ETV Bharat / city

SPECIAL: सामान्य इन्फ्लूएंजा से अलग है कोविड-19... गले में खराश, छींक और रनिंग नोज नहीं है कोरोना के लक्षण

author img

By

Published : Aug 22, 2020, 8:42 PM IST

Updated : Aug 22, 2020, 9:30 PM IST

बारिश के मौसम में भीग जाने के बाद सर्दी और जुकाम सामान्य बात है. ऐसे में जब कोविड-19 महामारी फैल रही हो और दोनों के लक्षण एक जैसे हैं. तो लोगों के सामने डर का माहौल वैसे ही बना रहता है. कोटा मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. निर्मल कुमार शर्मा का कहना है कि लक्षण के आधार पर कोविड-19 और सीजनल इनफ्लूएंजा को अलग करना काफी मुश्किल है.

etv bharat hindi news, kota news
यह नहीं है कोरोना के लक्षण...

कोटा. बारिश के मौसम में भीग जाने पर सर्दी, खासी या हल्का सा बुखार लगता है. इन्हीं में से कोरोना के लक्षण भी मिलते जुलते है. हालांकि कोटा मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. निर्मल कुमार शर्मा का कहना है कि लक्षण के आधार पर कोविड-19 और सीजनल इनफ्लूएंजा को अलग करना काफी मुश्किल है. कोविड-19 में गले में किसी तरह की खराश नहीं होती है. साथ ही छींके भी नहीं आती और खांसी भी नहीं चलती है. मरीज के नाक भी नहीं बहती है. इसके बावजूद उसे सांस की तकलीफ और कमजोरी महसूस होती है.

यह नहीं है कोरोना के लक्षण...

कोविड-19 और सामान्य इन्फ्लूएंजा में अंतर

खांसी: कोविड-19 में सूखी खांसी चलती है. इसके साथ ही गले में जलन हो जाती है. खराश हालांकि कम ही रहती है. गले में खुश्की सी रहती है. सामान्य जुकाम गला पकड़ लेता है. इसके साथ ही आवाज भारी हो जाती है. गले में खराश भी काफी ज्यादा रहती है. खांसी भी लगातार चलती है.

छींक: सामान्य जुकाम की तरह नाक कोविड-19 में नहीं बहती है. सामान्य इन्फ्लूएंजा में बार-बार छींक आती है. जबकि कोविड-19 में छींक भी नहीं आती है.

बुखार: इन्फ्लूएंजा में आंखों में भारीपन जलन और सामान्य बुखार रहता है. जबकि कोविड में लगातार बुखार आता है और तेज बुखार भी बना रहता है.

कमजोरी और मांसपेशियों में दर्द: चिकित्सकों के अनुसार कोविड-19 में मरीज को मांसपेशियों में दर्द और बहुत ज्यादा कमजोरी फील होती है. जबकि सीजनल फ्लू में इस तरह से नहीं होता है.

पढ़ें- SPECIAL: स्वास्थ्य विभाग का 'मिशन लिसा' अभियान, घर-घर जाकर सर्वे कर रही टीम

सांस की तकलीफ: कोविड-19 में सांस की तकलीफ ज्यादा होती है. साथ ही यह घातक भी रहती है. अचानक से सांस लेने में तकलीफ शुरू हो जाती है. जबकि सामान्य फ्लू में ना के बराबर सांस की समस्या होती है. सामान्य इन्फ्लूएंजा में ज्यादातर स्मोकिंग करने वाले या अस्थमा मरीजों के ही सांस की तकलीफ होती है.

हैप्पी हाइपरक्सिया: कोरोना के मरीजों का ऑक्सीजन का स्तर तुरंत नीचे चला जाता है. जिसका पता भी मरीज को नहीं चल पाता है. जब ऑक्सीजन का लेवल काफी नीचे चल जाता है. तब उसे सांस लेने में तकलीफ शुरू हो जाती है. इसे हैप्पी हाइपरक्सिया भी कहते हैं.

etv bharat hindi news, kota news
कोरोना की जांच करता चिकित्साकर्मी

कोविड-19 पर सीजन का असर भी नहीं

एक्सपर्ट चिकित्सकों का कहना है कि सामान्य फ्लू या वायरल सर्दी और बारिश के मौसम में ही ज्यादा होता है. सीजनल फ्लू भी कहते हैं. जबकि कोविड 19 पर किसी भी मौसम का असर नहीं होता है. सर्दी, बारिश या गर्मी में भी इसके मरीज सामने आ रहे हैं. हालांकि एक्सपर्ट्स चिकित्सकों का कहना है कि सरफेस ट्रांसमिशन में गर्मी और सर्दी का असर कोविड-19 के वायरस में नजर आता है. सरफेस ट्रांसमिशन गर्मी में कम हो जाता है. सर्दी में यह ज्यादा रहता है. जबकि कोविड-19 वायरस पर मेन टू मेन ट्रांसमिशन पर गर्मी सर्दी का कोई असर नहीं होता है.

