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राजस्थान : दिल्ली-मुंबई Expressway में किसानों के साथ धोखा, 2 साल पहले कर ली जमीन अधिग्रहण...अब मुआवजा किया आधा

मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे का निर्माण किसानों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. इस प्रोजेक्ट के चलते किसान जहां खेतों में सिंचाई आदि परेशानी से जूझ रहे हैं, वहीं अब अधिग्रहित जमीन के मुआवजे में नियमों की बाधा (Farmers Problem of Compensation in Rajasthan) आने से परेशान हैं. यहां जानिए पूरी कहानी...

Rajasthan Farmers Demands Compensation on Expressway Construction
दिल्ली-मुंबई Expressway में किसानों के साथ धोखा
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Published : Feb 8, 2022, 7:47 PM IST

कोटा. मोदी सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे किसानों के लिए कई तरह की समस्या (Expressway Construction in Rajasthan) लेकर आ रहा है. इस प्रोजेक्ट के निर्माण में नहरी तंत्र को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया है. इसी तरह से किसानों को मुआवजे के लिए भी परेशानी उठानी पड़ रही है. जिन किसानों की जमीन को नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने अधिग्रहित किया है. इसे 2 साल हो गए, लेकिन मुआवजा केवल आधे हिस्से का ही दिया गया था.

दरअसल, बचे हुए हिस्से का मुआवजा अब देना है. उसके लिए अवार्ड जारी हो रहे हैं, लेकिन अब इसमें भी अड़ंगा मुआवजा राशि का आ गया है. पहले जहां जमीन की दर से 4 गुना मुआवजा मिला था. अब यह केवल डीएलसी दर से दिया जा रहा है. इसके चलते किसानों को पहले 1 बीघा का 7 से 8 लाख रुपए के आसपास मुआवजा मिला था, लेकिन अब यह राशि करीब 4 लाख रुपए रहने वाली है.

क्या कहते हैं किसान....

किसानों के साथ यह धोखा राज्य सरकार की घोषणा के चलते हुआ है. सुल्तानपुर ग्राम पंचायत को नगरपालिका बना दिया है. नगरपालिका होने के चलते (Farmers Problem of Compensation in Rajasthan) मुआवजे की राशि डीएलसी पर निर्भर हो जाती है. नगर पालिका को केंद्र बिंदु मानकर उसकी दूरी से राशि कम होती चली जाती है, जबकि पहले ग्राम पंचायत होने से जमीन की दर का चार गुना मुआवजा मिलता था.

139 किसानों की 130 बीघा जमीन पर खतरा : सुल्तानपुर नगरपालिका बनने से 139 किसानों को जो मुआवजा उनकी 130 बीघा जमीन का मिलना है, वह कम हो गया है. पहले जहां पर यह मुआवजा करीब 12 करोड़ के आसपास मिलना था. अब यह घटकर 6 करोड़ रुपए ही रह गया है. जबकि इन सभी किसानों का कहना है कि उनकी आधी जमीन का अवार्ड पहले ही जारी हो गया था और बाकी बची हुई जमीन का अवार्ड अब जारी किया जा रहा है. जबकि नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने उनकी पूरी जमीन को पहले ही अपने कब्जे में ले लिया था.

किसानों का दर्द एक्सप्रेस-वे में माथे का मुकुट चला गया : सुल्तानपुर कस्बे से 500 मीटर दूर ही गुरमीत सिंह का खेत है. पौने 9 बीघा जमीन उनकी एक्सप्रेस वे में अधिग्रहित कर ली गई. जिसमें से केवल पौने 2 बीघा का मुआवजा दिया गया है. अभी 7 बीघा जमीन का मुआवजा नहीं मिला. पहले जहां पर उन्हें मुआवजा 13 लाख 45 हजार 755 रुपए मिला था. अब बची हुई 7 बीघा का मुआवजा पहले की आधी दर से दिया जाएगा. ऐसे में उनको इस 7 बीघा जमीन का महज 28 लाख रुपए मिलेगा, जिससे कि वह नई जमीन भी नहीं खरीद पाएंगे.

