कोटा. आर्थिक मंदी के चलते आयकर कलेक्शन भी कम हो रहा है. इसमें बड़ी दिक्कत विभाग को आ रही है. कोटा जोन की ही बात की जाए तो यहां पर 55 फीसदी ही इनकम टैक्स कलेक्शन इस साल हो पाया है, जबकि टारगेट 560 करोड़ रुपए था. उसमें से करीब 300 करोड़ के आसपास ही टैक्स कलेक्शन इनकम टैक्स विभाग कर पाया है. अब मार्च का महीना ही इनकम टैक्स विभाग के पास में बचा हुआ है, जिसमें उन्हें बचा हुआ 45 फीसदी यानी 260 करोड़ रुपए टैक्स आयकर दाताओं से वसूलना है.
प्रधान आयकर आयुक्त (पीसीआईटी) कोटा जोन एसएस गौतम ने कहा, कि कोटा जोन में 560 करोड़ रुपए का इनकम टैक्स वसूलना था, लेकिन टैक्स कलेक्शन की दिशा देश की अर्थव्यवस्था के अनुसार ही होती है. हमारे प्रयास रहते हैं जो एरियर है उनकी रिकवरी भली-भांति करें. साथ ही करंट डिमांड को भी अच्छी तरह से रिकवर किया जाए, लेकिन मंदी के चलते इस बार टारगेट से हम पिछड़े हुए हैं.
साढ़े तीन लाख टैक्सपेयर है कोटा जोन में...
पीसीआईटी एसएस गौतम ने कहा, कि साढ़े तीन लाख टैक्सपेयर कोटा जोन में है. यह घटते बढ़ते रहते हैं, कुछ ऐसे टैक्स पेयर से जिनके यहां पर सर्वे हो गया. वह सेंट्रल चार्ज में चले गए हैं या फिर सेंट्रल चार्ज से एक बार फिर वापस हमारे पास आ जाते हैं. इसलिए इनकी संख्या घटती बढ़ती रहती है.
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सबसे ज्यादा कोचिंग संस्थानों से रेवेन्यू...
कोटा संभाग में आयकर देने वाली इंडस्ट्री में कोचिंग संस्थान भी शामिल है. इनसे करीब ढाई सौ करोड़ से ज्यादा का रेवेन्यू आता है, लेकिन अधिकांश कोचिंग संस्थानों पर सर्वे हो चुका है. ऐसे में इस कलेक्शन की राशि अब केंद्रीय प्रभार में चली जाती है जब तक उनका मामला वहां पर लंबित रहता है. यह टैक्स की राशि केंद्रीय प्रभार में ही जमा होती है.
40 फीसदी सीएफसीएल से आता है टैक्स...
एसएस गौतम ने बातचीत में बताया, कि सबसे ज्यादा रिवेन्यू कलेक्शन गड़ेपान स्थित चंबल फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स (सीएफसीएल) से आता है. यह करीब 225 करोड़ से ज्यादा है. हाड़ौती में इनकम टैक्स रिवेन्यू कलेक्शन में यह करीब 40 फीसदी के आसपास है.