पढ़ें- REPORT: राजस्थान में कोरोना से पुरुषों की सर्वाधिक मौत, डेथ ऑडिट में हुए चौंकाने वाले खुलासे

छोटे कमरे में एसी ज्यादा घातक

एक्सपर्ट का कहना है कि भीड़भाड़ वाले इलाके क्लासरुम, रेस्टोरेंट और होटल में कोविड-19 का खतरा ज्यादा है. साथ ही ऐसी दुकानें जहां पर छोटी जगह पर एयर कंडीशन लगा हुआ है. हवा का मूवमेंट नहीं है. वहां कोरोनावायरस ज्यादा काम करता है.

अस्पतालों में जारी है आईएलआई ओपीडी

एमबीएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ. नवीन सक्सेना का कहना है कि अस्पताल में फ्लू ओपीडी अलग से संचालित की जा रही है. जिसमें करीब 450 से ज्यादा लोग रोज दिखाने आ रहे हैं. वहीं मेडिसिन आउटडोर में भी सर्दी, खांसी और जुखाम के मरीजों को अलग से देखा जा रहा है. इन दोनों को मिलाकर करीब 900 के आसपास रोज मरीज एमबीएस के मेडिसिन विभाग में आ रहे हैं. जबकि पिछले साल करीब 500 के आसपास ही मरीज मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में दिखाने आ रहे थे.

पढ़ें- SPECIAL: सिंगिंग कॉप से सुनिए...कोरोना से लड़ने के लिए म्यूजिक को कैसे बनाया हथियार

सर्दी जुखाम होने पर दिखा रहे, दूसरी बीमारियों को टाल रहे

कोविड-19 महामारी के पहले एमबीएस और मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में सामान्य मरीजों के लिए सेवाएं जारी थी. लेकिन सरकार ने मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल को कोविड-19 हॉस्पिटल बना दिया. जिसके बाद वहां पर मिलने वाली सभी सुविधाएं अब एमबीएस में शिफ्ट की गई है. यहां पर ही उपचार लोगों का किया जा रहा है. सभी सेवाएं एमबीएस में शिफ्ट होने के बाद भी यहां मरीज आने से कतरा रहे हैं.

पहले जहां पर मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में 5 हजार और एमबीएस में 2 हजार मरीज रोज आ रहे थे. इसकी जगह महज एमबीएस अस्पताल का ओपीडी 1000 ही बढ़ा है. अब यहां पर 3 हजार मरीज हो जा रहे हैं. अस्पतालों का डाटा चेक करने पर सामने आ रहा है कि सर्दी और जुकाम होने पर व्यक्ति तुरंत अस्पताल में दिखाने पहुंच रहा है.

कोटा. बारिश के मौसम में भीग जाने पर सर्दी, खासी या हल्का सा बुखार लगता है. इन्हीं में से कोरोना के लक्षण भी मिलते जुलते है. हालांकि कोटा मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. निर्मल कुमार शर्मा का कहना है कि लक्षण के आधार पर कोविड-19 और सीजनल इनफ्लूएंजा को अलग करना काफी मुश्किल है. कोविड-19 में गले में किसी तरह की खराश नहीं होती है. साथ ही छींके भी नहीं आती और खांसी भी नहीं चलती है. मरीज के नाक भी नहीं बहती है. इसके बावजूद उसे सांस की तकलीफ और कमजोरी महसूस होती है.

यह नहीं है कोरोना के लक्षण...

कोविड-19 और सामान्य इन्फ्लूएंजा में अंतर

खांसी: कोविड-19 में सूखी खांसी चलती है. इसके साथ ही गले में जलन हो जाती है. खराश हालांकि कम ही रहती है. गले में खुश्की सी रहती है. सामान्य जुकाम गला पकड़ लेता है. इसके साथ ही आवाज भारी हो जाती है. गले में खराश भी काफी ज्यादा रहती है. खांसी भी लगातार चलती है.

छींक: सामान्य जुकाम की तरह नाक कोविड-19 में नहीं बहती है. सामान्य इन्फ्लूएंजा में बार-बार छींक आती है. जबकि कोविड-19 में छींक भी नहीं आती है.

बुखार: इन्फ्लूएंजा में आंखों में भारीपन जलन और सामान्य बुखार रहता है. जबकि कोविड में लगातार बुखार आता है और तेज बुखार भी बना रहता है.

कमजोरी और मांसपेशियों में दर्द: चिकित्सकों के अनुसार कोविड-19 में मरीज को मांसपेशियों में दर्द और बहुत ज्यादा कमजोरी फील होती है. जबकि सीजनल फ्लू में इस तरह से नहीं होता है.

