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विदेशी छात्रों की नागरिकता मामले में JNU प्रशासन ने दिया स्पष्टीकरण - Rajasthan news

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने छात्रों के डाटा को लेकर सफाई दी है. विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा है, कि हमारे पास सभी छात्रों की जानकारी है. इस मामले में केवल अफवाह फैलाई जा रही है.

JNU, CAA
कोटा निवासी RTI एक्टिविस्ट सुजीत स्वामी ने मांगी थी जानकारी
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Published : Jan 23, 2020, 12:26 PM IST

Updated : Jan 23, 2020, 1:19 PM IST

दिल्ली/कोटा. 82 विदेशी छात्रों का डाटा JNU प्रशासन के पास मौजूद नहीं होने की ख़बरों पर आखिरकार विश्वविद्यालय प्रशासन ने सफाई दी है. विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा है कि हमारे पास सभी छात्रों के डाटा है. अधूरी जानकारी के साथ ख़बर बताई जा रही है.

कोटा निवासी RTI एक्टिविस्ट सुजीत स्वामी ने मांगी थी जानकारी

'ऐसी अफवाहें फैलाना गलत'

विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा, कि आरटीआई में विदेशी छात्रों के डाटा को लेकर जो सवाल पूछे गए थे, उसकी पूरी जानकारी अभी मुहैया भी नहीं कराई गई थी. आवेदनकर्ता ने बिना किसी तथ्य के मीडिया को गलत जानकारी दी. मीडिया ने भी बिना पड़ताल किए यह ख़बर चला दी.

विश्वविद्यालय ने साथ ही कहा, कि यहां पर पढ़ने वाले छात्र अलग-अलग विभाग में पढ़ते हैं, जिनकी जानकारी भी अलग-अलग विभाग में होती है. सभी जानकारियां इकट्ठा करने में समय लगता है. जबकि, जो आरटीआई फाइल होती है, उसका जवाब एक निर्धारित समय में देना अनिवार्य होता है. ऐसे में आवेदनकर्ता का अधूरी जानकारी पर विश्वास कर मीडिया में बात को उछालना पूरी तरह गलत है.

क्या है पूरा मामला...

बता दें कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हॉस्टल फीस में बढ़ोतरी और एनआरसी को लेकर छात्र कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. इसी बीच विदेशी छात्रों की नागरिकता को लेकर लगाई आरटीआई का जवाब सामने आने के बाद नया विवाद खड़ा हो गया था.

यह भी पढ़ेंः स्पेशल स्टोरी: RTI में चौंकाने वाला खुलासा, JNU को नहीं है 82 विदेशी स्टूडेंट की राष्ट्रीयता की जानकारी

राजस्थान के कोटा निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट सुजीत स्वामी ने जेएनयू में पढ़ रहे विदेशी छात्रों की जानकारी के लिए आरटीआई लगाई थी. ये आरटीआई दिसंबर महीने में लगाई थी, जिसका जवाब गत 14 जनवरी को विश्वविद्यालय प्रबंधन ने सूची स्वामी को भेजा. जिसमें उन्होंने बताया है कि 301 विदेशी स्टूडेंट जेएनयू में पढ़ रहे हैं, जिसमें से सबसे ज्यादा उत्तरी कोरिया के स्टूडेंट शामिल है.

यह स्टूडेंट 48 अलग-अलग देशों के हैं और 78 कोर्सेज में इन्होंने एडमिशन लिया हुआ है. वहीं जेएनयू में 8805 स्टूडेंट पढ़ रहे हैं, जिनमें से महज 14 फीसदी यूजी कोर्सेज में है, जिनकी संख्या 1264 है. वहीं एमफिल या पीएचडी कोर्सेज में सबसे ज्यादा हैं, जिनकी संख्या 4251 स्टूडेंट है.

यह भी पढ़ेंः लेक सिटी में जारी मौसम परिवर्तन का दौर, तापमान पहुंचा 4 डिग्री सेल्सियस

इसके अलावा पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्सेज में 2877 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. 282 स्टूडेंट पार्ट टाइम और 131 एमटेक और एमपीएच कोर्स में है. लेकिन, इनमें से 82 छात्रों की नागरिकता का कोई भी डाटा विश्वविद्यालय के पास उपलब्ध नहीं है.

सुजीत स्वामी ने अपनी आरटीआई में 4 सवाल पूछे थे. पहला, कि जेएनयू में कितने स्टूडेंट पढ़ाई कर रहे हैं, वहीं दूसरा किस-किस कोर्स में पढ़ रहे हैं. भारत के बाहर के देशों के कितने स्टूडेंट यहां पर पढ़ रहे हैं और यह कौनसे देश और कोर्स के हैं.

दिल्ली/कोटा. 82 विदेशी छात्रों का डाटा JNU प्रशासन के पास मौजूद नहीं होने की ख़बरों पर आखिरकार विश्वविद्यालय प्रशासन ने सफाई दी है. विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा है कि हमारे पास सभी छात्रों के डाटा है. अधूरी जानकारी के साथ ख़बर बताई जा रही है.

कोटा निवासी RTI एक्टिविस्ट सुजीत स्वामी ने मांगी थी जानकारी

'ऐसी अफवाहें फैलाना गलत'

विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा, कि आरटीआई में विदेशी छात्रों के डाटा को लेकर जो सवाल पूछे गए थे, उसकी पूरी जानकारी अभी मुहैया भी नहीं कराई गई थी. आवेदनकर्ता ने बिना किसी तथ्य के मीडिया को गलत जानकारी दी. मीडिया ने भी बिना पड़ताल किए यह ख़बर चला दी.

