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कोटा: वन विभाग की जमीन पर अवैध कॉलोनियां काटने का सिलसिला जारी, 3 वर्ग किमी से ज्यादा भूमि पर अतिक्रमण

कोटा में अवैध खनन के साथ-साथ अवैध रूप से कॉलोनियां काटने की प्लानिंग भी वन विभाग की जमीन पर लगातार हो रही है. जिले में 3 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा भूमि पर लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है. देखिये ये रिपोर्ट....

Illegal mining in Kota,  Encroachment on forest land
वन विभाग की भूमि पर अतिक्रमण
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Published : Dec 4, 2020, 8:01 PM IST

कोटा. शहर से लगती हुई वन विभाग की सरकारी भूमि पर अवैध खनन पहले जोरों से जारी था, लेकिन अब अवैध खनन के साथ-साथ अवैध रूप से कॉलोनी काटने की प्लानिंग भी लगातार हो रही है. इसमें गरीब लोग कुछ लाख रुपए देकर जमीन खरीद लेते हैं. साथ ही मकान भी बना लेते हैं, जिन पर हमेशा तलवार लटकी रहती है.

वैध कॉलोनियां काटने का सिलसिला जारी

बोर्ड लगाकर कॉलोनियां काट रहे...

अवैध रूप से पहले खनन का काम क्रेशर बस्ती और बरड़ा बस्ती में चल रहा था. अब इसी जमीन को अवैध रूप से कॉलोनियां बसाने के उपयोग में लिया जा रहा है. कई अवैध रूप से प्रॉपर्टी काटने वाले लोगों ने यहां पर अपने बोर्ड तक लगा रखे हैं, जिनके जरिए वे कॉलोनी में प्लॉट होने की बात कहते हैं. यहां तक कि लोग पहले खुद कब्जा कर लेते हैं और उसमे न्यू डालकर छोड़ देते हैं. फिर इसी जमीन को दूसरे व्यक्ति को बेच देते हैं. एक के बाद दूसरी जगह पर वह इसी तरह से अवैध अतिक्रमण कर रहे हैं.

पढ़ें- जयपुर शहर भाजपा की नई टीम में युवाओं को लाने की तैयारी, राघव शर्मा ने बताया किन्हें मिलेगी एंट्री और क्या रहेंगे मापदंड

रिकॉर्ड में एक वर्ग किमी में अतिक्रमण, असल में कई गुना ज्यादा

सरकारी रिकॉर्ड की बात की जाए तो कोटा में 766 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र जिले में है. इसमें से महज 1 वर्ग किलोमीटर में अतिक्रमण चिह्नित किया हुआ है. जबकि असल में जो अतिक्रमण है, वह इससे कई गुना ज्यादा है. कोटा वन विभाग के टेरिटरी के लाडपुरा रेंज में ही आंवली रोजड़ी, बरड़ा बस्ती, अनंतपुरा और क्रेशर बस्ती ज्यादातर अतिक्रमण है. यहां पर दो हजार से ज्यादा मकान बने हैं, साथ ही अभी भी 200 से ज्यादा मकानों का निर्माण जारी है. कोटा जिले के ग्रामीण इलाकों की बात की जाए तो वहां पर पशु वालों ने सरकारी वन भूमि पर अतिक्रमण कर लिया है. इन भूमि पर वे अपने पशुओं को चराते हैं.

Illegal mining in Kota,  Encroachment on forest land
फैक्ट फाइल

मिलीभगत का भी आरोप...

वन विभाग के कार्मिकों पर मिलीभगत के आरोप भी जमकर लग रहे हैं. क्षेत्रीय पार्षद कमल कांत शर्मा का कहना है कि बिना मिलीभगत के अतिक्रमण होना संभव नहीं है क्योंकि वन विभाग के मॉनिटरिंग में लगे हुए गार्ड भी यहां पर आते हैं. साथ ही कई लोग अवैध कब्जा करने वाले लोगों से ही अवैध राशि वसूल कर ले जाते हैं. हालांकि, बीते साल एक फॉरेस्ट गार्ड भी रिश्वत लेते हुए इस तरह के मामले में ही गिरफ्तार हुआ था, जो कि मकान नहीं तोड़ने के एवज में ली गई थी.

Illegal mining in Kota,  Encroachment on forest land
वन विभाग की भूमि पर अतिक्रमण

वन विभाग का दावा, 500 से ज्यादा अतिक्रमण ध्वस्त ...

