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SPECIAL : कालाबाजारी से आहत युवक ने जुगाड़ कर बना दिया ऑक्सीजन सिलेंडर का रेगुलेटर, लागत आई 100 रुपए

पूरे देश में ऑक्सीजन की कमी किसी से छुपी नहीं है. कभी-कभी ऑक्सीजन का जुगाड़ तो हो जाता है, लेकिन रेगुलेटर की कमी की वजह से मरीज इस्तेमाल नहीं कर पाते है. कोटा के युवा आगे आए और उन्होंने प्लास्टिक की खाली बोतल और ड्रिप चढ़ाने वाली नलची की मदद से ही ऑक्सीजन रेगुलेटर का तैयार किया. जिससे उन्होंने अब तक 25 मरीजों को राहत भी पहुंचाई है.

ऑक्सीजन सिलेंडर का रेगुलेटर, Oxygen cylinder regulator
युवक ने जुगाड़ कर बना दिया ऑक्सीजन सिलेंडर का रेगुलेटर
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Published : May 23, 2021, 12:16 PM IST

कोटा. कोविड-19 के मरीजों के ऑक्सीजन संजीवनी बनी हुई है और ऑक्सीजन सिलेंडर पर लगने वाला रेगुलेटर बाजार से गायब हो गया. क्योंकि पहले इसकी ज्यादा मांग नहीं होती थी, ऐसे में यह उपलब्ध भी मार्केट में सीमित ही था. हालांकि जब कोरोना अपने पीक पर हुआ, तो इन मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ने लगी और तब ऑक्सीजन रेगुलेटर की जरूरत भी हुई, लेकिन बाजार से वह अचानक ही गायब हो गया और जिन भी लोगों के पास था तो वह मुंह मांगे दामों पर इसे बेचने लगे.

युवक ने जुगाड़ कर बना दिया ऑक्सीजन सिलेंडर का रेगुलेटर

पढ़ेंः पढ़ें- ब्लैक फंगस के इंजेक्शन के नाम पर साइबर ठगों ने हड़पे 95 हजार, इंतजार करता रह गया बेटा और मां की हुई मौत

इसी बीच कोटा के युवा आगे आए और उन्होंने प्लास्टिक की खाली बोतल और ड्रिप चढ़ाने वाली नलची की मदद से ही जुगाड़ कर दिया और ऑक्सीजन सिलेंडर पर लगने वाला रेगुलेटर तैयार कर दिया. जिससे उन्होंने अब तक 25 मरीजों को राहत भी पहुंचाई है. वह खुद सिलेंडर लेकर मरीजों के घर सप्लाई भी कर रहे हैं. उसके साथ ही इस जुगाड़ के जरिए वह उनके रेगुलेटर की व्यवस्था भी कर रहे हैं.

ऑक्सीजन सिलेंडर का रेगुलेटर, Oxygen cylinder regulator
महज 100 रुपए के लागत से बना रेगुलेटर

खास दोस्त को जरूरत पड़ी

कैथूनीपोल लाल बुर्ज इलाके में रहने वाले अफरोज वैसे तो होजरी की दुकान संचालित करते हैं, लेकिन कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान कर्फ्यू में उनकी दुकान अप्रैल महीने में ही बंद हो गई. इसके बाद वे अपने एनजीओ द हेल्पिंग हैंड की मदद से लोगों की सेवा में जुटे हुए थे, तभी उनके पिता की तबीयत खराब हो गई. उन्हें सांस लेने में तकलीफ थी, तो वह रेगुलेटर लेने गए. एक छोटा ऑक्सीजन सिलेंडर और रेगुलेटर वे 10 हजार रुपए देने पड़े. इसके दूसरे दिन भी मुझे रेगुलेटर की जरूरत हुई तो सेकंड हैंड दूसरे मरीज का 4 हजार रुपए में मिला. बाजार में होने वाली इस लूट से मैं भी परेशान हो गया. इसके कुछ दिनों में ही मेरे खास मित्र की भी तबीयत बिगड़ गई और उसके लिए तो ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध हो गया, लेकिन वह पूरे रेगुलेटर नहीं मिला. मैंने ओरिजनल रेगुलर देखा और फिर हुबहू तैयार करने की मंशा से काम शुरू कर दिया.

ऑक्सीजन सिलेंडर का रेगुलेटर, Oxygen cylinder regulator
खुद सिलेंडर लेकर मरीजों के घर सप्लाई भी कर रहे

उखड़ती सांसो को थामने के लिए किया जतन

अफरोज का कहना है कि यह कोई कमाल नहीं है, वे कोरोना महामारी के बीच हो रही कालाबाज़ारी से आहत थे. मरीजों की उखड़ती सांसों को थामने के लिए उन्होंने यह जुगाड़ का रेगुलेटर तैयार किया है. बाजार में जहां पर 800 से 1200 रुपए में मिलने वाला ऑक्सीजन सिलेंडर का रेगुलेटर और वॉल्व मुंह मांगे दामों पर मिल रहा है. बाजार में ऑक्सीजन रेगुलेटर कोरोना महामारी में 5 से 6 हजार रुपए तक ब्लैक में मिल रहा है.

