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धरा रह गया ओम, शांति और कैलाश का वादा... बर्बादी की कगार पर पहुंचे लहसुन उत्पादक किसान

लहसुन उत्पादन करने वाला किसान इस बार मंडी में गिरे दाम (Garlic Farmers forced to sell produce cheap) और नेताओं के आश्वासन दोनों की मार झेल रहा है. पहले फसल के भाव सही नहीं मिलने के कारण किसानों परेशान रहे. ऊपर से लहसुन खरीद करवाने को लेकर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, केंद्रीय कृषि मंत्री कैलाश चौधरी और यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने लहसुन खरीद को लेकर आश्वासन दिया. लेकिन नेताओं के आश्वासन अब तक पूरे नहीं हो सके हैं.

Garlic production in Rajasthan
लहसुन उत्पादक किसान
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Published : Sep 20, 2022, 7:34 PM IST

Updated : Sep 20, 2022, 11:34 PM IST

कोटा. प्रदेश में लहसुन उत्पादन के मामले में हाड़ौती पहले स्थान (Garlic production in Rajasthan) पर है. यहां पर 2022 में 115000 हेक्टेयर भूमि से करीब सात लाख मीट्रिक टन लहसुन उत्पादन हुआ है. इस बार लहसुन उत्पादक किसानों को दाम भी नहीं मिल पा रहे हैं. हालात यह है कि उनकी लागत भी नहीं निकल पा रही है. कई किसान तो ऐसे हैं जिनको मंडी में लाने का खर्चा भी लहसुन नहीं दे पा रहा है.

इन सब समस्याओं को लेकर किसानों ने नेताओं के आगे अपनी बात को रखा और नेताओं ने (Rajasthan Govt did not start purchase of Garlic) आश्वासन भी खूब दिए. कांग्रेस और बीजेपी दोनों के नेताओं ने किसानों को राहत देने की घोषणा की. नेताओं के आश्वासन पर खरीद के लिए किसान इंतजार करते रहे, लेकिन करीब 5 महीने बाद भी खरीद नहीं हो पाई.

धरा रह गया नेताओं का वादा, नहीं शुरू हुई लहसुन खरीद

किसानों को लोकसभा स्पीकल ओम बिरला, केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी और प्रदेश के यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने एक सुर में कहा था कि किसानों के लहसुन की खरीद होगी. किसान इन बयानों और वादों के आधार पर ही इंतजार करते रहे और आखिर अब लहसुन खराब होने की कगार पर पहुंच गया है. इस लहसुन के चलते हाड़ौती के किसानों को करोड़ों रुपए का नुकसान हो गया है.

पढ़ें. मार्केट इंटरवेंशन स्कीम के बावजूद राजस्थान सरकार ने शुरू नहीं की लहसुन की खरीद, किसानों को रोज हो रहा नुकसान

कई महीने निकाल दिए, लहसुन होने लगा खराबः किसान राजमल का कहना है कि अब (Rajasthan Garlic Farmers in Loss) तो लहसुन फेंकने की स्थिति में आ गया है. अधिकांश लहसुन खराब हो गया है, हमने काफी इंतजार सरकार का कर लिया. हम सोच रहे थे कि खरीद शुरू हो जाए, लेकिन अब बेचना मजबूरी हो गया है. लहसुन वजन में भी कम हो गया है. नेता केवल आश्वासन ही देते रहे हैं, अब हम किस के पास जाएं कोई हमारी बात नहीं सुन रहा है.

किराया भी नहीं निकल रहाः किसान बृजमोहन नागर का कहना है कि सरकार ने बोला था कि खरीद करेंगे, लेकिन खरीद अब तर शुरू नहीं हो पाई हैं. मंडी में पूरे दाम नहीं मिल रहे हैं. हमारी लागत भी नहीं निकल रही है. मंडी में एक से दो रुपए किलो में लहसुन बिक रहा है. हम करीब 150 किलोमीटर दूर से लहसुन लेकर आए हैं. जबकि गाड़ी का किराया ही इससे ज्यादा लग जाता है. सरकार ने 3000 के आसपास खरीद के लिए बोला था, लेकिन कुछ खरीद ही नहीं हो पाई है. लोगों को मजबूरी में मंडी में बेचना पड़ रहा है. किसान भी क्या करें, घर पर भी ज्यादा दिन नहीं रख सकते है.

