कोटा. भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय कोटा ने उदयपुर रेंज आईजी सत्यवीर सिंह की पेशी पर से व्यक्तिगत हाजिरी की छूट के प्रार्थना पत्र को आज खारिज कर दिया. साथ ही कठोर टिप्पणी भी इस संबंध में की गई है. इस तरह के गंभीर मामले में अगर अभियुक्त को व्यक्तिगत पेशी से हाजिरी माफी दी जाएगी, तो न्यायालय में केस ज्यादा समय तक लंबित रहेगा क्योंकि इस मामले में अब सबूतों को लेख बंद होना है.
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मामले के अनुसार भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने रिश्वत के मामले में कोटा एसपी रहते हुए आईपीएस सत्यवीर सिंह को गिरफ्तार किया था. इसके बाद वे जेल में भी रहे थे और अभी जमानत पर बाहर हैं. साथ ही उन्हें राज्य सरकार ने उदयपुर रेंज आईजी के पद पर तैनात किया हुआ है. लगातार उनकी कोटा न्यायालय में पेशी होती है, लेकिन छह पेशियों के बाद वह बीती 15 मार्च को कोटा एसीबी न्यायालय में पेश होने पहुंचे थे. इसी के साथ उन्होंने एक प्रार्थना पत्र भी पेश किया था कि वह उदयपुर रेंज आईजी है. ऐसे में कुछ स्थान अत्यधिक संवेदनशील है और राजकार्य से अवकाश लेकर पेशी पर उपस्थित होने से कानून व्यवस्था पर प्रभाव पड़ सकता है.
ऐसे में उनके वकील के जरिए ही इस ट्रायल को आगे संचालित किया जाए. हालांकि उनके प्रार्थना पत्र को आज न्यायालय ने स्वीकार करते हुए उन्हें पेशी से हाजिरी माफी स्वीकृत करने के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है. साथ ही इस संबंध में टिप्पणी भी न्यायालय ने की है. सहायक निदेशक अभियोजन अशोक जोशी ने बताया कि न्यायालय ने उनके हाजिरी माफी को न्यायोचित नहीं पाया. साथ ही हाजिरी माफी स्वीकार करने के लिए कोई विधि पूर्ण कारण आईपीएस सत्यवीर सिंह के पास नहीं है. साथ ही न्यायालय ने यह भी कहा कि इस तरह के रिश्वत के गंभीर मामलों में अभियुक्त को हाजिरी माफी स्वीकार की जाती है, तो न्यायालय में केस में विलंब हो सकता है. अभियोजन पक्ष के मामले पर भी विपरीत प्रभाव होगा.
साथ ही न्यायालय ने यह भी कहा है कि उच्चतम न्यायालय ने जमानत स्वीकार करने के दौरान शर्त रखी थी कि अभियुक्त न्यायालय में उपस्थिति लगातार जारी रहेगी. इस शर्त का उल्लंघन भी हाजिरी माफी स्वीकारने पर हो सकता है. वहीं इस तरह का गंभीर अपराध है. इस मामले में साक्ष्य लेख बंद होने हैं. इसके साथ ही न्यायालय ने 26 और 30 अप्रैल को सभी आरोपियों को नियत तारीख पर पेश होने के लिए निर्देशित किया है.