पढ़ें : Special : मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे ने 5000 किसानों की बढ़ाई मुश्किलें, खेतों में आवागमन से लेकर सिंचाई तक बनी 'पहाड़'

इसी तरह से कचोलिया निवासी शंकर दयाल मीणा की 12 बीघा जमीन एक्सप्रेस-वे के लिए अधिग्रहित की गई थी. उनका कहना है कि (Rajasthan Farmers Demands Compensation on Expressway Construction) मौके पर करीब 13 से 14 बीघा जमीन है. पहले जमीन का नाप भी ठीक से नहीं किया गया, केवल हेलीकॉप्टर से ही सर्वे किया गया था. इनके आपत्ति जताने पर मुआवजा 7 लाख बीघा के अनुसार 12 बीघा का ही मिला है, अब बाकी जमीन का मुआवजा आधी दर से दिया जाएगा. इनका कहना है कि उनका माथे का मुकुट चला गया, लेकिन जिस दर से उन्हें पैसा दिया जा रहा है वह नई जमीन भी नहीं खरीद पाएंगे.

Farmers Problem of Compensation in Rajasthan
मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट बना संकट...

फलदार पेड़ का भी नहीं मिला मुआवजा : सुल्तानपुर निवासी दिनेश गुप्ता की 5 में से 2 बीघा जमीन हाइवे में चली गई. इसमें से सवा बीघा का मुआवजा मिला है, बची पौने बीघा का मुआवजा कब मिलेगा, इस संबंध में कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है. सुल्तानपुर के ही किसान गुरु सेवक सिंह के पिता गिन्दर सिंह के नाम की जमीन है. करीब 1 बीघा जमीन इनकी हाईवे में चली गई, जिसका महज 20 फ़ीसदी यानी 2 लाख के करीब मुआवजा इन्हें मिला है. बची हुई जमीन का मुआवजा भी अब कम दर से दिया जा रहा है. इनके जमीन पर बगीचा लगा हुआ था, जिसमें अमरुद, बैर, शहतूत व जामुन के फलदार पौधे थे, उनका भी मुआवजा नहीं मिला है.

अधिकारी बोले हम नियमों से बंधे हुए हैं : दीगोद की उपखंड अधिकारी पुष्पा हरवानी का कहना है कि किसानों का मुआवजा कम जरूर हो रहा है. लेकिन जमीन अधिग्रहण कानून 2013 के नियमों के मुताबिक वे पूरी तरह से सही है. किसानों की जमीन का अधिग्रहण के बाद मुआवजा देने की प्रक्रिया के तहत थ्री-ए हुआ. जिसके बाद ही हमने थ्री-ए उसकी तारीख से अवार्ड जारी किए हैं. हम पूरी तरह से नियमों में बंधे हुए हैं. ऐसे में पुरानी दर से मुआवजा नहीं दिया जा सकता. सुल्तानपुर नगरपालिका बनने के बाद में नए फैक्टर से मुआवजा दिया जा रहा है. जिसमें नगर पालिका से प्रोजेक्ट की दूरी के अनुसार मुआवजा मिलता है. कुछ किसानों की जमीन अगर पहले ही अधिग्रहित कर ली गई थी, तो उसका पूरा रिकॉर्ड भी नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया से मंगाया जा रहा है.

पढ़ें : स्पेशल स्टोरी: कोटा में 15 गांवों के किसानों के लिए खतरा बने चंबल के घड़ियाल, आए दिन होती है 'पेट एनिमल Vs क्रोकोडाइल कनफ्लिक्ट'

किसानों ने रुकवाया एक्सप्रेस-वे का काम : दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य नाराज किसानों ने अब रुकवा दिया है. इन्होंने धरना-प्रदर्शन सुल्तानपुर के नजदीक किया है. एक्सप्रेस-वे पर निर्माण में जुटे डंपर और बड़ी मशीनरी को गुजरने नहीं दे रहे हैं. धरना देते हुए इनकी मांग है कि टूटे हुए नहरी तंत्र को मजबूत किया जाए. भारतीय किसान संघ के प्रांत मंत्री जगदीश शर्मा कलमंडा का कहना है कि जिन किसानों के साथ मुआवजे में धोखाधड़ी हुई है, उस संबंध में भी राज्य सरकार को तुरंत चेतना चाहिए और अधिकारियों को निर्देशित करते हुए पुरानी दर से ही मुआवजा दिलाना चाहिए. क्योंकि उनकी जमीनों को पहले ही अधिग्रहित कर लिया गया था.