पढ़ेंः SPECIAL : कॉरपोरेट संगठनों ने उठाया कोरोना संकट में बीड़ा...जन उपयोगी भवन को बना दिया 100 बेड का अस्पताल

ग्लूकोज की बोतल और ड्रिप के पाइप से बनाया जुगाड़

अफरोज ने कहा कि उसने नल पर लगने वाला है. सामान्य पाइप लिया और उसके बाद गुलकोज की बोतल बाजार से लेकर आए. साथ ही उसके साथ लगने वाली छोटी पाइप (जिसके जरिए उसे कम ज्यादा किया जा सकता है) से एक रेगुलेटर बनाने का प्रयास किया. इसमें में सफल हो गया. उसकी लागत महज 100 रुपए के आसपास आई. उसके बाद मैंने अच्छे तरीके से बनाने का प्रयास किया.

ऑक्सीजन सिलेंडर का रेगुलेटर, Oxygen cylinder regulator
25 मरीजों को राहत भी पहुंचाई है

दुकानें बंद होने से समस्या भी आएगी

कर्फ्यू के चलते दुकानें बंद है इससे समस्या का सामना भी जुगाड़ का रेगुलेटर बनाने में सामने आई. हालांकि लोगों से पाइप का अरेंजमेंट करके मैंने इमरजेंसी में जुगाड़ कर और भी बनाना शुरू किया. इसमें प्लास्टिक की खाली बोतलों का भी उपयोग लिया गया और इमरजेंसी में मरीजों को राहत दी है. इसके बाद मैंने सामान्य खाली बोतलों के जरिए भी जुगाड़ के रेगुलेटर बनाना शुरू कर दिया. जिनमें घर पर उपयोग आने वाले पाइप भी काम में लिए हैं. साथ ही बाद में आरओ में लगने वाले फिल्टर के जरिए भी जुगाड़ के रेगुलेटर बनाए हैं.

ऑक्सीजन सिलेंडर का रेगुलेटर, Oxygen cylinder regulator
घरेलु चीजों से बनाया ऑक्सीजन सिलेंडर का रेगुलेटर

25 से ज्यादा लोगों की की है मदद

अफरोज ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर 25 से ज्यादा रेगुलेटर तैयार कर दी है. जिनको मरीजों के घर पर जाकर भी लगाया है. साथ ही अफ़रोज़ का कहना है कि उन्होंने ऐसे लोगों की मदद की है. जिनके पास में पैसा नहीं था और इतना महंगा ऑक्सीजन रेगुलेटर और सिलेंडर भी वे नहीं खरीद पा रहे थे. ऐसे में सिलेंडर का जुगाड़ इन्होंने अपने साथियों की मदद से उपलब्ध करा दिए. साथ ही ऑक्सीजन सिलेंडर का रेगुलेटर उन्होंने खुद बनाएं. ताकि उन लोगों की जान बच सके.

कोटा. कोविड-19 के मरीजों के ऑक्सीजन संजीवनी बनी हुई है और ऑक्सीजन सिलेंडर पर लगने वाला रेगुलेटर बाजार से गायब हो गया. क्योंकि पहले इसकी ज्यादा मांग नहीं होती थी, ऐसे में यह उपलब्ध भी मार्केट में सीमित ही था. हालांकि जब कोरोना अपने पीक पर हुआ, तो इन मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ने लगी और तब ऑक्सीजन रेगुलेटर की जरूरत भी हुई, लेकिन बाजार से वह अचानक ही गायब हो गया और जिन भी लोगों के पास था तो वह मुंह मांगे दामों पर इसे बेचने लगे.

युवक ने जुगाड़ कर बना दिया ऑक्सीजन सिलेंडर का रेगुलेटर

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इसी बीच कोटा के युवा आगे आए और उन्होंने प्लास्टिक की खाली बोतल और ड्रिप चढ़ाने वाली नलची की मदद से ही जुगाड़ कर दिया और ऑक्सीजन सिलेंडर पर लगने वाला रेगुलेटर तैयार कर दिया. जिससे उन्होंने अब तक 25 मरीजों को राहत भी पहुंचाई है. वह खुद सिलेंडर लेकर मरीजों के घर सप्लाई भी कर रहे हैं. उसके साथ ही इस जुगाड़ के जरिए वह उनके रेगुलेटर की व्यवस्था भी कर रहे हैं.