नेताओं के आश्वासन के चलते इंतजार कियाः सांगोद इलाके के किसान कौशल सेन का कहना है (Garlic Farmers forced to sell produce cheap) कि नेताओं के आश्वासन के चलते इंतजार किया. 2 महीने तक सरकारी कांटे के शुरू होने की राह देख रहे थे, लेकिन चालू नहीं हो सका. उन्होंने कहा कि आज मंडी में 4 रुपए किलो में माल बिका है. अगली बार अब लहसुन की बुवाई भी नहीं करूंगा. मैंने 10 बीघा में लहसुन किया था. यह 10 हजार रुपए बीघा के अनुसार एक लाख रुपए देकर गया है. जबकि 25 हजार रुपए बीघा के अनुसार मेरा खर्चा ढाई लाख रुपए का हुआ है. मुझे ही लहसन बेचने पर डेढ़ लाख रुपए का सीधा नुकसान हुआ है.

पढ़ें: Kota Mandi Garlic Prices: मंडी में औने पौने दाम पर लहसुन बेच रहे किसान, फिर भी बाजार में कम नहीं हो रहे दाम...समझें गणित!

अब किस नेता और अधिकारी के पास जाएं, कोई बात ही नहीं करताः कनवास इलाके (Garlic sold at cheaper rates in mandi) के किसान धनपाल का कहना है कि समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए बोला था, लेकिन खरीद नहीं की है. अब हमारे पास कोई आता ही नहीं है, हमारी कोई सुन नहीं रहा है. भारतीय जनता पार्टी की टीम ने वादा किया था, ऊपर से लेकर नीचे तक के नेता दावा वादा कर रहे थे कि खरीद करेंगे. कोई लहसुन खरीदने नहीं आया, हम अन्य अधिकारियों के पास जाते हैं. तब भी हमारी सुनवाई नहीं होती है. आज भी एक रुपए किलो लहसुन बेचना पड़ा है. व्यापारी इसको भी इस दाम पर लेने से मना कर रहे थे. वहीं थोड़ा बड़ा लहसुन 550 से 700 रुपए क्विंटल बिका है.

यह कि गई थी घोषणा, विभागों के पास नहीं पहुंचा आदेशः राज्य सरकार ने 46,830 मीट्रिक टन लहसुन की खरीद 2957 रुपए क्विंटल पर की जाएगी. जबकि केंद्र सरकार ने 106000 मीट्रिक लहसुन खरीद की स्वीकृति दी थी. इसमें कोटा जिले में 13 हजार 500, कोटा व सांगोद, झालावाड़ में 8830 खानपुर व भवानीमंडी, बारां में 13700 व छीपाबड़ौद, प्रतापगढ़ में 5000 मिट्रिक टन लहसुन खरीद की घोषणा की गई थी. वहीं बूंदी में 4000, केशवरायपाटन और जोधपुर में 1800 मीट्रिक टन खरीद केन्द्र पर करने की घोषणा की गई थी. हालांकि यह आदेश सरकारी खरीद कंपनी की राजफेड के पास नहीं पहुंचा, जिसके चलते उन्होंने खरीद की तैयारियां भी शुरू नहीं की थी.

पढ़ें: अधिक उत्पादन से कौड़ी के भाव लहसुन, किसान परेशान...बाजार हस्तक्षेप योजना की मांग, सरकार पहले ही उठा चुकी है 191 करोड़ का घाटा

किस नेता ने कब दिया आश्वासन : साल 2021 के अंतिम दौर में ही लहसुन के दाम गिर गए थे. (Om Birla Assured of Garlic Purchase) जिसका असर इस साल की फसल में भी देखने को मिला. अप्रैल में जैसे ही नई फसल मंडी में आना शुरू हुई, उसके दाम धीरे धीरे कम हो गए. यहां तक कि 1 से 2 रुपए किलो भी माल बिका है. इसी मांग को लेकर किसानों ने 2 मई को कोटा दौरे पर आए लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से मुलाकात की थी. उन्होंने मार्केट इंटरवेंशन स्कीम पर लहसुन खरीद शुरू करवाने का आश्वासन दिया था.

