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CBSE 10TH RESULT ANALYSIS: 12वीं से कमजोर रहा 10वीं का परिणाम, 95 फीसदी लाने वाले विद्यार्थी हुए आधे

सीबीएसई परीक्षा परिणाम के तुलनात्मक अध्ययन पर सामने आया कि 10वीं का परीक्षा परिणाम 12वीं के परिणाम से कमजोर रहा है. 95 फीसदी परीक्षा परिणाम बनाने वाले विद्यार्थियों की संख्या आधी है.

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10वीं और 12वीं परीक्षा परिणाम का तुलनात्मक अध्ययन
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Published : Aug 3, 2021, 8:08 PM IST

कोटा. सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन ने मंगलवार को वैकल्पिक विधि से तैयार दसवीं बोर्ड का परिणाम घोषित कर दिया गया. हाल ही में घोषित 12वीं से दसवीं बोर्ड परीक्षा परिणाम काफी कमजोर रहा. दसवीं बोर्ड परीक्षा परिणाम के तुलनात्मक विश्लेषण करने पर सामने आया कि 95 फीसदी या अधिक मार्क्स पाने वाले विद्यार्थियों की संख्या आधी है. जबकि कंपार्टमेंट प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की संख्या दोगुनी है.

ये आंकड़े बताते हैं कि परीक्षा परिणामों के उच्चतम व निम्नतम दोनों स्तरों में गिरावट आई है. कोटा के एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा ने बताया कि दसवीं बोर्ड में 95 फीसदी या अधिक मार्क्स पाने वाले महज 2.76 फीसदी विद्यार्थी हैं. जबकि हाल ही में घोषित किए गए 12वीं बोर्ड के परीक्षा परिणाम में कुल 5.37 फीसदी विद्यार्थी थे, जबकि अधिकतम अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों का प्रतिशत दसवीं बोर्ड में 12वीं बोर्ड के तुलना में आधा रह गया है.

वहीं कंपार्टमेंट घोषित किए जाने वाले विद्यार्थियों के आंकड़ों को देखा जाए तो दसवीं बोर्ड में 0.84 फीसदी विद्यार्थियों का परीक्षा परिणाम कंपार्टमेंट घोषित किया गया. जबकि 12वीं बोर्ड में मात्र 0.47 फीसदी विद्यार्थियों का परिणाम कंपार्टमेंट घोषित किया गया था. ये आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि दसवीं बोर्ड में कंपार्टमेंट घोषित किए गए विद्यार्थियों की संख्या का प्रतिशत 12वीं में कंपार्टमेंट घोषित किए गए विद्यार्थियों की संख्या से 2 गुनी है.

पढ़ें-CBSE रिजल्ट : अजमेर रीजन का 10वीं का रिजल्ट रहा 99.88 प्रतिशत...रीजन कार्यालय को 3 घंटे बाद नहीं मिला रिजल्ट डेटा

देव शर्मा ने जब दसवीं बोर्ड परीक्षा परिणाम के बारे में अभिभावकों से बातचीत की तो निष्कर्ष निकल कर सामने आया कि वर्ष 2021 में दसवीं बोर्ड में सम्मिलित होने वाले विद्यार्थियों की कोविड-19 के कारण आपात-परिस्थितियों के चलते वर्ष-पर्यंत ऑनलाइन कक्षाएं ही आयोजित होती रहीं. सभी अभिभावकों का मानना था कि ऑनलाइन कक्षाओं के दौरान विद्यार्थी को फिजिकल क्लास रूम एनवायरमेंट प्राप्त नहीं हो पाता है.

इसी के चलते वे सब्जेक्ट पर फोकस नहीं कर पाते. टीचर स्टूडेंट इंटरेक्शन नहीं होने के कारण विद्यार्थी कंसेप्ट को न तो ढंग से समझ पाते हैं और न उन्हें अप्लाई कर पाते हैं. हालात यह हो जाते हैं कि विद्यार्थी का 'स्टडी' में 'इंटरेस्ट' समाप्त हो जाता है और वह सिर्फ दिखावे के लिए ऑनलाइन क्लासेस अटेंड करता है. देव शर्मा ने बताया कि ऑनलाइन-क्लासेस हायर स्टडीज के लिए तो ठीक है, लेकिन सेकेंडरी स्तर पर यह कारगर नहीं है.