सहायक वन संरक्षक नवनीत शर्मा का कहना है कि वे लगातार छह महीने से इन अतिक्रमण के ऊपर कारवाई कर रहे हैं. उन्होंने 500 से ज्यादा अतिक्रमण को ध्वस्त किया है. साथ ही वे लोगों से अपील करते हैं कि सस्ती जमीन के लालच में वह वन क्षेत्र की भूमि को नहीं खरीदें क्योंकि बेचने वाला लोग अवैध रूप से कॉलोनी काट कर चला जाता है और नुकसान खरीदने वाले को ही उठाना पड़ रहा है.

कोटा. शहर से लगती हुई वन विभाग की सरकारी भूमि पर अवैध खनन पहले जोरों से जारी था, लेकिन अब अवैध खनन के साथ-साथ अवैध रूप से कॉलोनी काटने की प्लानिंग भी लगातार हो रही है. इसमें गरीब लोग कुछ लाख रुपए देकर जमीन खरीद लेते हैं. साथ ही मकान भी बना लेते हैं, जिन पर हमेशा तलवार लटकी रहती है.

वैध कॉलोनियां काटने का सिलसिला जारी

बोर्ड लगाकर कॉलोनियां काट रहे...

अवैध रूप से पहले खनन का काम क्रेशर बस्ती और बरड़ा बस्ती में चल रहा था. अब इसी जमीन को अवैध रूप से कॉलोनियां बसाने के उपयोग में लिया जा रहा है. कई अवैध रूप से प्रॉपर्टी काटने वाले लोगों ने यहां पर अपने बोर्ड तक लगा रखे हैं, जिनके जरिए वे कॉलोनी में प्लॉट होने की बात कहते हैं. यहां तक कि लोग पहले खुद कब्जा कर लेते हैं और उसमे न्यू डालकर छोड़ देते हैं. फिर इसी जमीन को दूसरे व्यक्ति को बेच देते हैं. एक के बाद दूसरी जगह पर वह इसी तरह से अवैध अतिक्रमण कर रहे हैं.

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रिकॉर्ड में एक वर्ग किमी में अतिक्रमण, असल में कई गुना ज्यादा

सरकारी रिकॉर्ड की बात की जाए तो कोटा में 766 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र जिले में है. इसमें से महज 1 वर्ग किलोमीटर में अतिक्रमण चिह्नित किया हुआ है. जबकि असल में जो अतिक्रमण है, वह इससे कई गुना ज्यादा है. कोटा वन विभाग के टेरिटरी के लाडपुरा रेंज में ही आंवली रोजड़ी, बरड़ा बस्ती, अनंतपुरा और क्रेशर बस्ती ज्यादातर अतिक्रमण है. यहां पर दो हजार से ज्यादा मकान बने हैं, साथ ही अभी भी 200 से ज्यादा मकानों का निर्माण जारी है. कोटा जिले के ग्रामीण इलाकों की बात की जाए तो वहां पर पशु वालों ने सरकारी वन भूमि पर अतिक्रमण कर लिया है. इन भूमि पर वे अपने पशुओं को चराते हैं.

Illegal mining in Kota,  Encroachment on forest land
फैक्ट फाइल

मिलीभगत का भी आरोप...

वन विभाग के कार्मिकों पर मिलीभगत के आरोप भी जमकर लग रहे हैं. क्षेत्रीय पार्षद कमल कांत शर्मा का कहना है कि बिना मिलीभगत के अतिक्रमण होना संभव नहीं है क्योंकि वन विभाग के मॉनिटरिंग में लगे हुए गार्ड भी यहां पर आते हैं. साथ ही कई लोग अवैध कब्जा करने वाले लोगों से ही अवैध राशि वसूल कर ले जाते हैं. हालांकि, बीते साल एक फॉरेस्ट गार्ड भी रिश्वत लेते हुए इस तरह के मामले में ही गिरफ्तार हुआ था, जो कि मकान नहीं तोड़ने के एवज में ली गई थी.

Illegal mining in Kota,  Encroachment on forest land
वन विभाग की भूमि पर अतिक्रमण

वन विभाग का दावा, 500 से ज्यादा अतिक्रमण ध्वस्त ...

सहायक वन संरक्षक नवनीत शर्मा का कहना है कि वे लगातार छह महीने से इन अतिक्रमण के ऊपर कारवाई कर रहे हैं. उन्होंने 500 से ज्यादा अतिक्रमण को ध्वस्त किया है. साथ ही वे लोगों से अपील करते हैं कि सस्ती जमीन के लालच में वह वन क्षेत्र की भूमि को नहीं खरीदें क्योंकि बेचने वाला लोग अवैध रूप से कॉलोनी काट कर चला जाता है और नुकसान खरीदने वाले को ही उठाना पड़ रहा है.

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