कोटा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट घोषणा में कोटा जिले के इटावा उपखंड से सवाईमाधोपुर को जोड़ने के लिए चंबल नदी पर एक पुल बनाने की घोषणा की थी. यह पुल झरेल के बालाजी के नजदीक बनना है, जो कि 1880 मीटर लंबा है. लंबाई के हिसाब से यह प्रदेश का सबसे लंबा पुल होगा. हालांकि पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिलने से इसका निर्माण अब तक शुरू नहीं हो पाया है. फिलहाल मौजूद पुल की मरम्मत पर हर साल लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं.
चंबल नदी के घड़ियाल सेंचुरी होने के चलते पर्यावरण स्वीकृति में यह ब्रिज उलझ गया है. बीते 8 महीने से केवल कागजी कार्रवाई ही हो पाई है. धरातल पर ब्रिज का काम कब शुरू होगा, यह कोई नहीं बता पा रहा है. सार्वजनिक निर्माण विभाग ने ब्रिज निर्माण के लिए पर्यावरण स्वीकृति वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से मांगी है, लेकिन अभी उसे स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड को ही नहीं भेजा गया है. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि अगले 5 महीनों यानी अगले बजट तक इस ब्रिज की स्वीकृति मिलना ही मुश्किल है. सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारी कहते हैं कि फॉरेस्ट के पास किसी भी अनुमति के लिए अगर फाइल चली जाए, तो वह 'फॉर रेस्ट' हो जाती है.
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डीएफओ सवाई माधोपुर के पास अटकी हुई है फाइल
सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंता आरके सोनी का कहना है कि इस प्रोजेक्ट में करीब 7 हेक्टेयर जमीन वन विभाग की आ रही है. जिस पर निर्माण के लिए 21 मई, 2021 को ही ऑनलाइन एनवायरमेंट क्लीयरेंस के लिए आवेदन कर दिया था. अगस्त में चंबल घड़ियाल सेंचुरी के डीएफओ सवाई माधोपुर से इस मामले में क्वेरीज आई थी. इनका भी जवाब दे दिया गया और उसके बाद उन्होंने एक और क्वेरीज अक्टूबर महीने में की थी. इसे भी भेज दिया गया है. अब यह फाइल चंबल घड़ियाल सेंचुरी के डीएफओ सवाई माधोपुर कार्यालय में लंबित है. इसके बाद स्टेटवाइड लाइफ बोर्ड को यह भेजी जाएगी. जहां से नेशनल वाइल्डलाइफ बोर्ड तक जाएगी, तब जाकर इसकी स्वीकृति मिलेगी. इसके बाद ही पुल निर्माण के लिए टेंडर निकाले जा सकेंगे.
पिछले बजट में डीपीआरके स्वीकृति इस बार निर्माण की
गौरतलब है कि सीएम गहलोत ने वर्ष 2020 के बजट में करीब 30 लाख रुपए की स्वीकृति झरेल के बालाजी पर उच्च स्तरीय पुल की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने के लिए जारी की थी. यह रिपोर्ट 2020 में ही तैयार हो गई. इसके आधार पर ही 165 करोड़ रुपए की घोषणा 2021 के बजट में मुख्यमंत्री ने की थी. इसके साथ ही 3 मई, 2021 को इसके लिए 165 करोड़ रुपए की प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति भी राज्य सरकार ने जारी कर दी थी.
रपट वाले पुल पर मेंटेनेंस में हर साल लाखों का खर्चा
चंबल नदी में पानी की आवक होने के चलते झरेल के बालाजी के पास से सवाईमाधोपुर जाने वाला रास्ता बंद हो जाता है. यह रास्ता कई महीनों तक बंद रहता है. यहां मौजूदा पुल काफी नीचे और रपट वाला है. जिसके चलते हर साल बारिश में यह जीर्ण-शीर्ण हो जाता है. इसकी मरम्मत पर हर साल सार्वजनिक निर्माण विभाग लाखों रुपए खर्च करता है. इस ब्रिज पर पानी आ जाने के चलते खातौली इलाके के हजारों लोगों का संपर्क सवाई माधोपुर और मध्य प्रदेश से कट जाता है. बारां जिले से सीधा सवाई माधोपुर जाने के लिए भी यह रास्ता काफी सुगम है और दूरी भी कम करता है.
अभी भी सबसे लंबा ब्रिज चंबल पर, स्वीकृति में लगे 10 साल
वर्तमान में सबसे लंबा पुल भी चंबल नदी पर गेंता माखीदा के बीच बना हुआ है. यह ब्रिज 1562 मीटर लंबा है. इसके निर्माण की स्वीकृति में भी 10 साल लग गए थे. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था. तब जाकर स्वीकृति मिली और स्वीकृति मिलने के 23 महीने के रिकॉर्ड समय में ही इसको तैयार कर दिया गया. इसमें करीब 120 करोड़ रुपए की लागत आई थी. यह करीब 22 मीटर ऊंचा है. जबकि झरेल के बालाजी में बनने वाला ब्रिज करीब 30 मीटर ऊंचाई का होगा.