कोटा. देशभर में एक महीने से लॉकडाउन चल रहा है. इसके चलते फैक्ट्रियों से लेकर सभी जगह उत्पादन बंद है. बिजली की खपत भी काफी कम हो गई है. ऐसे में बिजली घरों में भी बिजली का उत्पादन लगभग बंद जैसा ही है.
कोटा के सुपर थर्मल पावर स्टेशन की बात की जाए तो इसकी क्षमता 1240 मेगा वाट है, लेकिन बिजली की खपत नहीं होने के चलते यहां पर उत्पादन महज क्षमता का 7 फीसदी ही हो रहा है. कोटा थर्मल में एक ही यूनिट संचालित की जा रही है, जिसकी क्षमता 110 मेगावॉट है. लेकिन उससे कम क्षमता से संचालित कर महज 92 मेगावाट बिजली ही उत्पादित की जा रही है.
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केवल दो नंबर इकाई को किया जा रहा है संचालित
थर्मल के चीफ इंजीनियर अजय सक्सेना के अनुसार डिमांड कम होने के कारण यूनिटों को बंद कर दिया गया है. यह कार्य लॉकडाउन के पहले ही हो गया है. इसमें केवल 110 मेगावाट की 2 नंबर यूनिट को ही संचालित किया जा रहा है, जिससे भी पूरी क्षमता से नहीं चलाया जा रहा है. थर्मल की 7 इकाइयों में पहली और दूसरी इकाई 110-110 मेगावाट की है. जबकि तीसरी से लेकर पांचवीं इकाइयों की प्रत्येक की क्षमता 210 मेगावाट है. वहीं छठी और सातवीं यूनिट की क्षमता 195-195 मेगावाट है.
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केवल घरेलू बिजली की मांग
औद्योगिक उत्पादन ठप है, इसके चलते सभी कारखाने बंद हैं. बता दें कि वर्तमान समय में बिजली की खपत केवल घरेलू ही हो रही है. जबकि लॉक डाउन के पहले औद्योगिक सहित व्यापारिक प्रतिष्ठान, बड़े शॉपिंग मॉल, स्कूल और कॉलेज भी खुले हुए थे, जहां पर बिजली की बड़ी मात्रा में खपत होती है. कोटा थर्मल में भी होली के पहले 6 यूनिटों से लगातार उत्पादन किया जा रहा था, जबकि 7 नंबर यूनिट को शटडाउन लेकर मेंटेनेंस के लिए बंद किया हुआ था. कोटा थर्मल चल रही छह यूनिटों से करीब 900 मेगावाट बिजली उत्पादन कर रहा था.
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कम हुई बिजली की खपत
जिला | वर्ष 2018-19 | वर्ष 2019-20 | खपत में कमी |
कोटा | 1019 | 729 | 290 |
बारां | 380 | 328 | 52 |
बूंदी | 376 | 279 | 97 |
झालावाड़ | 473 | 399 | 74 |
कुल | 2248 | 1735 | 513 |
अधिकांश कार्मिक नहीं आ रहे ड्यूटी पर
कोटा थर्मल के अधिकांश कार्मिक घरों पर ही हैं. एक यूनिट का जो संचालन किया जा रहा है, उसके लिए भी रोटेशन बनाकर ड्यूटी थर्मल प्रबंधन लगा रहा है. ऐसे में अधिकांश कार्मिकों जो कि तकनीकी ड्यूटी पर थे, वे घरों पर ही हैं.
कोयले का स्टॉक बढ़कर हुआ 1 महीने का
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कोटा थर्मल के पास जहां पर कोयले का स्टॉक 7 से 10 दिन के बीच का ही रहता था, अब यह कोयले की मात्रा बढ़ कर 1 महीने के आसपास जा चुकी है. सप्लाई फुल चलने के कारण अब कोयले की रैक भी थर्मल नहीं मंगवा रहा है, उस पर भी रोक लगा दी गई है. कोटा थर्मल के पास अभी 4 लाख टन कोयला है. जब थर्मल की सभी यूनिट संचालित होती है, तो 15 हजार टन कोयले की खपत होती थी.
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हाड़ौती में 23 फीसदी कम हो गई खपत
जयपुर डिस्कॉम के कोटा जोन के चीफ इंजीनियर क्षेमराज मीणा के अनुसार लॉकडाउन की अवधि में बिजली की खपत कम हो गई है. उनका कहना है कि हाड़ौती में 23 फीसदी बिजली की खपत पिछले साल से इस साल कम हुई है. इस साल लॉकडाउन के पीरियड में 1735 लाख यूनिट बिजली की खपत कोटा संभाग में हुई है. जबकि पिछले साल इन्हीं दिनों में 2248 लाख यूनिट की खपत थी.