी समय जाया चल जाता है. यह समय भी हमारी इस तकनीक से बचेगा. वहीं कई कृषि उत्पादन अच्छी तरह से सूख भी नहीं पाता है, उसका नुकसान किसान को उठाना पड़ता है. फसल गीली होने का हवाला देकर उसे ठीक से दाम भी बाजार में नहीं मिलते हैं.
ज्यादा देर धूप में सुखा देने के चलते भी कुछ प्रोडक्ट ज्यादा अच्छा सूख जाता है और कुछ कम सूखता है. जिससे भी किसान को दिक्कत होती है. जबकि इस तकनीक के से हर प्रोडक्ट बराबर सूखेगा, क्योंकि इसे गर्म हवा के जरिए सुखाया जाएगा. यह हवा सभी प्रोडक्ट तक समान पहुंचेगी.
तापमान मॉनिटरिंग के लिए भी लगे हुए हैं मीटर
सोलर एयर ड्रायर पर लगे ब्लोवर हवा को खींचता है. वातावरण में मौजूद हवा को खींचने के दौरान ही फसल पर यह हवा जाती है. धूप के दौरान इस को खींचा गया है, तो गर्म हवा भी आएगी. हालांकि सामान्य तौर पर नॉर्मल तापमान की हवा आती है. इस सोलर ड्रायर पर फसल सुखाने के समय तापमान की मॉनिटरिंग भी की जा सकेगी. इसके लिए भी तापमान मॉनिटर करने के लिए यंत्र लगा दिए गए हैं.
जिन से देखा जा सकेगा की पूरी ड्राइवर प्लेट पर तापमान क्या है. कहीं कम ज्यादा तापमान होने पर भी उसे तुरंत एडजस्ट कर दिया जाएगा, ताकि फसल सुखाने के दौरान किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं हो.
बड़े स्तर पर 12 हजार में ही बन जाएगा प्रोडक्ट
आरटीयू के डॉ. बृजेश त्रिपाठी का कहना है कि सामान्य किसान भी इसको खरीद सके, इस तरह से इसे बनाया जाएगा. साथ ही सौर ऊर्जा के प्रोडक्ट वैसे भी ज्यादा समय तक काम करते हैं, लेकिन इस तरह से इसकी लागत रखी जाएगी कि 1 या 2 साल में ही इसकी पूरी कीमत वसूल हो जाए. साथ ही इसका मेंटेनेंस भी काफी कम रहे. इस प्रोडक्ट कीमत काफी कम रखी गई है. इसकी कीमत को और ज्यादा कम करने की कोशिश में जुटे हुए हैं.
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उनका कहना है कि यह सिंगल प्रोडक्ट उन्होंने कभी 25 हजार रुपए की लागत से तैयार किया है. इसे बड़े स्तर पर तैयार किया जाएगा, तो उसकी लागत काफी कम रह जाएगी. यह करीब 12 हजार रुपए होगी. राजस्थान में वैसे भी सौर ऊर्जा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है और यह ज्यादा से ज्यादा लाभ लोगों को देगा पूरे साल जरूरी नहीं इसकी जरूरत हो, लेकिन फसल के इस सीजन में की जरूरत होती है उस दौरान अच्छा फायदा होगा.
केंद्र सरकार और आरटीयू से मिला फंड
पीएचडी के रिसर्च स्कॉलर अणु दाधीच का कहना है कि सोलर ड्रायर को बनाने में 30 दिन का समय लगा है. इसके लिए सबसे पहले सेंट्रल गवर्नमेंट से इसके लिए फंड मांगा था. वहां से फंड भी हमें मिल गया है. इसके साथ ही आरटीयू से भी राशि का सहयोग मिला है. अणु दाधीच ने बताया कि सबसे पहले उन्होंने इसके लिए एक ब्लोवर खरीदा है. इसके बाद सोलर की प्लेट अरेंज की.
खुद ही कार्पेंट्री करते हुए एक सिंपल डिजाइन का ड्रायर तैयार किया है. इसमें किसी भी चीज को सुखाने में 10 दिन लगते हैं, तो 4 से 5 दिन से भी कम दिन में सुखा देता है. एग्रीकल्चर प्रोडक्ट को प्रोडक्ट को मार्केट के लिए तैयार होने में कम समय लगता है. कई प्रोडक्ट ऐसे हैं, जिनमें इस मशीन से 20 की जगह 6 से 7 दिन ही सूखने में लगते हैं.
सिर्फ डेढ़ दिन में सूखेगी हल्दी
रिसर्च स्कॉलर अणु दाधीच ने कई प्रोडक्ट को सुखाने में कई गुना समय की बचत होगी. जिसमें हल्दी को सुखाने में 11 दिन लगते थे, इससे डेढ़ दिन में यह काम हो जाएगा. अंगूर में भी इसी तरह तीन दिन की जगह महज 13 घंटे लगेंगे. इसके अलावा केले में जहां 5 से 7 दिन लग जाते हैं, 3 से 5 दिन तक की समय लगेगा. एप्पल को धूप में 32 घंटे की जगह एयर सोलर ड्रायर से 28 घंटे ही सुखाना होगा. मिर्च दिन में 3 किलो रोज सूख सकती थी, इसके जगह 4 किलो रोज सूख जाएगी. इसी तरह से आम को जहां पर 12 घंटे लगते हैं, इससे 5 घंटे की कटौती होकर 15 घंटे ही लगेगा.