कोटा. सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन ने (CBSE expresses displeasure) मैंडेटरी स्कूल डिस्क्लोजर को अपडेट नहीं करने को लेकर डिफाल्टर स्कूलों को लेकर नाराजगी जताई है. साथ ही स्कूलों को (CBSE gave instruction) कड़े दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं.
इस नोटिफिकेशन में बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि कई स्कूल 5 मार्च व 21 मई 2021 को जारी किए गए दिशा निर्देश के अनुसार 'मैंडेटरी पब्लिक डिस्क्लोजर' से संबंधित सूचनाओं को अपडेट नहीं कर रहे हैं. बोर्ड के निर्देशों के अनुसार 'मैंडेटरी पब्लिक डिस्क्लोजर' लगातार अपडेट करना है. जिससे विद्यार्थियों, अभिभावकों व स्कूली शिक्षा से जुड़े सभी स्टेक होल्डर्स को सूचनाएं मिलती रहे. साथ ही कार्य प्रणाली पारदर्शी बनी रहे. कोटा के एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा ने बताया कि 'मैंडेटरी स्कूल डिस्क्लोजर' को अपडेट नहीं करना सीबीएसई संबद्धता नियम 2018 का उल्लंघन है. सभी डिफॉल्टर स्कूलों को 'मैंडेटरी स्कूल डिस्क्लोजर' को जल्द अपडेट करने के लिए निर्देशित किया गया है. स्कूल को ऑनलाइन एफीलिएशन स्कूल इनफार्मेशन सिस्टम (ओएसिस) पर सूचनाएं अपडेट करने के लिए भी निर्देशित किया गया है.
पढ़ेंः CBSE Term 1 Result 2022: 10वीं और 12वीं टर्म-1 रिजल्ट होंगे जारी, सीबीएसई वेबसाइट क्रैश
क्या हैं 'मैंडेटरी स्कूल डिस्क्लोजर'?: देव शर्मा ने बताया कि लंबे समय से कई राज्यों के सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों की शिकायत मिल रही है कि उन्होंने गलत सूचना के आधार पर एडमिशन लिए हैं. इसमें मुख्य रूप से 12वीं बोर्ड की मान्यता नहीं होने के बाद भी विद्यालयों ने 12वीं बोर्ड का एडमिशन दे दिया. इसके चलते बोर्ड परीक्षा के समय विद्यार्थियों का बोर्ड परीक्षा से वंचित हो जाने जैसी शिकायतें बोर्ड को प्राप्त हुई थी. जिनमें एजुकेशन स्टैंडर्ड बिलो बेंचमार्क, इंसफिशिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर, नान-अवेलेबिलिटी ऑफ टीचिंग स्टाफ जैसे कई मुख्य मुद्दों पर भी विद्यालयों का खरे नहीं उतरना शामिल है. जबकि स्कूल फीस को लेकर कई विद्यालयों का रुख सकारात्मक नहीं होने की शिकायत भी शामिल है. इन सभी के समाधान के लिए मैंडेटरी स्कूल डिस्क्लोजर की व्यवस्था लागू की गई थी.
पढ़ेंः CBSE की टर्म 2 परीक्षा 26 अप्रैल से, ऑफलाइन होगा एग्जाम
जिसमें सीबीएसई से संबद्ध सभी विद्यालयों को विद्यालय की एकेडमिक व इंफ्रास्ट्रक्चर से संबंधित सभी सूचनाएं स्कूल वेबसाइट पर एक महत्वपूर्ण आइकन के तहत प्रदर्शित करनी होती हैं. इन सूचनाओं में फीस स्ट्रक्चर, एकेडमिक कैलेंडर, पिछले 3 वर्षों का बोर्ड रिजल्ट, स्कूल पेरेंट्स एसोसिएशन के मेंबर्स लिस्ट, एकेडमिक स्टाफ डिटेल आदि शामिल हैं. देव शर्मा ने बताया कि विद्यालय इन सूचनाओं को प्रदर्शित करने के चलते किसी भी तरह की ठगी का शिकार होने से अभिभावक और बच्चे बच सकते हैं.