ऑक्सीजन सिलेंडर का रेगुलेटर, Oxygen cylinder regulator
महज 100 रुपए के लागत से बना रेगुलेटर

खास दोस्त को जरूरत पड़ी

कैथूनीपोल लाल बुर्ज इलाके में रहने वाले अफरोज वैसे तो होजरी की दुकान संचालित करते हैं, लेकिन कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान कर्फ्यू में उनकी दुकान अप्रैल महीने में ही बंद हो गई. इसके बाद वे अपने एनजीओ द हेल्पिंग हैंड की मदद से लोगों की सेवा में जुटे हुए थे, तभी उनके पिता की तबीयत खराब हो गई. उन्हें सांस लेने में तकलीफ थी, तो वह रेगुलेटर लेने गए. एक छोटा ऑक्सीजन सिलेंडर और रेगुलेटर वे 10 हजार रुपए देने पड़े. इसके दूसरे दिन भी मुझे रेगुलेटर की जरूरत हुई तो सेकंड हैंड दूसरे मरीज का 4 हजार रुपए में मिला. बाजार में होने वाली इस लूट से मैं भी परेशान हो गया. इसके कुछ दिनों में ही मेरे खास मित्र की भी तबीयत बिगड़ गई और उसके लिए तो ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध हो गया, लेकिन वह पूरे रेगुलेटर नहीं मिला. मैंने ओरिजनल रेगुलर देखा और फिर हुबहू तैयार करने की मंशा से काम शुरू कर दिया.

ऑक्सीजन सिलेंडर का रेगुलेटर, Oxygen cylinder regulator
खुद सिलेंडर लेकर मरीजों के घर सप्लाई भी कर रहे

उखड़ती सांसो को थामने के लिए किया जतन

अफरोज का कहना है कि यह कोई कमाल नहीं है, वे कोरोना महामारी के बीच हो रही कालाबाज़ारी से आहत थे. मरीजों की उखड़ती सांसों को थामने के लिए उन्होंने यह जुगाड़ का रेगुलेटर तैयार किया है. बाजार में जहां पर 800 से 1200 रुपए में मिलने वाला ऑक्सीजन सिलेंडर का रेगुलेटर और वॉल्व मुंह मांगे दामों पर मिल रहा है. बाजार में ऑक्सीजन रेगुलेटर कोरोना महामारी में 5 से 6 हजार रुपए तक ब्लैक में मिल रहा है.

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ग्लूकोज की बोतल और ड्रिप के पाइप से बनाया जुगाड़

अफरोज ने कहा कि उसने नल पर लगने वाला है. सामान्य पाइप लिया और उसके बाद गुलकोज की बोतल बाजार से लेकर आए. साथ ही उसके साथ लगने वाली छोटी पाइप (जिसके जरिए उसे कम ज्यादा किया जा सकता है) से एक रेगुलेटर बनाने का प्रयास किया. इसमें में सफल हो गया. उसकी लागत महज 100 रुपए के आसपास आई. उसके बाद मैंने अच्छे तरीके से बनाने का प्रयास किया.

ऑक्सीजन सिलेंडर का रेगुलेटर, Oxygen cylinder regulator
25 मरीजों को राहत भी पहुंचाई है

दुकानें बंद होने से समस्या भी आएगी

कर्फ्यू के चलते दुकानें बंद है इससे समस्या का सामना भी जुगाड़ का रेगुलेटर बनाने में सामने आई. हालांकि लोगों से पाइप का अरेंजमेंट करके मैंने इमरजेंसी में जुगाड़ कर और भी बनाना शुरू किया. इसमें प्लास्टिक की खाली बोतलों का भी उपयोग लिया गया और इमरजेंसी में मरीजों को राहत दी है. इसके बाद मैंने सामान्य खाली बोतलों के जरिए भी जुगाड़ के रेगुलेटर बनाना शुरू कर दिया. जिनमें घर पर उपयोग आने वाले पाइप भी काम में लिए हैं. साथ ही बाद में आरओ में लगने वाले फिल्टर के जरिए भी जुगाड़ के रेगुलेटर बनाए हैं.

ऑक्सीजन सिलेंडर का रेगुलेटर, Oxygen cylinder regulator
घरेलु चीजों से बनाया ऑक्सीजन सिलेंडर का रेगुलेटर

25 से ज्यादा लोगों की की है मदद

अफरोज ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर 25 से ज्यादा रेगुलेटर तैयार कर दी है. जिनको मरीजों के घर पर जाकर भी लगाया है. साथ ही अफ़रोज़ का कहना है कि उन्होंने ऐसे लोगों की मदद की है. जिनके पास में पैसा नहीं था और इतना महंगा ऑक्सीजन रेगुलेटर और सिलेंडर भी वे नहीं खरीद पा रहे थे. ऐसे में सिलेंडर का जुगाड़ इन्होंने अपने साथियों की मदद से उपलब्ध करा दिए. साथ ही ऑक्सीजन सिलेंडर का रेगुलेटर उन्होंने खुद बनाएं. ताकि उन लोगों की जान बच सके.

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