रामगंजमंडी (कोटा). रामगंजमंडी उपखंड में दुकानों पर पटाखे तो खूब हैं. लेकिन ग्रीन पटाखे के बारे में बहुत कम दुकानदार जानते हैं. वहीं एक दुकानदार 2 सालों से ग्रीन नॉर्मस में आने वाले पॉल्यूशन मुक्त पटाखे बेच रहे हैं.
बता दें कि ऐसे में ईटीवी भारत की टीम बाजार में पहुंची और पटाखों की दुकानों पर दुकानदारों से ग्रीन पटाखे की मांग की. उसके बाद दुकानदारों ने मना कर दिया. दुकानदारों को पता ही नहीं था कि ग्रीन पटाखे क्या होते हैं. वहीं एक दुकानदार लव शर्मा ने बताया कि मुझे लगभग 15 साल से पटाखे की दुकान लगाते हो गया है. पिछले दो सालों ग्रीन पटाखे बेच रहे हैं. हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि ग्रीन पटाखे का चलन बहुत कम है.
सुप्रीम कोर्ट में इसका मामला भी चला था. प्रदूषण रहित और साउंड लेस पटाखे ही बेचे जाएं. लेकिन इनको ग्राहक कम खरीदना पसंद करते हैं और इनकी पटाखों की रेट भी थोड़ी ज्यादा होती है. लेकिन इन पटाखों से प्रदुषण भी कम होता है. साथ ही इन पटाखों में साउंड भी कम होता है, ग्रीन पटाखों से मानव शरीर को नुकसान नहीं होता है.
यह भी पढे़ं. स्पेशल रिपोर्ट: 15 करोड़ की लागत से बने स्पाइस पार्क को कई उद्योग यूनिटों का इंतजार, रोजगार की उम्मीद में हजारों युवा
क्या हैं ग्रीन पटाखे?
वह पटाखे जिनके जलने और चलाने पर कम प्रदूषण होता हो. यह पटाखे सामान्य पटाखों की तरह होते हैं. इनको जलाने पर नाइट्रोजन और सल्फर ऑक्साइड गैस का कम उत्सर्जन होता है. इन पटाखों को तैयार करने में एल्यूमीनियम का कम प्रयोग होता है. इनके लिए खास रसायन का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं ग्रीन पटाखा का चलन धीरे-धीरे बाजारों में इसलिए बढ़ना चाहिए कि दिवाली पर लड़ी ज्यादातर लोगों की फेवरेट होती है, जिसमें एक लड़ी में हजार-हजार बम तक होते हैं. ऐसे में एक बार शुरू होते ही यह कई मिनटों तक बजती रहती है.
यह पटाखे तेज आवाज भी करते हैं और जहरीला धुआं भी छोड़ते हैं. ऐसे में इस दिवाली पर बिकने वाले पटाखों से नुकसान ही नुकसान होता है. क्योंकि यह ग्रीन नॉर्म्स में नहीं आते और ये पटाखे ध्वनि प्रदुषण के साथ वायू प्रदूषण की वजह भी बनते हैं.
यह भी पढे़ं. खबर का असर: गोद ली गई बेटी 'लक्ष्मी' से मिलने पहुंचे कलेक्टर
दुकानदार लव शर्मा ने बताया कि पटाखों की आवाज ध्वनि प्रदूषण का बहुत बड़ा कारण है. यह स्वास्थ्य के लिए भी बेहद हानिकारक होती है. दिवाली में जलाया जाने वाला एक सामान्य से बम की आवाज का स्तर भी 100 डेसिबल होता है. कई पटाखों में आवाज का स्तर 125 डेसिबल को भी पार कर जाता है, जबिक इंसान के लिए 50 डेसिबल से ऊंची आवाज खतरनाक हो सकती है. ऐसे पटाखों के चलते इंसान के बहरा होने की संभावना रहती है और हृदय रोगियों में दिल का दौरा पड़ने की संभावना बढ़ जाती है. हालांकि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डस द्वारा इसकी सीमा तय करनी चाहिए.
यह भी पढे़ं. पारिवारिक कलह में कत्लेआम : दूध में मिलाकर दिया जहर, बेटा-पत्नी समेत एक ही परिवार के 4 लोगों की मौत
दुकानदार सुरेंद्र कुमार लक्षकार ने बताया कि ग्रीन नॉर्मस में आने वाले पटाखे थोड़े महंगे होते हैं. इसलिये इनको कोई खरीदना पसंद नहीं करता. वहीं यह पटाखे ज्यादा चलन में नही आये हैं. उपखंड में तेज आवाज के पटाखे सब जगहों पर मिल रहे हैं. लेकिन यह दुकानदार ग्रीन नॉर्मस में आने वाले पॉल्यूशन मुक्त और लेस साउंड पटाखों को भी ग्राहकों से खरीदने की अपील कर बेच रहे हैं.