कोटा. मोदी सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे किसानों के लिए कई तरह की समस्या (Expressway Construction in Rajasthan) लेकर आ रहा है. इस प्रोजेक्ट के निर्माण में नहरी तंत्र को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया है. इसी तरह से किसानों को मुआवजे के लिए भी परेशानी उठानी पड़ रही है. जिन किसानों की जमीन को नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने अधिग्रहित किया है. इसे 2 साल हो गए, लेकिन मुआवजा केवल आधे हिस्से का ही दिया गया था.

दरअसल, बचे हुए हिस्से का मुआवजा अब देना है. उसके लिए अवार्ड जारी हो रहे हैं, लेकिन अब इसमें भी अड़ंगा मुआवजा राशि का आ गया है. पहले जहां जमीन की दर से 4 गुना मुआवजा मिला था. अब यह केवल डीएलसी दर से दिया जा रहा है. इसके चलते किसानों को पहले 1 बीघा का 7 से 8 लाख रुपए के आसपास मुआवजा मिला था, लेकिन अब यह राशि करीब 4 लाख रुपए रहने वाली है.

क्या कहते हैं किसान....

किसानों के साथ यह धोखा राज्य सरकार की घोषणा के चलते हुआ है. सुल्तानपुर ग्राम पंचायत को नगरपालिका बना दिया है. नगरपालिका होने के चलते (Farmers Problem of Compensation in Rajasthan) मुआवजे की राशि डीएलसी पर निर्भर हो जाती है. नगर पालिका को केंद्र बिंदु मानकर उसकी दूरी से राशि कम होती चली जाती है, जबकि पहले ग्राम पंचायत होने से जमीन की दर का चार गुना मुआवजा मिलता था.

139 किसानों की 130 बीघा जमीन पर खतरा : सुल्तानपुर नगरपालिका बनने से 139 किसानों को जो मुआवजा उनकी 130 बीघा जमीन का मिलना है, वह कम हो गया है. पहले जहां पर यह मुआवजा करीब 12 करोड़ के आसपास मिलना था. अब यह घटकर 6 करोड़ रुपए ही रह गया है. जबकि इन सभी किसानों का कहना है कि उनकी आधी जमीन का अवार्ड पहले ही जारी हो गया था और बाकी बची हुई जमीन का अवार्ड अब जारी किया जा रहा है. जबकि नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने उनकी पूरी जमीन को पहले ही अपने कब्जे में ले लिया था.

किसानों का दर्द एक्सप्रेस-वे में माथे का मुकुट चला गया : सुल्तानपुर कस्बे से 500 मीटर दूर ही गुरमीत सिंह का खेत है. पौने 9 बीघा जमीन उनकी एक्सप्रेस वे में अधिग्रहित कर ली गई. जिसमें से केवल पौने 2 बीघा का मुआवजा दिया गया है. अभी 7 बीघा जमीन का मुआवजा नहीं मिला. पहले जहां पर उन्हें मुआवजा 13 लाख 45 हजार 755 रुपए मिला था. अब बची हुई 7 बीघा का मुआवजा पहले की आधी दर से दिया जाएगा. ऐसे में उनको इस 7 बीघा जमीन का महज 28 लाख रुपए मिलेगा, जिससे कि वह नई जमीन भी नहीं खरीद पाएंगे.

