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एसीबी ने 565 पेज के चालान मेंं पेश किया निलंबित आईएएस इंद्र सिंह राव का काला चिट्ठा - राजस्थान एसीबी

निलंबित आईएएस इंद्र सिंह राव उनके पीए महावीर नागर के खिलाफ एसीबी ने 565 पेज का चालान पेश किया है. चालान में बताया कि इंद्र सिंह राव पर रिश्वत और सरकार को आर्थिक हानि पहुंचाने के 9 मुकदमे दर्ज हुए थे. इनमें से एसीबी ने जांच के बाद 8 पर एफआर लगा दी. साथ ही एक मामले में अभियोजन स्वीकृति राज्य सरकार ने नहीं दी.

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एसीबी ने 565 पेज के चालान मेंं पेश किया निलंबित आईएएस इंद्र सिंह राव का काला चिट्ठा
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Published : Feb 8, 2021, 7:38 PM IST

कोटा. बारां के तत्कालीन जिला कलेक्टर के पीए रहे महावीर नागर को 9 दिसंबर को रिश्वत लेते हुए एसीबी ने रंगे हाथ गिरफ्तार किया था. पीए ने 1.40 लाख की रिश्वत पेट्रोल पंप की लीज रिन्यूअल एनओसी जारी करने के लिए ली गई थी. रिश्वत का यह काला खेल तत्कालीन जिला कलेक्टर और निलंबित आईएएस अधिकारी इंद्र सिंह राव के कहने पर ही खेला गया था. कलेक्टर और उनका पीए अभी जेल में हैं. एसीबी ने दोनों के खिलाफ चालान पेश किया है.

निलंबित आईएएस इंद्र सिंह राव के खिलाफ चालान पेश

पढ़ें: राहुल गांधी 13 फरवरी को राजस्थान में निकाल सकते हैं ट्रैक्टर यात्रा

565 पेज के चालान में एसीबी ने पूरा काला चिट्ठा खोल कर रख दिया है. चालान में बताया गया है कि आईएएस इंद्र सिंह राव पर रिश्वत और सरकार को आर्थिक हानि पहुंचाने के 9 मुकदमे दर्ज हुए थे. इनमें से एसीबी ने जांच के बाद 8 पर एफआर लगा दी. साथ ही एक मामले में अभियोजन स्वीकृति राज्य सरकार ने नहीं दी. अपने कैरियर में इंद्र सिंह राव पर लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे.

एसीबी ने नरेंद्र सिंह राव के खिलाफ एजुकेशन बोर्ड में रहते हुए बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार में संलिप्तता के मामले दर्ज किए थे. हालांकि अधिकांश मामलों में वर्ष 2009 में ही एफआर लगा दी गई है. यहां तक यूआईटी बीकानेर में रहते हुए भी उन्होंने भूखंडों को सस्ते दाम पर बेच देने से सरकार को आर्थिक हानि पहुंचाई थी.

इन रिश्वत के मामले में शामिल रहा है इंद्र सिंह राव

  • इंद्र सिंह राव ने एजुकेशन बोर्ड में रहते हुए एक फर्म से घटिया शार्पनर ऊंची दरों पर खरीद कर सरकार को चूना लगाया
  • पद का दुरुपयोग करके एक फर्म के मालिक से घटिया किस्म की उत्तर पुस्तिकाएं ऊंची दरों पर खरीदी
  • मैसर्स गोरी चौक इंडस्ट्रीज के मालिक से आपराधिक षड्यंत्र रच कर घटिया चोक ऊंची दरों पर खरीदा
  • एक फर्म से सांठगांठ करके घटिया किस्म की छोटी साइज की रबड़ ऊंची दरों पर खरीदने का मामला
  • घटिया लैंड पेंसिल ऊंची दरों पर खरीदी
  • मैसर्स विजय सेल्स के मालिक से घटिया स्लेट पेंसिल उचित दरों पर खरीदी, इसमें भी 2009 में एफआर पेश की जा चुकी है
  • मैसर्स नोनेश सेल्स एजेंसी बीकानेर के मालिक से आपराधिक साठगांठ करके घटिया स्लेट ज्यादा दर पर खरीदी
  • इंदर सिंह राव ने नियम विरुद्ध 3 बीघा भूमि के बदले 6 बीघा सिंचित भूमि आवंटन कर राज्य सरकार को नुकसान पहुंचाया, इस मामले में आरोप प्रमाणित माना गया पर राज्य सरकार ने अभियोजन स्वीकृति नहीं दी
  • बीकानेर में यूआईटी सेक्रेटरी रहते हुए जय नारायण व्यास में आवासीय भूखंडों की नीलामी में गैर विज्ञापित 17 भूखंड कम दर पर नीलाम कर दिए, जिससे राजकोष को करीब 21 लाख का नुकसान हुआ. इस मामले में एसीबी ने जांच के बाद एफआर लगा दी


बिना एडीएम के पास भेजे ही फाइल की पास

बारां के छिपाबड़ोद में पेट्रोल पंप की एनओसी जारी करने और भू परिवर्तन करने के मामले में इंद्र सिंह राव और उनके पीए महावीर नागर ने ली रिश्वत ली थी. इसमें उच्चाधिकारियों के आदेश के बावजूद भी 3 महीने तक फाइल को अटका रखा गया. जब रिश्वत की राशि तय हो गई तो बिना एडीएम अबू ब्रक और अधिनस्थ कार्मिकों की सहमति से 1 दिन में ही पास कर दी गई. जबकि इसमें ना तो कागजात पूरे थे. ना ही इसमें कोई पैसा जमा होने का मूल चालान की प्रति दी गई थी. इसके बावजूद भी जिला कलेक्टर ने फाइल को पास कर दी. जिससे साफ होता है कि कलेक्टर रिश्वत के काले खेल में शामिल थे.

