कोटा. शिक्षा नगरी कोटा हमेशा ही इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं के लिए बच्चों को प्लेटफार्म देता रहा है. जेईई मेन मार्च का परिणाम हाल ही में घोषित हुआ है. इसमें 13 बच्चे देश भर में 100 परसेंटाइल लेकर आए हैं, जिनमें 3 बच्चे राजस्थान के हैं. वहीं, कोटा से कोचिंग कर रहे दो बच्चे भी 100 परसेंटाइल के क्लब में शामिल हुए हैं. ईटीवी भारत ने 100 परसेंटाइल के क्लब में शामिल जेनिथ मल्होत्रा से विशेष बातचीत की है.
बता दें, जेईई मेन के 100 परसेंटाइल में शामिल जेनिथ मल्होत्रा राजस्थान के श्रीगंगानगर के रहने वाले हैं. जेनिथ 2 साल से कोटा में ही रहकर तैयारी कर रहे थे. हालांकि, लॉकडाउन के दौरान वे अपने घर चले गए थे, लेकिन ऑनलाइन स्टडी कोटा की कोचिंग सेंटर के जरिए ही कर रहे थे. जैसे ही लॉकडाउन के बाद कोटा के कोचिंग संस्थानों को खोला गया, वो भी वापस कोटा आ गए और यहां पर उन्होंने दोबारा ऑफलाइन स्टडी शुरू कर दी.
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जेनिथ का कहना है कि उन्होंने अभी तय नहीं किया है कि वह इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में आगे अपनी पढ़ाई करेंगे या फिर इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एडमिशन लेंगे. उनका कहना है कि अभी उनका लक्ष्य केवल जेईई एडवांस पर है और वह उसे भी अच्छी रैंक के साथ क्लियर करना चाहते हैं, ताकि उनके पास सभी ऑप्शन खुले रहें. साथ ही उनका यह भी कहना है कि उनकी फिजिक्स में काफी रुचि है, ऐसे में वे आगे फिजिक्स पर शोध कार्य भी करना चाहते हैं. जेनिथ का कहना है कि वह कोटा में हॉस्टल में ही अकेले रहते थे जैसे कि अन्य छात्र भी रहते थे. उनके पिता राकेश मल्होत्रा श्रीगंगानगर में एलआईसी में अधिकारी हैं. वहीं, उनकी मां शालू अरोड़ा गवर्नमेंट स्कूल में प्रिंसिपल हैं.
'मॉक टेस्ट और परीक्षा में बैठने की तैयारी करें'
जेनिथ का कहना है कि तैयारी के लिए मॉड्यूल शीट, प्रीवियस ईयर के जेईई मेन के पेपर और मॉक टेस्ट दिए हैं. इस साल सभी 12 शिफ्ट में हुए जेईई मेन के पेपर देखे हैं. केमिस्ट्री में एनसीईआरटी जरूरी है. फिजिक्स और मैथ्स में भी यह ज्यादा महत्वपूर्ण होता है. अपनी शीट, मॉड्यूल और इनकी तैयारी ज्यादा से ज्यादा करनी चाहिए. परीक्षा में बैठने की तैयारी भी जरूर करें. 3 घंटे लगातार बैठकर घर पर ही एग्जाम देने की कोशिश करें. इससे आपको जानकारी हो जाएगी कि कितनी परेशानी हमें एग्जाम में हो सकती है और हम इसके लिए तैयार हो जाएंगे.
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कोटा में स्टूडेंट्स के बीच होने वाली प्रतिस्पर्धा से फायदा
जेनिथ का कहना है कि कोटा का नाम मैंने काफी सुना था. जेईई की तैयारी का मन था, इसलिए यहां आया. मैं श्री गंगानगर से था, ऐसे में मेरे नजदीक भी था. ये अच्छा फैसला रहा है. ये बच्चों का शहर है, काफी अच्छा शहर है और मुझे काफी अच्छा लगा. पढ़ाई का काफी माहौल है. सभी लोग हमेशा खुश रहते हैं. आपस में अच्छी प्रतिस्पर्धा पढ़ाई के दौरान मिलती है. ऐसे बच्चों से काफी सीखने को मिलता है.
'रोज की पढ़ाई रोज करें, डाउट निकालें'
जेनिथ का कहना है कि लक्ष्य तो मेरा यही था कि जो मुझे फैकल्टी पढ़ाई करवाएगी, जिनका वर्क मैं पूरा एक दिन में करूंगा, उसे उसी दिन में ही खत्म करूंगा और उसके जितने डाउट्स होंगे, उनको दूसरे दिन फैकल्टी से क्लियर करता रहूंगा. इसी से मुझे फायदा हुआ.
स्ट्रेस में आने की जगह गलतियों को पहचानें
जेनिथ का कहना है कि जो बच्चे स्ट्रेस में आते हैं, उनको स्ट्रेस में आने की जगह अपनी गलतियों को पहचानना चाहिए कि कहां पर गलती हो रही है. साथ ही बहुत सारे टेस्ट देने पर आपको यह पता चल जाएगा कि आप कमजोरी कहां पर है. उसी टॉपिक की अच्छे से तैयारी करनी चाहिए और उस कमी को दूर करना चाहिए. अगर हम इसी तरह से स्ट्रेस लेंगे, तो पीछे रह जाएंगे. स्ट्रेस लेकर बैठ जाने से अच्छा है, उस कमजोरी को दूर करें, जिससे परेशानी भी नहीं होगी. ऑफलाइन जैसी ही ऑनलाइन थी.
100 परसेंटाइल के क्लब में शामिल हुए जेनिथ मल्होत्रा का कहना है कि वे 2019 में कोटा आए थे. एक साल ऑफलाइन पढ़ाई की. इसके बाद लॉकडाउन लग गया, फिर ऑनलाइन में घर पर ही पढ़ता रहा, मेरा ध्यान नहीं लगता था और आंखों पर थोड़ी सी परेशानी आती है, स्ट्रेस भी होता है, लेकिन सभी लोग मेहनत करे थे. फैकल्टी भी कर रही थी.