कोटा. शहर को पशुओं से मुक्त करने के लिए नगर विकास न्यास देवनारायण पशु पालक आवास योजना विकसित कर रहा है. इसको देखने के लिए इटली से एक प्रतिनिधिमंडल कोटा पहुंचा है, जिसने इस पूरी योजना का निरीक्षण किया. साथ ही, सूक्ष्म व लघु डेरी प्लास्टर परियोजना विकसित करने का प्रस्ताव भी नगर विकास न्यास को दिया है. इस प्रतिनिधिमंडल में तकनीकी विशेषज्ञ इमैनुएल, पार्थ पारेख और बद्री प्रसाद ने भी जिला कलेक्टर व न्यास के अध्यक्ष उज्जवल राठौड़ से मुलाकात की. इस दौरान यूआईटी सचिव राजेश जोशी व स्मार्ट सिटी के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर राजेंद्र राठौर भी मौजूद थे.
प्रतिनिधिमंडल ने इस पूरी परियोजना को पशुपालकों के लिए जीवनदान बताया है. उन्होंने कहा कि कई सारे जगह पर इस तरह की योजनाएं हैं, लेकिन इस तरह की योजना यह अलग ही है. यहां पर उन्होंने पैकेज मिल्क, फ्लेवर्ड मिल्क, दही, छाछ, क्रीम, मावा, पनीर, चीज, आइसक्रीम, चॉकलेट, सोया मिल्क, टोफू आदि तैयार करने के लिए 449 इकाइयां स्थापित की जानी है. इन दुग्ध उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार तैयार कर तकनीक उपलब्धता व प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. साथ ही, एक्सपोर्ट क्वालिटी का उत्पादन कर विश्व स्तर पर इनको बेचा जा सकता है.
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साथ ही, इन लोगों ने 230 करोड़ रुपए के निवेश का प्रस्ताव भी दिया है. इस परियोजना से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 10000 लोगों को रोजगार का दावा भी किया है. इस प्रोजेक्ट को देखने आए इटली के इमैनुएल ने कहा कि उन्होंने पूरे मौके का निरीक्षण किया है, जिससे वे प्रभावित हैं. यहां एक बड़ा प्रोजेक्ट है, जो की बड़ी सोच का ही नतीजा है. इस तरह से भारत में यह पहला ही प्रोजेक्ट होगा. हमारा पूरा प्लान रोजगार देने के लिए है, क्योंकि बड़ी मशीन से तो ज्यादा प्रॉफिट कमाने के लिए होता है, लेकिन यह प्रोजेक्ट उस तरह से नहीं होगा. यहां तो छोटे मशीन लगाकर लोगों को रोजगार ही दिया जा सकता है.
इसी तरह से पार्थ पारेख ने कहा कि हमारे लिए निवेश का मुद्दा नहीं है. हमें तो जमीन चाहिए थी, जिस पर जिला कलेक्टर ने अनुमति भी हमें दी है. इस समय छोटी मशीन लगानी है, जो कि प्रोसेसिंग, स्टोरेज और मिल्क रिट्रेक्शन की होगी. उन्होंने दावा किया है कि भारत में जहां पहले 99 प्रतिशत दूध हाथों से निकाला जाता था, हमने इसमें मेहनत करते हुए कई मशीनें लगाई है. अब 87 प्रतिशत ही दूध हाथों से निकाला जा रहा है.