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने 3 मई को इस संबंध में कृषि मंत्री लालचंद कटारिया से बातचीत की और राज्य सरकार की तरफ से मार्केट इंटरवेंशन स्कीम के तहत लहसुन खरीद का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजने के लिए कहा. जिसे 7 दिन में केंद्र सरकार से स्वीकृत करवा देने का दावा भी किया. राज्य सरकार ने यह प्रस्ताव नहीं भेजे, ऐसे में लोकसभा स्पीकर ने दोबारा बातचीत की. जिसके बाद मई महीने में ही केंद्र सरकार को यह प्रस्ताव भेज दिए गए.

पढ़ें: किसानों के लिए खुशखबरी: बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत राजस्थान में जल्द शुरू होगी लहसुन की खरीद : कैलाश चौधरी

30 मई को कोटा दौरे पर आए केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा था कि राज्य सरकार की तरफ से प्रस्ताव मिला है. लेकिन वह आधा-अधूरा होने पर राजस्थान सरकार को वापस लौटाने की जगह उन्होंने केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधिकारियों से ही दुरुस्त करवाया. इसके आधार पर जल्द ही मार्केट इंटरवेंशन स्कीम के तहत लहसुन की खरीद शुरू करने के लिए राजस्थान समेत सभी राज्यों को निर्देश जारी होंगें. इसके बाद 15 जून को प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में भाग लेने के लिए कोटा आए कैलाश चौधरी ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि प्रस्ताव आने के 1 सप्ताह के भीतर ही हमने राज्य सरकार को लहसुन खरीद के निर्देश दे दिए थे, लेकिन राजफेड के जरिए राज्य सरकार ने खरीद शुरू नहीं की है.

राजस्थान जनसंपर्क विभाग ने यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल का बयान जारी किया. जिसमें राजस्थान में लहसुन खरीद की घोषणा की गई थी. इसमें बताया था कि मंत्री धारीवाल ने किसानों की समस्या व उत्पादित लहसुन के बरसात के दौरान खराब होने की संभावना को देखते हुए मुख्यमंत्री के समक्ष किसानों की बात रखी थी. जिसके तहत 46830 मीट्रिक टन लहसुन की खरीद प्रदेश में होगी.

कोटा. प्रदेश में लहसुन उत्पादन के मामले में हाड़ौती पहले स्थान (Garlic production in Rajasthan) पर है. यहां पर 2022 में 115000 हेक्टेयर भूमि से करीब सात लाख मीट्रिक टन लहसुन उत्पादन हुआ है. इस बार लहसुन उत्पादक किसानों को दाम भी नहीं मिल पा रहे हैं. हालात यह है कि उनकी लागत भी नहीं निकल पा रही है. कई किसान तो ऐसे हैं जिनको मंडी में लाने का खर्चा भी लहसुन नहीं दे पा रहा है.

इन सब समस्याओं को लेकर किसानों ने नेताओं के आगे अपनी बात को रखा और नेताओं ने (Rajasthan Govt did not start purchase of Garlic) आश्वासन भी खूब दिए. कांग्रेस और बीजेपी दोनों के नेताओं ने किसानों को राहत देने की घोषणा की. नेताओं के आश्वासन पर खरीद के लिए किसान इंतजार करते रहे, लेकिन करीब 5 महीने बाद भी खरीद नहीं हो पाई.

धरा रह गया नेताओं का वादा, नहीं शुरू हुई लहसुन खरीद

किसानों को लोकसभा स्पीकल ओम बिरला, केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी और प्रदेश के यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने एक सुर में कहा था कि किसानों के लहसुन की खरीद होगी. किसान इन बयानों और वादों के आधार पर ही इंतजार करते रहे और आखिर अब लहसुन खराब होने की कगार पर पहुंच गया है. इस लहसुन के चलते हाड़ौती के किसानों को करोड़ों रुपए का नुकसान हो गया है.

