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स्पेशल: कोटा में फंसे 8 हजार बिहार के मजदूर, सरकार से सवाल-कब चलेगी घर वापसी के लिए ट्रेनें - lockdown

कोटा में बिहार से आए अलग-अलग कामों में लगे 8 हजार मजदूर हैं. लॉकडाउन के बाद इनसे रोजी-रोटी छिन चुकी है. ऐसे में ये मजदूर सरकार से छात्रों की तरह ही घर भेजने के लिए गुहार लगा रहे हैं.

Bihari workers, कोटा न्यूज
बिहारी मजदूर लगा रहे घर वापसी की गुहार
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Published : May 8, 2020, 7:06 PM IST

Updated : May 8, 2020, 7:37 PM IST

कोटा. शहर से बिहार के स्टूडेंट्स की वापसी हो रही है लेकिन मजदूरों के लिए अभी तक कोई ट्रेन नहीं चली है. कई मजदूर अफवाह के कारण रेलवे स्टेशन की तरफ पहुंच रहे हैं. जहां से उन्हें वापस लौटा दिया जा रहा है. ऐसे ही कुछ मजदूरों का कहना है जब छात्रों की घर वापसी हो रही है, तो उनकी कब होगी.

बिहारी मजदूर लगा रहे घर वापसी की गुहार

कोटा से अभी तक 10 ट्रेनें छात्रों को लेकर रवाना हो चुकी है लेकिन श्रमिकों के लिए एक भी ट्रेन रवाना नहीं हुई है. ऐसे में शुक्रवार को कुछ श्रमिक जो कि बिहार के रहने वाले थे, सड़कों पर भी उतरे और अपनी नाराजगी जाहिर की है. हालांकि इन श्रमिकों ने एक बड़ा सवाल खड़ा किया है कि जब छात्रों की घर वापसी हो रही है, तो उनकी कब होगी. ऐसे कई श्रमिक है, जो कि कोटा के अलग-अलग कारखानों और फैक्ट्रियों में कार्यरत हैं.

छोटे बच्चे भी हो रहे परेशान

बिहारी मजदूरों के परिवार के महिलाओं का कहना है कि उनके पास छोटे-छोटे बच्चे हैं. जब कोचिंग के बच्चों के लिए ट्रेन जा रही है, तो हमारे लिए क्यों नहीं? हमारे भी बच्चे अपने घर जाना चाहते हैं. वे भी परेशान हो रहे हैं. उन्हें भी हम पैदल स्टेशन लेकर गए लेकिन पुलिसवालों ने यह कहकर लौटा दिया कि ट्रेनें चलेंगी, तब आना.

Bihari workers, कोटा न्यूज
बच्चों के साथ पैदल ही निकल पड़े स्टेशनों की ओर

सरकार फर्क कर रही है, हमें इंसान नहीं समझती ?

छोटू कुमार 19 साल का है. वह बिहार से दिहाड़ी मजदूरी करने के लिए कोटा आया है. छोटू कोटा में बेलदारी का काम करता है. उसने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि जो लोग सक्षम है, उन्हें तो ट्रेन से भेजा जा रहा है. हम लोग अपने सामान को सिर पर उठाकर पैदल कई किलोमीटर चलकर स्टेशन पहुंच रहे हैं, लेकिन हमें वापस लौटा दिया जा रहा है.

यह भी पढ़ें. SPECIAL: कोरोना ने गोटा उद्योग की तोड़ी कमर, भय और अनिश्चितता के दौर से गुजर रहे व्यापारी

छोटू की बातों में बेबसी झलक रही थी. उसने सरकार पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि यह फर्क सरकारें क्यों कर रही है. क्या जो ट्रेन से जा रहे हैं, वही इंसान हैं. हम लोगों को सरकार इंसान नहीं समझती है.

Bihari workers, कोटा न्यूज
पुलिस ने मजदूरों को रास्ते से लौटाया

बिहार से आए 8000 मजदूर

कोटा जिले में अलग-अलग जगह करीब 8 हजार से ज्यादा की संख्या में बिहार की लेबर काम कर रही है. यह कोटा के बड़े केमिकल प्लांट, यूरिया, सीमेंट और तेल उत्पादक फैक्ट्रियों में कार्यरत हैं. इसके अलावा बिहारी मजदूरी करने वाले भी बड़ी संख्या में बिहारी मजदूर कोटा में हैं जो कि नांता, बालिता, डीसीएम, प्रेम नगर, बोरखेडा, आरकेपुरम के साथ-साथ कोटा शहर में चल रहे बड़े प्रोजेक्ट में मजदूरी कर रहे हैं.