कोटा. सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन ने मंगलवार को वैकल्पिक विधि से तैयार दसवीं बोर्ड का परिणाम घोषित कर दिया गया. हाल ही में घोषित 12वीं से दसवीं बोर्ड परीक्षा परिणाम काफी कमजोर रहा. दसवीं बोर्ड परीक्षा परिणाम के तुलनात्मक विश्लेषण करने पर सामने आया कि 95 फीसदी या अधिक मार्क्स पाने वाले विद्यार्थियों की संख्या आधी है. जबकि कंपार्टमेंट प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की संख्या दोगुनी है.

ये आंकड़े बताते हैं कि परीक्षा परिणामों के उच्चतम व निम्नतम दोनों स्तरों में गिरावट आई है. कोटा के एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा ने बताया कि दसवीं बोर्ड में 95 फीसदी या अधिक मार्क्स पाने वाले महज 2.76 फीसदी विद्यार्थी हैं. जबकि हाल ही में घोषित किए गए 12वीं बोर्ड के परीक्षा परिणाम में कुल 5.37 फीसदी विद्यार्थी थे, जबकि अधिकतम अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों का प्रतिशत दसवीं बोर्ड में 12वीं बोर्ड के तुलना में आधा रह गया है.

वहीं कंपार्टमेंट घोषित किए जाने वाले विद्यार्थियों के आंकड़ों को देखा जाए तो दसवीं बोर्ड में 0.84 फीसदी विद्यार्थियों का परीक्षा परिणाम कंपार्टमेंट घोषित किया गया. जबकि 12वीं बोर्ड में मात्र 0.47 फीसदी विद्यार्थियों का परिणाम कंपार्टमेंट घोषित किया गया था. ये आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि दसवीं बोर्ड में कंपार्टमेंट घोषित किए गए विद्यार्थियों की संख्या का प्रतिशत 12वीं में कंपार्टमेंट घोषित किए गए विद्यार्थियों की संख्या से 2 गुनी है.

पढ़ें-CBSE रिजल्ट : अजमेर रीजन का 10वीं का रिजल्ट रहा 99.88 प्रतिशत...रीजन कार्यालय को 3 घंटे बाद नहीं मिला रिजल्ट डेटा

देव शर्मा ने जब दसवीं बोर्ड परीक्षा परिणाम के बारे में अभिभावकों से बातचीत की तो निष्कर्ष निकल कर सामने आया कि वर्ष 2021 में दसवीं बोर्ड में सम्मिलित होने वाले विद्यार्थियों की कोविड-19 के कारण आपात-परिस्थितियों के चलते वर्ष-पर्यंत ऑनलाइन कक्षाएं ही आयोजित होती रहीं. सभी अभिभावकों का मानना था कि ऑनलाइन कक्षाओं के दौरान विद्यार्थी को फिजिकल क्लास रूम एनवायरमेंट प्राप्त नहीं हो पाता है.

इसी के चलते वे सब्जेक्ट पर फोकस नहीं कर पाते. टीचर स्टूडेंट इंटरेक्शन नहीं होने के कारण विद्यार्थी कंसेप्ट को न तो ढंग से समझ पाते हैं और न उन्हें अप्लाई कर पाते हैं. हालात यह हो जाते हैं कि विद्यार्थी का 'स्टडी' में 'इंटरेस्ट' समाप्त हो जाता है और वह सिर्फ दिखावे के लिए ऑनलाइन क्लासेस अटेंड करता है. देव शर्मा ने बताया कि ऑनलाइन-क्लासेस हायर स्टडीज के लिए तो ठीक है, लेकिन सेकेंडरी स्तर पर यह कारगर नहीं है.

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