पढ़ें : Special : मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे ने 5000 किसानों की बढ़ाई मुश्किलें, खेतों में आवागमन से लेकर सिंचाई तक बनी 'पहाड़'

इसी तरह से कचोलिया निवासी शंकर दयाल मीणा की 12 बीघा जमीन एक्सप्रेस-वे के लिए अधिग्रहित की गई थी. उनका कहना है कि (Rajasthan Farmers Demands Compensation on Expressway Construction) मौके पर करीब 13 से 14 बीघा जमीन है. पहले जमीन का नाप भी ठीक से नहीं किया गया, केवल हेलीकॉप्टर से ही सर्वे किया गया था. इनके आपत्ति जताने पर मुआवजा 7 लाख बीघा के अनुसार 12 बीघा का ही मिला है, अब बाकी जमीन का मुआवजा आधी दर से दिया जाएगा. इनका कहना है कि उनका माथे का मुकुट चला गया, लेकिन जिस दर से उन्हें पैसा दिया जा रहा है वह नई जमीन भी नहीं खरीद पाएंगे.

Farmers Problem of Compensation in Rajasthan
मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट बना संकट...

फलदार पेड़ का भी नहीं मिला मुआवजा : सुल्तानपुर निवासी दिनेश गुप्ता की 5 में से 2 बीघा जमीन हाइवे में चली गई. इसमें से सवा बीघा का मुआवजा मिला है, बची पौने बीघा का मुआवजा कब मिलेगा, इस संबंध में कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है. सुल्तानपुर के ही किसान गुरु सेवक सिंह के पिता गिन्दर सिंह के नाम की जमीन है. करीब 1 बीघा जमीन इनकी हाईवे में चली गई, जिसका महज 20 फ़ीसदी यानी 2 लाख के करीब मुआवजा इन्हें मिला है. बची हुई जमीन का मुआवजा भी अब कम दर से दिया जा रहा है. इनके जमीन पर बगीचा लगा हुआ था, जिसमें अमरुद, बैर, शहतूत व जामुन के फलदार पौधे थे, उनका भी मुआवजा नहीं मिला है.

अधिकारी बोले हम नियमों से बंधे हुए हैं : दीगोद की उपखंड अधिकारी पुष्पा हरवानी का कहना है कि किसानों का मुआवजा कम जरूर हो रहा है. लेकिन जमीन अधिग्रहण कानून 2013 के नियमों के मुताबिक वे पूरी तरह से सही है. किसानों की जमीन का अधिग्रहण के बाद मुआवजा देने की प्रक्रिया के तहत थ्री-ए हुआ. जिसके बाद ही हमने थ्री-ए उसकी तारीख से अवार्ड जारी किए हैं. हम पूरी तरह से नियमों में बंधे हुए हैं. ऐसे में पुरानी दर से मुआवजा नहीं दिया जा सकता. सुल्तानपुर नगरपालिका बनने के बाद में नए फैक्टर से मुआवजा दिया जा रहा है. जिसमें नगर पालिका से प्रोजेक्ट की दूरी के अनुसार मुआवजा मिलता है. कुछ किसानों की जमीन अगर पहले ही अधिग्रहित कर ली गई थी, तो उसका पूरा रिकॉर्ड भी नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया से मंगाया जा रहा है.

पढ़ें : स्पेशल स्टोरी: कोटा में 15 गांवों के किसानों के लिए खतरा बने चंबल के घड़ियाल, आए दिन होती है 'पेट एनिमल Vs क्रोकोडाइल कनफ्लिक्ट'

किसानों ने रुकवाया एक्सप्रेस-वे का काम : दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य नाराज किसानों ने अब रुकवा दिया है. इन्होंने धरना-प्रदर्शन सुल्तानपुर के नजदीक किया है. एक्सप्रेस-वे पर निर्माण में जुटे डंपर और बड़ी मशीनरी को गुजरने नहीं दे रहे हैं. धरना देते हुए इनकी मांग है कि टूटे हुए नहरी तंत्र को मजबूत किया जाए. भारतीय किसान संघ के प्रांत मंत्री जगदीश शर्मा कलमंडा का कहना है कि जिन किसानों के साथ मुआवजे में धोखाधड़ी हुई है, उस संबंध में भी राज्य सरकार को तुरंत चेतना चाहिए और अधिकारियों को निर्देशित करते हुए पुरानी दर से ही मुआवजा दिलाना चाहिए. क्योंकि उनकी जमीनों को पहले ही अधिग्रहित कर लिया गया था.

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