अफवाह के चलते परिवार को लेकर स्टेशन पहुंच रहे

फिलहाल, कोटा से कोचिंग स्टूडेंट को ही बिहार भेजा जा रहा है, लेकिन मजदूरों के बीच लगातार अफवाह फैल रही है कि उनके लिए भी ट्रेन चलाई जा रही है. ऐसे में करीब 300 के आसपास कामगार पैदल ही पटरी के सहारे रेलवे स्टेशन पहुंचे हैं. जिनको वापस उनकी फैक्ट्री में भेजा गया है. साथ ही कई कामगार ऐसे भी है, जो पैदल पैदल सड़क मार्ग से कि अपने परिवार को लेकर रेलवे स्टेशन पहुंचे हैं.

Bihari workers, कोटा न्यूज
सामान लेकर रास्ते पर ही बैठे मजदूर

यह भी पढ़ें. Special : नगर निगम क्षेत्र में सब्जी बेचने वालों को मिलेगी लाइसेंसी CAP, क्षेत्र भी किए जाएंगे निर्धारित

ये लोग के नजदीक गलियों में छुपते-छुपाते स्टेशन के नजदीक पहुंच जा रहे हैं, लेकिन पुलिस वहां से ही लौटा दे रही है. स्टेशन जानेवाले रास्ते में ये मजदूर सिर पर सामान ढ़ोते दिखाई दे रहे हैं. महिलाओं की गोद में बच्चे हैं, लेकिन फिर भी वे बच्चा और सामान लेकर चल रही हैं.

मजदूरों ने घर वापसी के लिए किया विरोध

अधिकांश बिहारी मजदूर रेलवे पटरी के सहारे चलकर स्टेशन पहुंचे थे. जहां पर भीमगंजमंडी थाना पुलिस को जब सूचना मिली तो उन्होंने इन्हें भीमगंजमंडी स्थित डाक बंगला सरकारी स्कूल में रुकवा दिया. जहां से यह लोग शुक्रवार को विरोध करते हुए कलेक्ट्रेट की तरफ भी बढ़ गए.

Bihari workers, कोटा न्यूज
मजदूरों का सवाल कब चलेगी ट्रेनें

न खाने को मिल रहा, न काम बचा

बिहारी मजदूरों के समस्या है कि उन्हें ना तो खाने को अब दिया जा रहा है क्योंकि उनके पास यहां का राशन कार्ड नहीं है. ऐसे में सरकारी सहायता भी नहीं मिल रही है. वहीं एक श्रमिक ने बताया कि जो लोग पहले खाना देने आते थे, वह वीडियो बनाने के लिए थोड़ा बहुत खाना देते थे. अब तो उनका आना भी बंद हो गया है. इन मजदूरों की बेबसी यह है कि इनके पास रोजगार भी नहीं रहा, न ही रोटी मिल रही है. ऐसे में जो कुछ बचा हुआ पैसा था, वह भी खर्च हो गया.

कोटा. शहर से बिहार के स्टूडेंट्स की वापसी हो रही है लेकिन मजदूरों के लिए अभी तक कोई ट्रेन नहीं चली है. कई मजदूर अफवाह के कारण रेलवे स्टेशन की तरफ पहुंच रहे हैं. जहां से उन्हें वापस लौटा दिया जा रहा है. ऐसे ही कुछ मजदूरों का कहना है जब छात्रों की घर वापसी हो रही है, तो उनकी कब होगी.

बिहारी मजदूर लगा रहे घर वापसी की गुहार

कोटा से अभी तक 10 ट्रेनें छात्रों को लेकर रवाना हो चुकी है लेकिन श्रमिकों के लिए एक भी ट्रेन रवाना नहीं हुई है. ऐसे में शुक्रवार को कुछ श्रमिक जो कि बिहार के रहने वाले थे, सड़कों पर भी उतरे और अपनी नाराजगी जाहिर की है. हालांकि इन श्रमिकों ने एक बड़ा सवाल खड़ा किया है कि जब छात्रों की घर वापसी हो रही है, तो उनकी कब होगी. ऐसे कई श्रमिक है, जो कि कोटा के अलग-अलग कारखानों और फैक्ट्रियों में कार्यरत हैं.

छोटे बच्चे भी हो रहे परेशान

बिहारी मजदूरों के परिवार के महिलाओं का कहना है कि उनके पास छोटे-छोटे बच्चे हैं. जब कोचिंग के बच्चों के लिए ट्रेन जा रही है, तो हमारे लिए क्यों नहीं? हमारे भी बच्चे अपने घर जाना चाहते हैं. वे भी परेशान हो रहे हैं. उन्हें भी हम पैदल स्टेशन लेकर गए लेकिन पुलिसवालों ने यह कहकर लौटा दिया कि ट्रेनें चलेंगी, तब आना.