पढ़ें- SPECIAL: स्वास्थ्य विभाग का 'मिशन लिसा' अभियान, घर-घर जाकर सर्वे कर रही टीम

सांस की तकलीफ: कोविड-19 में सांस की तकलीफ ज्यादा होती है. साथ ही यह घातक भी रहती है. अचानक से सांस लेने में तकलीफ शुरू हो जाती है. जबकि सामान्य फ्लू में ना के बराबर सांस की समस्या होती है. सामान्य इन्फ्लूएंजा में ज्यादातर स्मोकिंग करने वाले या अस्थमा मरीजों के ही सांस की तकलीफ होती है.

हैप्पी हाइपरक्सिया: कोरोना के मरीजों का ऑक्सीजन का स्तर तुरंत नीचे चला जाता है. जिसका पता भी मरीज को नहीं चल पाता है. जब ऑक्सीजन का लेवल काफी नीचे चल जाता है. तब उसे सांस लेने में तकलीफ शुरू हो जाती है. इसे हैप्पी हाइपरक्सिया भी कहते हैं.

etv bharat hindi news, kota news
कोरोना की जांच करता चिकित्साकर्मी

कोविड-19 पर सीजन का असर भी नहीं

एक्सपर्ट चिकित्सकों का कहना है कि सामान्य फ्लू या वायरल सर्दी और बारिश के मौसम में ही ज्यादा होता है. सीजनल फ्लू भी कहते हैं. जबकि कोविड 19 पर किसी भी मौसम का असर नहीं होता है. सर्दी, बारिश या गर्मी में भी इसके मरीज सामने आ रहे हैं. हालांकि एक्सपर्ट्स चिकित्सकों का कहना है कि सरफेस ट्रांसमिशन में गर्मी और सर्दी का असर कोविड-19 के वायरस में नजर आता है. सरफेस ट्रांसमिशन गर्मी में कम हो जाता है. सर्दी में यह ज्यादा रहता है. जबकि कोविड-19 वायरस पर मेन टू मेन ट्रांसमिशन पर गर्मी सर्दी का कोई असर नहीं होता है.

पढ़ें- REPORT: राजस्थान में कोरोना से पुरुषों की सर्वाधिक मौत, डेथ ऑडिट में हुए चौंकाने वाले खुलासे

छोटे कमरे में एसी ज्यादा घातक

एक्सपर्ट का कहना है कि भीड़भाड़ वाले इलाके क्लासरुम, रेस्टोरेंट और होटल में कोविड-19 का खतरा ज्यादा है. साथ ही ऐसी दुकानें जहां पर छोटी जगह पर एयर कंडीशन लगा हुआ है. हवा का मूवमेंट नहीं है. वहां कोरोनावायरस ज्यादा काम करता है.

अस्पतालों में जारी है आईएलआई ओपीडी

एमबीएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ. नवीन सक्सेना का कहना है कि अस्पताल में फ्लू ओपीडी अलग से संचालित की जा रही है. जिसमें करीब 450 से ज्यादा लोग रोज दिखाने आ रहे हैं. वहीं मेडिसिन आउटडोर में भी सर्दी, खांसी और जुखाम के मरीजों को अलग से देखा जा रहा है. इन दोनों को मिलाकर करीब 900 के आसपास रोज मरीज एमबीएस के मेडिसिन विभाग में आ रहे हैं. जबकि पिछले साल करीब 500 के आसपास ही मरीज मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में दिखाने आ रहे थे.

पढ़ें- SPECIAL: सिंगिंग कॉप से सुनिए...कोरोना से लड़ने के लिए म्यूजिक को कैसे बनाया हथियार

सर्दी जुखाम होने पर दिखा रहे, दूसरी बीमारियों को टाल रहे

कोविड-19 महामारी के पहले एमबीएस और मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में सामान्य मरीजों के लिए सेवाएं जारी थी. लेकिन सरकार ने मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल को कोविड-19 हॉस्पिटल बना दिया. जिसके बाद वहां पर मिलने वाली सभी सुविधाएं अब एमबीएस में शिफ्ट की गई है. यहां पर ही उपचार लोगों का किया जा रहा है. सभी सेवाएं एमबीएस में शिफ्ट होने के बाद भी यहां मरीज आने से कतरा रहे हैं.

पहले जहां पर मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में 5 हजार और एमबीएस में 2 हजार मरीज रोज आ रहे थे. इसकी जगह महज एमबीएस अस्पताल का ओपीडी 1000 ही बढ़ा है. अब यहां पर 3 हजार मरीज हो जा रहे हैं. अस्पतालों का डाटा चेक करने पर सामने आ रहा है कि सर्दी और जुकाम होने पर व्यक्ति तुरंत अस्पताल में दिखाने पहुंच रहा है.

Last Updated : Aug 22, 2020, 9:30 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.