ETV Bharat / city

रंगे हाथों ट्रैप के मामले में अपने बयानों से मुकरने पर ACB कोर्ट ने जताई नाराजगी, परिवादी को दी सजा

author img

By

Published : Mar 5, 2021, 11:41 AM IST

एसीबी कोर्ट ने रिश्वत के मामले में बयानों से परिवादी के मुकर जाने पर नाराजगी जताई है, साथ ही झूठी गवाही देने पर परिवादी को 7 दिन का कारावास सुनाया है. इसके अलावा 500 रुपए का जुर्माना भी लगाया है. विशिष्ट न्यायाधीश प्रमोद कुमार मलिक ने लिखा कि वर्तमान समय में न्यायालय में मिथ्या साक्ष्य दिए जाने के मामले बढ़ते जा रहे हैं. नैतिकता के मामले विलुप्त होती जा रही है.

acb court expresses displeasure
परिवादी को दी सजा

कोटा. भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय के न्यायाधीश ने रिश्वत के मामले में बयानों से परिवादी के मुकर जाने पर नाराजगी जताई है. साथ ही झूठी गवाही देने पर परिवादी को 7 दिन का कारावास सुनाया है. इसके अलावा 500 रुपए का जुर्माना भी लगाया है. विशिष्ट न्यायाधीश प्रमोद कुमार मलिक ने लिखा कि वर्तमान समय में न्यायालय में मिथ्या साक्ष्य दिए जाने के मामले बढ़ते जा रहे हैं. नैतिकता के मामले विलुप्त होती जा रही है. भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत विशिष्ट मामलों में ऐसा देखा गया है कि साधारणतया परिवादी व साक्षी प्रथम सूचना रिपोर्ट तो दर्ज करवाते हैं, लेकिन अनुसंधान के पश्चात न्यायालय के समक्ष भी अपनी पूर्व साक्ष्य से विमुख हो जाते हैं.

इससे केवल अनुसंधान एजेंसी की गई समस्त कार्रवाई, खर्चा, समय और शक्ति व्यर्थ होती है. इस मामले में लोक अभियोजक नेमी चंद यादव ने बताया कि 16 जनवरी 2004 को परिवादी कैलाश चंद्र झालावाड़ एसीबी चौकी में रिपोर्ट पेश कर बताया था कि जमीन की नकल मांगने के लिए हल्का पटवारी कनवाड़ा 1000 रुपए मांगे. एसीबी ने इस मामले में जांच शुरू की. साथी रिश्वत मांगने के मामले में सत्यापन होने पर पटवारी को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया, जो कि 500 रुपए थी.

पढ़ें : प्रेम प्रसंग से नाराज होकर बेटी की हत्या करने का आरोपी पिता गिरफ्तार

इसके बाद उसे गिरफ्तार करते हुए पूरी जांच की और जांच के बाद चालान भी न्यायालय में पेश कर दिया. इस मामले में 12 अप्रैल 2019 को फैसला सुनाते हुए आरोपी पटवारी ताराचंद तानीवाल को दोषमुक्त कर दिया. परिवादी को मिथ्या साक्ष्य देने और उसके विरुद्ध धारा 354 आईपीसी के तहत कार्रवाई खोली गई, जिसकी सुनवाई के बाद परिवादी कैलाश चंद्र को दंडित किया गया है.

कोटा. भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय के न्यायाधीश ने रिश्वत के मामले में बयानों से परिवादी के मुकर जाने पर नाराजगी जताई है. साथ ही झूठी गवाही देने पर परिवादी को 7 दिन का कारावास सुनाया है. इसके अलावा 500 रुपए का जुर्माना भी लगाया है. विशिष्ट न्यायाधीश प्रमोद कुमार मलिक ने लिखा कि वर्तमान समय में न्यायालय में मिथ्या साक्ष्य दिए जाने के मामले बढ़ते जा रहे हैं. नैतिकता के मामले विलुप्त होती जा रही है. भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत विशिष्ट मामलों में ऐसा देखा गया है कि साधारणतया परिवादी व साक्षी प्रथम सूचना रिपोर्ट तो दर्ज करवाते हैं, लेकिन अनुसंधान के पश्चात न्यायालय के समक्ष भी अपनी पूर्व साक्ष्य से विमुख हो जाते हैं.

इससे केवल अनुसंधान एजेंसी की गई समस्त कार्रवाई, खर्चा, समय और शक्ति व्यर्थ होती है. इस मामले में लोक अभियोजक नेमी चंद यादव ने बताया कि 16 जनवरी 2004 को परिवादी कैलाश चंद्र झालावाड़ एसीबी चौकी में रिपोर्ट पेश कर बताया था कि जमीन की नकल मांगने के लिए हल्का पटवारी कनवाड़ा 1000 रुपए मांगे. एसीबी ने इस मामले में जांच शुरू की. साथी रिश्वत मांगने के मामले में सत्यापन होने पर पटवारी को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया, जो कि 500 रुपए थी.

पढ़ें : प्रेम प्रसंग से नाराज होकर बेटी की हत्या करने का आरोपी पिता गिरफ्तार

इसके बाद उसे गिरफ्तार करते हुए पूरी जांच की और जांच के बाद चालान भी न्यायालय में पेश कर दिया. इस मामले में 12 अप्रैल 2019 को फैसला सुनाते हुए आरोपी पटवारी ताराचंद तानीवाल को दोषमुक्त कर दिया. परिवादी को मिथ्या साक्ष्य देने और उसके विरुद्ध धारा 354 आईपीसी के तहत कार्रवाई खोली गई, जिसकी सुनवाई के बाद परिवादी कैलाश चंद्र को दंडित किया गया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.