कोटा. बारां के तत्कालीन जिला कलेक्टर के पीए रहे महावीर नागर को 9 दिसंबर को रिश्वत लेते हुए एसीबी ने रंगे हाथ गिरफ्तार किया था. पीए ने 1.40 लाख की रिश्वत पेट्रोल पंप की लीज रिन्यूअल एनओसी जारी करने के लिए ली गई थी. रिश्वत का यह काला खेल तत्कालीन जिला कलेक्टर और निलंबित आईएएस अधिकारी इंद्र सिंह राव के कहने पर ही खेला गया था. कलेक्टर और उनका पीए अभी जेल में हैं. एसीबी ने दोनों के खिलाफ चालान पेश किया है.

निलंबित आईएएस इंद्र सिंह राव के खिलाफ चालान पेश

पढ़ें: राहुल गांधी 13 फरवरी को राजस्थान में निकाल सकते हैं ट्रैक्टर यात्रा

565 पेज के चालान में एसीबी ने पूरा काला चिट्ठा खोल कर रख दिया है. चालान में बताया गया है कि आईएएस इंद्र सिंह राव पर रिश्वत और सरकार को आर्थिक हानि पहुंचाने के 9 मुकदमे दर्ज हुए थे. इनमें से एसीबी ने जांच के बाद 8 पर एफआर लगा दी. साथ ही एक मामले में अभियोजन स्वीकृति राज्य सरकार ने नहीं दी. अपने कैरियर में इंद्र सिंह राव पर लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे.

एसीबी ने नरेंद्र सिंह राव के खिलाफ एजुकेशन बोर्ड में रहते हुए बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार में संलिप्तता के मामले दर्ज किए थे. हालांकि अधिकांश मामलों में वर्ष 2009 में ही एफआर लगा दी गई है. यहां तक यूआईटी बीकानेर में रहते हुए भी उन्होंने भूखंडों को सस्ते दाम पर बेच देने से सरकार को आर्थिक हानि पहुंचाई थी.

इन रिश्वत के मामले में शामिल रहा है इंद्र सिंह राव

  • इंद्र सिंह राव ने एजुकेशन बोर्ड में रहते हुए एक फर्म से घटिया शार्पनर ऊंची दरों पर खरीद कर सरकार को चूना लगाया
  • पद का दुरुपयोग करके एक फर्म के मालिक से घटिया किस्म की उत्तर पुस्तिकाएं ऊंची दरों पर खरीदी
  • मैसर्स गोरी चौक इंडस्ट्रीज के मालिक से आपराधिक षड्यंत्र रच कर घटिया चोक ऊंची दरों पर खरीदा
  • एक फर्म से सांठगांठ करके घटिया किस्म की छोटी साइज की रबड़ ऊंची दरों पर खरीदने का मामला
  • घटिया लैंड पेंसिल ऊंची दरों पर खरीदी
  • मैसर्स विजय सेल्स के मालिक से घटिया स्लेट पेंसिल उचित दरों पर खरीदी, इसमें भी 2009 में एफआर पेश की जा चुकी है
  • मैसर्स नोनेश सेल्स एजेंसी बीकानेर के मालिक से आपराधिक साठगांठ करके घटिया स्लेट ज्यादा दर पर खरीदी
  • इंदर सिंह राव ने नियम विरुद्ध 3 बीघा भूमि के बदले 6 बीघा सिंचित भूमि आवंटन कर राज्य सरकार को नुकसान पहुंचाया, इस मामले में आरोप प्रमाणित माना गया पर राज्य सरकार ने अभियोजन स्वीकृति नहीं दी
  • बीकानेर में यूआईटी सेक्रेटरी रहते हुए जय नारायण व्यास में आवासीय भूखंडों की नीलामी में गैर विज्ञापित 17 भूखंड कम दर पर नीलाम कर दिए, जिससे राजकोष को करीब 21 लाख का नुकसान हुआ. इस मामले में एसीबी ने जांच के बाद एफआर लगा दी


बिना एडीएम के पास भेजे ही फाइल की पास

बारां के छिपाबड़ोद में पेट्रोल पंप की एनओसी जारी करने और भू परिवर्तन करने के मामले में इंद्र सिंह राव और उनके पीए महावीर नागर ने ली रिश्वत ली थी. इसमें उच्चाधिकारियों के आदेश के बावजूद भी 3 महीने तक फाइल को अटका रखा गया. जब रिश्वत की राशि तय हो गई तो बिना एडीएम अबू ब्रक और अधिनस्थ कार्मिकों की सहमति से 1 दिन में ही पास कर दी गई. जबकि इसमें ना तो कागजात पूरे थे. ना ही इसमें कोई पैसा जमा होने का मूल चालान की प्रति दी गई थी. इसके बावजूद भी जिला कलेक्टर ने फाइल को पास कर दी. जिससे साफ होता है कि कलेक्टर रिश्वत के काले खेल में शामिल थे.

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