कोटा. एसीबी कोर्ट ने बुधवार को एक फैसला सुनाते हुए नगर निगम के पूर्व कमिश्नर और रिटायर्ड आरएएस अधिकारी सहित तीन आरोपियों को 7 साल की सजा सुनाई है. साथ ही 21 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है. तीनों आरोपियों ने अन्य के साथ मिलकर 19 साल पहले नगर निगम के भूखंड को कूट रचित दस्तावेज के जरिए एक व्यक्ति के नाम आवंटित कर दिया था. इस मामले में कुल सात आरोपी थे, जिनमें से चार की मृत्यु केस की ट्रायल के दौरान हो चुकी है.
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क्या है पूरा मामला...
सहायक निदेशक अभियोजन अशोक जोशी ने बताया कि वर्ष 2002 में कोटा एसीबी के एडिशनल एसपी यशपाल शर्मा ने एफआईआर दर्ज करते हुए जांच की थी. जिसमें सामने आया था कि तत्कालीन कमिश्नर आरएएस केएल मीणा और निगम के कार्यालय सहायक जगन प्रसाद, कार्यालय सहायक ललित सिंह, कनिष्ठ अभियंता बब्बू गुप्ता, लिपिक जगन्नाथ साथ मिलकर कंसुआ निवासी हरिसिंह को निगम का भूखण्ड अवैध तरीके से आंवटित करवा दिया. जबकि वह भूखण्ड पूर्व में एक पत्रकार क्रांति चंद जैन को आंवटित हुआ था, जो बाद में किस्त नहीं चुकाने के कारण निरस्त हो गया था.
मामले की पूरी जानकारी प्रिंटिंग प्रेस के मालिक असलम शेर खान को थी, जिसने सत्यप्रकाश शर्मा के साथ मिलीभगत कर फर्जी मोहर के जरिए कूटरचित दस्तावेज तैयार किए और अपने परिचित हरि सिंह को ये भूखण्ड आंवटित करवा दिया और भूखण्ड को 7 लाख 50 हजार रुपए में बेच दिया.
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उक्त मामले में एसीबी की जांच में सामने आया था कि तत्कालीन कमिश्नर और अन्य कार्मिकों ने अपने निजी स्वार्थ के कारण कूटरचित दस्तावेज तैयार कर सरकार को 7 लाख 50 हजार का चूना लगाया है. वर्ष 2002 से ये मामला कोटा एसीबी कोर्ट में विचाराधीन था.
मामले में चार आरोपी सत्यप्रकाश शर्मा, जय हिंद प्रिंटिंग प्रेस के मालिक असलम शेर, निगम कार्मिक जगन प्रसाद और कार्मिक ललित सिंह की पूर्व में मौत हो चुकी है. शेष तीन आरोपी तत्कालीन कमिश्नर आरएएस केएल मीणा, अभियंता बब्बू गुप्ता और लिपिक जगन्नाथ को 7-7 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही कुल 21 लाख रुपए के जुर्माने से दंडित किया है.