पढ़ें. मार्केट इंटरवेंशन स्कीम के बावजूद राजस्थान सरकार ने शुरू नहीं की लहसुन की खरीद, किसानों को रोज हो रहा नुकसान

कई महीने निकाल दिए, लहसुन होने लगा खराबः किसान राजमल का कहना है कि अब (Rajasthan Garlic Farmers in Loss) तो लहसुन फेंकने की स्थिति में आ गया है. अधिकांश लहसुन खराब हो गया है, हमने काफी इंतजार सरकार का कर लिया. हम सोच रहे थे कि खरीद शुरू हो जाए, लेकिन अब बेचना मजबूरी हो गया है. लहसुन वजन में भी कम हो गया है. नेता केवल आश्वासन ही देते रहे हैं, अब हम किस के पास जाएं कोई हमारी बात नहीं सुन रहा है.

किराया भी नहीं निकल रहाः किसान बृजमोहन नागर का कहना है कि सरकार ने बोला था कि खरीद करेंगे, लेकिन खरीद अब तर शुरू नहीं हो पाई हैं. मंडी में पूरे दाम नहीं मिल रहे हैं. हमारी लागत भी नहीं निकल रही है. मंडी में एक से दो रुपए किलो में लहसुन बिक रहा है. हम करीब 150 किलोमीटर दूर से लहसुन लेकर आए हैं. जबकि गाड़ी का किराया ही इससे ज्यादा लग जाता है. सरकार ने 3000 के आसपास खरीद के लिए बोला था, लेकिन कुछ खरीद ही नहीं हो पाई है. लोगों को मजबूरी में मंडी में बेचना पड़ रहा है. किसान भी क्या करें, घर पर भी ज्यादा दिन नहीं रख सकते है.

नेताओं के आश्वासन के चलते इंतजार कियाः सांगोद इलाके के किसान कौशल सेन का कहना है (Garlic Farmers forced to sell produce cheap) कि नेताओं के आश्वासन के चलते इंतजार किया. 2 महीने तक सरकारी कांटे के शुरू होने की राह देख रहे थे, लेकिन चालू नहीं हो सका. उन्होंने कहा कि आज मंडी में 4 रुपए किलो में माल बिका है. अगली बार अब लहसुन की बुवाई भी नहीं करूंगा. मैंने 10 बीघा में लहसुन किया था. यह 10 हजार रुपए बीघा के अनुसार एक लाख रुपए देकर गया है. जबकि 25 हजार रुपए बीघा के अनुसार मेरा खर्चा ढाई लाख रुपए का हुआ है. मुझे ही लहसन बेचने पर डेढ़ लाख रुपए का सीधा नुकसान हुआ है.

पढ़ें: Kota Mandi Garlic Prices: मंडी में औने पौने दाम पर लहसुन बेच रहे किसान, फिर भी बाजार में कम नहीं हो रहे दाम...समझें गणित!

अब किस नेता और अधिकारी के पास जाएं, कोई बात ही नहीं करताः कनवास इलाके (Garlic sold at cheaper rates in mandi) के किसान धनपाल का कहना है कि समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए बोला था, लेकिन खरीद नहीं की है. अब हमारे पास कोई आता ही नहीं है, हमारी कोई सुन नहीं रहा है. भारतीय जनता पार्टी की टीम ने वादा किया था, ऊपर से लेकर नीचे तक के नेता दावा वादा कर रहे थे कि खरीद करेंगे. कोई लहसुन खरीदने नहीं आया, हम अन्य अधिकारियों के पास जाते हैं. तब भी हमारी सुनवाई नहीं होती है. आज भी एक रुपए किलो लहसुन बेचना पड़ा है. व्यापारी इसको भी इस दाम पर लेने से मना कर रहे थे. वहीं थोड़ा बड़ा लहसुन 550 से 700 रुपए क्विंटल बिका है.

