कोटा. गणेश चतुर्थी के अवसर पर कोटा में करीब एक हजार से ज्यादा गणेश पांडाल स्थापित किए (Ganesh pandals in Kota) जाएंगे. यह पांडाल शहर के मुख्य बाजारों, कॉलोनियों और सोसायटी में होंगे. यहां पर अगले 10 दिनों तक भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाएगी व शाम को आरती होगी. श्रद्धालु बाजारों में गणेश प्रतिमाओं को लेने आ रहे हैं.
इसके साथ लोग घरों पर भी गणपति को विराजित करते हैं. जिनके लिए भी छोटी मूर्तियों को लेने के लिए बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं. बड़े पांडालों के लिए भी इस बार ज्यादा बड़ी मूर्तियां नहीं बनाई गई है. अधिकांश जगह इन मूर्तियां की लंबाई 3 से 6 फिट है. मूर्तिकारों ने इस बार गणेश जी की विभिन्न प्रकार की मुद्राओं और सिंहासनों वाली प्रतिमाएं तैयार की (Different idols in Kota) हैं. इनमें राजा के रूप में, गौमाता पर विराजे शिव स्वरूप विराजे गणेश जी शामिल हैं. उनके सिंहासन के रूप में कहीं पर्वत तो कहीं मूषक राजा को स्थान दिया गया है. मूर्तियों की कीमत 2 से लेकर 5 हजार रुपए तक है. हालांकि बड़ी मूर्तियों की कीमत 25 से 30 हजार रुपए तक भी है.
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दिखा महंगाई का असर: मूर्तिकार मोहन का कहना है कि इस बार महंगाई काफी बढ़ गई है. मूर्ति को बनाने के लिए मिट्टी, बांस, घास और कलर के साथ उसको सजावट के लिए उपयोग किए जाने वाले आभूषण और वस्त्र भी काफी महंगे आए हैं. वहीं रामपुरा, लाडपुरा, गुमानपुरा, छावनी, कोटड़ी, स्टेशन, विज्ञान नगर, तलवंडी, दादाबाड़ी, डीसीएम, बोरखेड़ा, नयापुरा, सिविल लाइंस व कुन्हाड़ी सहित कई जगह पर भव्य आयोजन किए जाते हैं. जहां पर भगवान गणपति की मूर्ति काफी बड़ी होती है. यहां पर 15 से 40 साल पहले से यह आयोजन किया जा रहा है.
कोविड-19 के बाद अब दिखा उत्साह: कोटा में मूर्तियों को तैयार करने के लिए पश्चिम बंगाल से कारीगरों की टीम आती है. हालांकि बीते 2 साल कोविड-19 के दौर में ना तो अनंत चतुर्दशी का जुलूस निकला, ना ही गणेश पांडालों की स्थापना हो सकी. ऐसे में लोगों में काफी उत्साह नजर आ रहा है. कोटा के छावनी इलाके में मूर्ति तैयार कर रहे पश्चिम बंगाल से आए कारीगर मोहन का कहना है कि उन्होंने करीब 200 मूर्तियां तैयार की हैं. ज्यादातर मूर्तियों की कीमत 2 से 5 हजार है.
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गाजे-बाजे के साथ गणेश जी ले जा रहे श्रद्धालु : शहर भर में इन मूर्तियों को पांडालों तक ले जाने के लिए लोग गाजे बाजे के साथ पहुंच रहे हैं. साथ ही ढोल और नगाड़े बजाते हुए भी लोग आ रहे हैं. मूर्तिकारों के गोदाम के आसपास भी काफी भीड़ नजर आती है. भारी मूर्तियों को लोडिंग वाहन के जरिए ले जाया जा रहा है. इसके साथ ही जुलूस भी निकाले जा रहे हैं. ऐसे में जुलूस वाले इलाके में यातायात जाम जैसे हालात भी बन रहे हैं.