कोटा. भारतीय जनता पार्टी (BJP) शासित राज्य यूपी की तर्ज पर राजस्थान में भी जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाने की मांग उठने लगी है. खुद कांग्रेस के विधायक भरत सिंह ने ये मांग की है. साथ ही कहा है कि अगर इस पर समय रहते कदम नहीं उठाया गया तो, आगे जाकर लोगों के लिए अत्यंत कष्टदायक स्थिति सामने आएगी. इसके लिए विधानसभा का एक दो दिवसीय विशेष सत्र भी उन्होंने बुलाने की मांग की है.
इसके साथ ही उन्होंने ईटीवी भारत के साथ हुई वार्ता में कहा कि जनसंख्या वृद्धि के चलते ही चोरी जैसी 'स्वरोजगार योजना' संचालित हो रही है. यह आगे और बढ़ जाएगी. विधायक भरत सिंह ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लिखे गए पत्र में कहा है कि विश्व जनसंख्या दिवस पर प्रदेश और देश की बढ़ती जनसंख्या पर चिंतन और संगोष्ठी की आवश्यकता है.
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राजस्थान की जनसंख्या 1951 में 1.52 करोड़ थी, लेकिन 2021 में यह बढ़कर आठ करोड़ के आसपास पहुंच गई है. बढ़ती जनसंख्या से विकास के सभी प्रयासों का लाभ सही रूप में लोगों तक पहुंच पाना असंभव है. इसके लिए प्रदेश में सख्त कानून और नीति बनाई जानी आवश्यक है, ताकि बढ़ती हुई जनसंख्या को रोका जा सके.
विधायक भरत सिंह का कहना है कि जनसंख्या का लगातार इस गति से बढ़ना काफी घातक है. यह रुकना चाहिए. लोगों को नौकरियां भी नहीं मिल रही हैं. भले आदमी का जीना दुश्वार हो जाएगा, क्योंकि लोग सड़कों पर आ जाएंगे. गुंडागर्दी का राज हो जाएगा. यह जो चोरियां होती हैं, इसे मैं स्वरोजगार योजना कहता हूं. यह चोरियां भी इसीलिए होती हैं, क्योंकि जनसंख्या ज्यादा है और भारी संख्या में स्वरोजगार योजना चालू हो जाएगी.
विधायक भरत सिंह ने कहा कि मैं इमरजेंसी का समर्थन तो नहीं करता हूं, लेकिन इमरजेंसी के कार्यकाल में नसबंदी करके परिवार नियोजन की जो बात उठाई है, उसका तरीका गलत था. मैं समझता हूं कि उसके परिणाम स्वरूप इंदिरा गांधी और कांग्रेस के खिलाफ लोगों ने वोट किया. क्योंकि उन्हें तकलीफ हुई थी. लेकिन जिस मुद्दे पर बात की गई थी वह उस समय भी ज्वलंत था और आज भी है.
वर्तमान में राजनीतिक पार्टियों ने अपना सिद्धांत बना लिया है. जनसंख्या के बारे में हमें मुंह ही नहीं खोलना है. कोई राजनीतिक पार्टी खुलकर इस पर बात नहीं करती है. जनसंख्या इस प्रकार से बढ़ गई है कि अराजकता फैलने की स्थिति है. मैंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय से इस पर जवाब भी आया है.