यह कि गई थी घोषणा, विभागों के पास नहीं पहुंचा आदेशः राज्य सरकार ने 46,830 मीट्रिक टन लहसुन की खरीद 2957 रुपए क्विंटल पर की जाएगी. जबकि केंद्र सरकार ने 106000 मीट्रिक लहसुन खरीद की स्वीकृति दी थी. इसमें कोटा जिले में 13 हजार 500, कोटा व सांगोद, झालावाड़ में 8830 खानपुर व भवानीमंडी, बारां में 13700 व छीपाबड़ौद, प्रतापगढ़ में 5000 मिट्रिक टन लहसुन खरीद की घोषणा की गई थी. वहीं बूंदी में 4000, केशवरायपाटन और जोधपुर में 1800 मीट्रिक टन खरीद केन्द्र पर करने की घोषणा की गई थी. हालांकि यह आदेश सरकारी खरीद कंपनी की राजफेड के पास नहीं पहुंचा, जिसके चलते उन्होंने खरीद की तैयारियां भी शुरू नहीं की थी.

पढ़ें: अधिक उत्पादन से कौड़ी के भाव लहसुन, किसान परेशान...बाजार हस्तक्षेप योजना की मांग, सरकार पहले ही उठा चुकी है 191 करोड़ का घाटा

किस नेता ने कब दिया आश्वासन : साल 2021 के अंतिम दौर में ही लहसुन के दाम गिर गए थे. (Om Birla Assured of Garlic Purchase) जिसका असर इस साल की फसल में भी देखने को मिला. अप्रैल में जैसे ही नई फसल मंडी में आना शुरू हुई, उसके दाम धीरे धीरे कम हो गए. यहां तक कि 1 से 2 रुपए किलो भी माल बिका है. इसी मांग को लेकर किसानों ने 2 मई को कोटा दौरे पर आए लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से मुलाकात की थी. उन्होंने मार्केट इंटरवेंशन स्कीम पर लहसुन खरीद शुरू करवाने का आश्वासन दिया था.

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने 3 मई को इस संबंध में कृषि मंत्री लालचंद कटारिया से बातचीत की और राज्य सरकार की तरफ से मार्केट इंटरवेंशन स्कीम के तहत लहसुन खरीद का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजने के लिए कहा. जिसे 7 दिन में केंद्र सरकार से स्वीकृत करवा देने का दावा भी किया. राज्य सरकार ने यह प्रस्ताव नहीं भेजे, ऐसे में लोकसभा स्पीकर ने दोबारा बातचीत की. जिसके बाद मई महीने में ही केंद्र सरकार को यह प्रस्ताव भेज दिए गए.

पढ़ें: किसानों के लिए खुशखबरी: बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत राजस्थान में जल्द शुरू होगी लहसुन की खरीद : कैलाश चौधरी

30 मई को कोटा दौरे पर आए केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा था कि राज्य सरकार की तरफ से प्रस्ताव मिला है. लेकिन वह आधा-अधूरा होने पर राजस्थान सरकार को वापस लौटाने की जगह उन्होंने केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधिकारियों से ही दुरुस्त करवाया. इसके आधार पर जल्द ही मार्केट इंटरवेंशन स्कीम के तहत लहसुन की खरीद शुरू करने के लिए राजस्थान समेत सभी राज्यों को निर्देश जारी होंगें. इसके बाद 15 जून को प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में भाग लेने के लिए कोटा आए कैलाश चौधरी ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि प्रस्ताव आने के 1 सप्ताह के भीतर ही हमने राज्य सरकार को लहसुन खरीद के निर्देश दे दिए थे, लेकिन राजफेड के जरिए राज्य सरकार ने खरीद शुरू नहीं की है.

राजस्थान जनसंपर्क विभाग ने यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल का बयान जारी किया. जिसमें राजस्थान में लहसुन खरीद की घोषणा की गई थी. इसमें बताया था कि मंत्री धारीवाल ने किसानों की समस्या व उत्पादित लहसुन के बरसात के दौरान खराब होने की संभावना को देखते हुए मुख्यमंत्री के समक्ष किसानों की बात रखी थी. जिसके तहत 46830 मीट्रिक टन लहसुन की खरीद प्रदेश में होगी.

Last Updated : Sep 20, 2022, 11:34 PM IST
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