विश्वविद्यालय ने साथ ही कहा, कि यहां पर पढ़ने वाले छात्र अलग-अलग विभाग में पढ़ते हैं, जिनकी जानकारी भी अलग-अलग विभाग में होती है. सभी जानकारियां इकट्ठा करने में समय लगता है. जबकि, जो आरटीआई फाइल होती है, उसका जवाब एक निर्धारित समय में देना अनिवार्य होता है. ऐसे में आवेदनकर्ता का अधूरी जानकारी पर विश्वास कर मीडिया में बात को उछालना पूरी तरह गलत है.

क्या है पूरा मामला...

बता दें कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हॉस्टल फीस में बढ़ोतरी और एनआरसी को लेकर छात्र कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. इसी बीच विदेशी छात्रों की नागरिकता को लेकर लगाई आरटीआई का जवाब सामने आने के बाद नया विवाद खड़ा हो गया था.

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राजस्थान के कोटा निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट सुजीत स्वामी ने जेएनयू में पढ़ रहे विदेशी छात्रों की जानकारी के लिए आरटीआई लगाई थी. ये आरटीआई दिसंबर महीने में लगाई थी, जिसका जवाब गत 14 जनवरी को विश्वविद्यालय प्रबंधन ने सूची स्वामी को भेजा. जिसमें उन्होंने बताया है कि 301 विदेशी स्टूडेंट जेएनयू में पढ़ रहे हैं, जिसमें से सबसे ज्यादा उत्तरी कोरिया के स्टूडेंट शामिल है.

यह स्टूडेंट 48 अलग-अलग देशों के हैं और 78 कोर्सेज में इन्होंने एडमिशन लिया हुआ है. वहीं जेएनयू में 8805 स्टूडेंट पढ़ रहे हैं, जिनमें से महज 14 फीसदी यूजी कोर्सेज में है, जिनकी संख्या 1264 है. वहीं एमफिल या पीएचडी कोर्सेज में सबसे ज्यादा हैं, जिनकी संख्या 4251 स्टूडेंट है.

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इसके अलावा पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्सेज में 2877 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. 282 स्टूडेंट पार्ट टाइम और 131 एमटेक और एमपीएच कोर्स में है. लेकिन, इनमें से 82 छात्रों की नागरिकता का कोई भी डाटा विश्वविद्यालय के पास उपलब्ध नहीं है.

सुजीत स्वामी ने अपनी आरटीआई में 4 सवाल पूछे थे. पहला, कि जेएनयू में कितने स्टूडेंट पढ़ाई कर रहे हैं, वहीं दूसरा किस-किस कोर्स में पढ़ रहे हैं. भारत के बाहर के देशों के कितने स्टूडेंट यहां पर पढ़ रहे हैं और यह कौनसे देश और कोर्स के हैं.

Intro:नई दिल्ली ।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अभी तक बढ़ी हुई हॉस्टल फीस और एनआरसी को लेकर छात्रों के विरोध प्रदर्शन के चलते सुर्खियों में था लेकिन एक आरटीआई को लेकर एक बार फिर सुर्खियों में बन गया है. बता दें कि आरटीआई एक्टिविस्ट सुजीत स्वामी जेएनयू में पढ़ रहे विदेशी छात्रों की जानकारी के लिए आरटीआई डाली थी जिसके जवाब में विश्वविद्यालय की ओर से कहा गया कि उनके पास 82 विदेशी छात्रों का डाटा मौजूद नहीं है. वहीं जब यह खबर मीडिया में चलनी शुरू हुई तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा कि हमारे पास सभी छात्रों के डाटा है और वह अधूरी जानकारी के साथ ख़बर बताई जा रही है.


Body:वहीं 82 छात्रों के डाटा ना होने की चल रही खबर के बाद जेएनयू के रजिस्ट्रार प्रोफेसर प्रमोद कुमार की ओर से एक बयान जारी किया गया जिसमें उन्होंने कहा 82 छात्रों का डाटा विश्वविद्यालय के पास ना होने की बात सरासर गलत है. इसको लेकर केवल अफवाह फैलाई जा रही है. उन्होंने कहा कि आरटीआई में विदेशी छात्रों के डाटा को लेकर जो सवाल पूछे गए थे उसकी पूरी जानकारी अभी मुहैय्या भी नहीं कराई गई थी और आवेदन कर्ता ने बिना किसी तथ्य के मीडिया को गलत जानकारी दी और मीडिया ने भी बिना पड़ताल किए यह खबर चला दी. साथ ही कहा कि यहां पर पढ़ने वाले छात्र अलग-अलग विभाग में पढ़ते हैं जिनकी जानकारी भी अलग-अलग विभाग में होती है और सभी जानकारियां इकट्ठा करने में समय लगता है जबकि जो आरटीआई फाइल होती है उसका जवाब एक निर्धारित समय में देना अनिवार्य होता है. ऐसे में आवेदन कर्ता द्वारा अधूरी जानकारी पर विश्वास कर मीडिया में बात को उछालना पूरी तरह गलत है.


Conclusion:वहीं जेएनयू प्रशासन ने दावा किया है कि उनके पास यहां पढ़ने वाले हर छात्र की पूरी जानकारी उपलब्ध है.
Last Updated : Jan 23, 2020, 1:19 PM IST
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