कोटा. हाड़ौती क्षेत्र की बात की जाए तो कोटा जिले में 25000 हेक्टेयर में लहसुन का उत्पादन किया जा सकता है. बारां जिले में करीब 37000, झालावाड़ में 42 हजार और बूंदी में 4000 हेक्टेयर के आसपास लहसुन का उत्पादन हो सकता है. ऐसे में 1 लाख 8 हजार हेक्टेयर से ज्यादा में लहसुन का उत्पादन किया जा सकता है.
कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस बार हाड़ौती में रबी के सीजन में खेतों में नमी होने की वजह से सैकड़ों किसान सरसों की बुवाई नहीं कर पाए. इससे लहसुन का रकबा बढ़ेगा. वहीं तालाबों और नहरों से भी पर्याप्त पानी मिलने की उम्मीद है. यह भी लहसुन की खेती ज्यादा होने की तरफ इशारा करता है.
गिरकर 60 फीसदी रह गया था रकबा
किसानों को 2017 में लहसुन के दाम अच्छे नहीं मिले थे. इससे 2018 में रकबा काफी गिर गया था. यह 77250 हेक्टेयर रह गया था, लेकिन अब यह रकबा दोबारा से बढ़ने लगा है. वर्ष 2019 में 93436 व 2020 में 106235 हेक्टेयर रकबा रहा है. इस बार भी बीते साल से रकबा से ज्यादा लहसुन की बुवाई होने की उम्मीद है. रकबा बढ़ने के साथ ही उत्पादन बढ़ता है. लेकिन अगर मांग ज्यादा न हो तो दाम भी गिर जाते हैं और किसानों को नुकसान होता है. ऐसा पहले वर्ष 2017 में हो चुका है.
पहले बेचना भी टेढ़ी खीर, अभी 150 तक पहुंचे दाम
उत्पादन की बात की जाए तो वर्ष 2017 में बोई गई फसल से वर्ष 2018 में 725000 हजार मिट्रिक टन लहसुन हुआ. जिसको बेचना भी किसानों के लिए टेढ़ी खीर था. ओने पौने दामों पर ही लहसुन बिका. लेकिन वर्ष 2019 में लहसुन के दाम वापस ठीक हो गए. किसानों को अच्छी गुणवत्ता के लहसुन के 50 से 80 रुपए किलो तक के भाव मिले थे. इसके बाद 2020 में यह दाम और बढ़ गए और 150 रुपए तक पहुंच गए. इसके बाद 2021 में लहसुन के दाम अच्छे चल रहे हैं. यह 80 से 120 तक भी रहे हैं.
4 साल पहले लहसुन बना था, आत्महत्या का कारण
लहसुन का रकबा जब भी हाड़ौती में बढ़ता है, तो किसानों को झटका यह फसल देती ही है. चार साल पहले वर्ष 2017 में किसानों ने हाड़ौती में लहसुन की फसल को एक लाख 7 हजार हेक्टेयर में बोया था. जिसके बाद बंपर उत्पादन हो गया और पूरे देश भर में अच्छा उत्पादन होने से किसानों की फसल को दाम नहीं मिले. यहां तक कि उनकी लागत भी नहीं निकली थी. लहसुन को उगाने में मजदूरी से लेकर खाद बीज और दवाइयां डालने में करीब 18 से 20 हजार रुपए बीघा का खर्चा होता है, लेकिन किसानों को लहसुन के दाम 2 से 20 रुपए किलो तक ही मिले थे. जिसके कारण कई किसानों पर कर्ज का बोझ आ गया था और इसी के चलते हाड़ौती में आत्महत्या शुरू हो गई थी.
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इस बार ज्यादा होगी लहसुन की बुवाई
सरसों की बुवाई के लिए डीएपी नहीं मिलने के चलते देरी हो रही है. अच्छी बारिश के चलते भूजल भी काफी अच्छा होने से खेतों को ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. सभी छोटे बड़े डैम फुल हैं ऐसे में किसानों को पर्याप्त पानी भी मिलेगा. बीते 2 सालों से किसानों को लहसुन की उपज का काफी अच्छा दाम मिल रहा है. चीन से संबंध बिगड़ने के चलते लहसुन का आयात कम हुआ है और कोविड-19 के बाद से ही इम्यूनिटी बूस्टर मानते हुए लहसुन का सेवन बढ़ा है. ऐसे में उम्मीद है कि इस बार हाड़ौती में लहसुन का रकबा बढ़ेगा.
लहसुन का रकबा, उत्पादन और दाम
वर्ष | रकबा (हेक्टेयर) | उत्पादन (मिट्रिक टन) | दाम (रुपये प्रति क्विंटल) |
2017 | 109000 | 725000 | 800 से 2400 |
2018 | 77250 | 480000 | 6000 से 8000 |
2019 | 93436 | 580000 | 5000 से 15000 |
2020 | 106235 | 660000 | 5000 से 11000 |