कोटा. कोरोना के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. कोटा में मरीजों को भर्ती करने के लिए भी अस्पतालों में जगह नहीं मिल रही है. कोरोना से युद्ध की इस स्थिति में रेलवे आगे आया है. एक पूरी ट्रेन को आइसोलेशन अस्पताल में तब्दील कर दिया गया है.
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने आइसोलेशन ट्रेन के लिए आह्वान किया था. इसके बाद ही कोटा मंडल रेलवे ने 23 कोच की पूरी ट्रेन तैयार करवाई. रेलवे ने 23 कोच आइसोलेशन के तैयार किए हैं. इनमें हर कोच में 16 मरीजों को रखा जाएगा. हर कोच में स्टाफ भी रहेगा. केवल 20 कोच इस तरह के बनाए गए हैं. जबकि 3 वातानुकूलित कोच में चिकित्सकीय स्टाफ रहेगा.
इन आइसोलेशन कोचों में मरीजों को ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ भर्ती करने की व्यवस्था भी होगी. ऑक्सीजन सिलेंडर को रखने के लिए भी यहां पर जगह बनाई गई है. इसके अलावा बायो मेडिकल वेस्ट एकत्रित करने की जगह भी है. कोटा रेल मंडल के सीनियर डीसीएम अजय कुमार पाल का कहना है कि यह ट्रेन पूरी तरह से तैयार होने के बाद राज्य सरकार को सुपुर्द कर दी जाएगी. चिकित्सा के लिए स्टाफ, दवाइयां और अन्य संसाधन भी सरकार जुटाएगी.
आइसोलेशन कोच को प्लेटफार्म नंबर चार पर ही खड़ा रखा जाएगा. केवल मरीज और चिकित्सकीय स्टाफ ही वहां जाएंगे. ट्रेन को गर्मी से बचाने के लिए इसकी छत पर बोरियां बिछाकर पानी डाला जा रहा है. इसके अलावा हर कोच में 8 कूलर लगाए जाएंगे. इन कूलरों को 24 घंटे चलाने के लिए बिजली और पानी भी पाइप लाइन के जरिए पहुंचाया जाएगा.
रेलवे ने इस आइसोलेशन ट्रेन को तैयार करने के लिए अपने ही पुराने कोच का उपयोग किया है. पिछले साल भी इस तरह से आइसोलेशन ट्रेन तैयार की गई थी जिसमें 33 कोच बनाए थे. जिनको दिल्ली भी भेजा गया था. इस बार 20 कोच आइसोलेशन के बनाए गए हैं. इनमें करीब 10 लाख रुपए का सामान रेलवे ने खरीदा है. साथ ही रेलवे के 15 कार्मिक लगे थे, जिनमें 2 सुपरवाइजर भी शामिल हैं. यह बीते 10 दिनों से इस काम में जुटे हुए हैं.
कोटा के डिविजनल रेलवे मैनेजर पंकज शर्मा ने भी इस ट्रेन का निरीक्षण प्लेटफार्म नंबर 4 पर किया था. इसके लिए ट्रेन को गोल्डन जुबली फिटलाइन से प्लेटफार्म पर लाया गया था. निरीक्षण के बाद वापस इसे आगे की कार्य के लिए गोल्डन जुबली पिट लाइन पर ले जाया गया है.
डीआरएम शर्मा ने निरीक्षण के बाद निर्देश दिए हैं कि जब इस में मरीजों की भर्ती की जाएगी तब पूरी तरह से प्लेटफार्म को सील कर दिया जाएगा. किसी भी व्यक्ति को प्रवेश नहीं दिया जाएगा. केवल मरीज और उसके साथ चिकित्सकों की अनुमति के बाद ही तीमारदार को भी प्रवेश देंगे. इसके लिए सुरक्षा कर्मियों को लगाया जाएगा जो बाहरी लोगों को रोकेंगे.