Bihari workers, कोटा न्यूज
बच्चों के साथ पैदल ही निकल पड़े स्टेशनों की ओर

सरकार फर्क कर रही है, हमें इंसान नहीं समझती ?

छोटू कुमार 19 साल का है. वह बिहार से दिहाड़ी मजदूरी करने के लिए कोटा आया है. छोटू कोटा में बेलदारी का काम करता है. उसने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि जो लोग सक्षम है, उन्हें तो ट्रेन से भेजा जा रहा है. हम लोग अपने सामान को सिर पर उठाकर पैदल कई किलोमीटर चलकर स्टेशन पहुंच रहे हैं, लेकिन हमें वापस लौटा दिया जा रहा है.

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छोटू की बातों में बेबसी झलक रही थी. उसने सरकार पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि यह फर्क सरकारें क्यों कर रही है. क्या जो ट्रेन से जा रहे हैं, वही इंसान हैं. हम लोगों को सरकार इंसान नहीं समझती है.

Bihari workers, कोटा न्यूज
पुलिस ने मजदूरों को रास्ते से लौटाया

बिहार से आए 8000 मजदूर

कोटा जिले में अलग-अलग जगह करीब 8 हजार से ज्यादा की संख्या में बिहार की लेबर काम कर रही है. यह कोटा के बड़े केमिकल प्लांट, यूरिया, सीमेंट और तेल उत्पादक फैक्ट्रियों में कार्यरत हैं. इसके अलावा बिहारी मजदूरी करने वाले भी बड़ी संख्या में बिहारी मजदूर कोटा में हैं जो कि नांता, बालिता, डीसीएम, प्रेम नगर, बोरखेडा, आरकेपुरम के साथ-साथ कोटा शहर में चल रहे बड़े प्रोजेक्ट में मजदूरी कर रहे हैं.

अफवाह के चलते परिवार को लेकर स्टेशन पहुंच रहे

फिलहाल, कोटा से कोचिंग स्टूडेंट को ही बिहार भेजा जा रहा है, लेकिन मजदूरों के बीच लगातार अफवाह फैल रही है कि उनके लिए भी ट्रेन चलाई जा रही है. ऐसे में करीब 300 के आसपास कामगार पैदल ही पटरी के सहारे रेलवे स्टेशन पहुंचे हैं. जिनको वापस उनकी फैक्ट्री में भेजा गया है. साथ ही कई कामगार ऐसे भी है, जो पैदल पैदल सड़क मार्ग से कि अपने परिवार को लेकर रेलवे स्टेशन पहुंचे हैं.

Bihari workers, कोटा न्यूज
सामान लेकर रास्ते पर ही बैठे मजदूर

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ये लोग के नजदीक गलियों में छुपते-छुपाते स्टेशन के नजदीक पहुंच जा रहे हैं, लेकिन पुलिस वहां से ही लौटा दे रही है. स्टेशन जानेवाले रास्ते में ये मजदूर सिर पर सामान ढ़ोते दिखाई दे रहे हैं. महिलाओं की गोद में बच्चे हैं, लेकिन फिर भी वे बच्चा और सामान लेकर चल रही हैं.

मजदूरों ने घर वापसी के लिए किया विरोध

अधिकांश बिहारी मजदूर रेलवे पटरी के सहारे चलकर स्टेशन पहुंचे थे. जहां पर भीमगंजमंडी थाना पुलिस को जब सूचना मिली तो उन्होंने इन्हें भीमगंजमंडी स्थित डाक बंगला सरकारी स्कूल में रुकवा दिया. जहां से यह लोग शुक्रवार को विरोध करते हुए कलेक्ट्रेट की तरफ भी बढ़ गए.

Bihari workers, कोटा न्यूज
मजदूरों का सवाल कब चलेगी ट्रेनें

न खाने को मिल रहा, न काम बचा

बिहारी मजदूरों के समस्या है कि उन्हें ना तो खाने को अब दिया जा रहा है क्योंकि उनके पास यहां का राशन कार्ड नहीं है. ऐसे में सरकारी सहायता भी नहीं मिल रही है. वहीं एक श्रमिक ने बताया कि जो लोग पहले खाना देने आते थे, वह वीडियो बनाने के लिए थोड़ा बहुत खाना देते थे. अब तो उनका आना भी बंद हो गया है. इन मजदूरों की बेबसी यह है कि इनके पास रोजगार भी नहीं रहा, न ही रोटी मिल रही है. ऐसे में जो कुछ बचा हुआ पैसा था, वह भी खर्च हो गया.

Last Updated : May 8, 2020, 7:37 PM IST
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