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कोटा: 56 लाख के गबन के 14 साल पुराने मामले में सुनवाई, 4 आरोपियों को 5-5 साल की सजा

राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम (RVPNL) में 14 साल पहले हुए 56 लाख रुपए के गबन के मामले में कोर्ट ने 4 आरोपियों को 5-5 साल की सजा सुनाई है. साथ ही 50-50 हजार रुपए का जुर्मान भी लगाया है.

Rs 56 lakh embezzlement case in Kota,  Kota ACB Court Order
56 लाख रुपए के गबन का मामला
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Published : Feb 17, 2021, 7:45 PM IST

Updated : Feb 17, 2021, 10:38 PM IST

कोटा. भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम कोर्ट ने राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम में 14 साल पहले हुए 56 लाख रुपए के गबन के मामले में बुधवार को फैसला सुनाया. कोर्ट ने मामले में 3 पूर्व अभियंता और ठेका कंपनी के प्रतिनिधि को 5-5 साल की सजा से दंडित किया है. साथ ही आरोपियों पर 50-50 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया है.

56 लाख रुपए के गबन का मामला

पढ़ें- जोधपुर में क्यूआर कोड भेज कर निकाले खाते से 75 हजार रुपए, 3 दिन में दूसरी वारदात

सहायक निदेशक अभियोजन अशोक जोशी ने बताया कि वर्ष 2007 में कोटा एसीबी के एडिशनल एसपी देवेन्द्र शर्मा को शिकायत प्राप्त हुई थी. शिकायत के अनुसार राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम के सवाई माधोपुर जिले के खंडार के जीएसएस निर्माण में अभियंताओं ने अधूरे काम के बाद भी ठेका कंपनी को 56 लाख रुपए का अधिक भुगतान कर दिया.

मिलीभगत कर किया 56 लाख रुपए का अधिक भुगतान

जांच में पाया गया कि तत्कालीन अधिशासी अभियंता आरएस मिश्रा, सहायक अभियंता ओमप्रकाश मीणा और कनिष्ठ अभियंता अशोक दुबे ने मिलीभगत कर दिल्ली की कंपनी यूएवी कंस्ट्रक्शन के प्रतिनिधि संतोष कुमार को अंतिम बिल में 56 लाख रुपए का अधिक भुगतान कर दिया, जबकि कंपनी ने काम किया ही नहीं था.

मामले में वर्ष 2007 में एफआईआर दर्ज की गई थी. इस मामले में बुधवार को एसीबी कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए तत्कालीन एक्सईन आरएस मिश्रा, एईएन ओमप्रकाश मीणा और जेईएन अशोक दुबे और यूएवी कंस्ट्रक्शन के संतोष कुमार को 5-5 साल की सजा सुनाई और 50-50 हजार के आर्थिक दंड से दंडित किया.

वर्तमान में यहां कार्यरत हैं आरोपी...

आरोपियों में ओमप्रकाश मीणा वर्तमान में बीकानेर आरवीपीएनएल में ही सिविल गुणवत्ता नियंत्रण शाखा में कार्यरत है. अशोक दुबे सहायक अभियंता बन गए हैं और वह भी आरवीपीएनएल की सिविल गुणवत्ता नियंत्रण में बाड़मेर में कार्यरत हैं. जबकि तत्कालीन अधिशासी अभियंता रामसेवक मिश्रा सेवानिवृत्त हो चुके हैं.

फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने की टिप्पणी

वहीं, इस फैसले को सुनाते हुए न्यायालय ने टिप्पणी भी की और लिखा कि जनतांत्रिक प्रशासन में किसी भी व्यवस्था को संचालित करने का दायित्व लोकसेवक पर होता है. यदि लोकसेवक भ्रष्ट हो जाए, तो राष्ट्र की जड़ें कमजोर हो जाती है और इसका असर राष्ट्र के विकास पर पड़ता है. लोकसेवक ईमानदारी पूर्वक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें.

एशिया में सबसे ज्यादा भारत में भ्रष्टाचार

इसके अलावा न्यायालय ने फैसले में यह भी लिखा है कि भ्रष्टाचार पर नजर रखने वाली संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने एशिया में भ्रष्टाचार को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है. इसके अनुसार एशिया में सबसे अधिक भ्रष्टाचार भारत में 39 फीसदी है और यहां सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार एक बहुत बड़ी समस्या है. यह महामारी की तरह फैला हुआ है.

पढ़ें- बूंदी: नकली सोना देकर इंदौर से आए एक महिला सहित चार लोगों से मारपीट कर पांच लाख रुपए लूटे, मामला दर्ज

न्यायालय ने अपने फैसले में लिखा कि धीमी व कठिन नौकरशाही की प्रक्रिया, अनावश्यक लालफीताशाही और अस्पष्ट नियम कानूनों के कारण आम जनता को घूसखोरी या व्यक्तिगत संबंधों का सहारा लेना पड़ता है. इससे वर्तमान में समाज में भ्रष्टाचार के मामले में तेजी से बढ़ोतरी हुई है.

कोटा. भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम कोर्ट ने राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम में 14 साल पहले हुए 56 लाख रुपए के गबन के मामले में बुधवार को फैसला सुनाया. कोर्ट ने मामले में 3 पूर्व अभियंता और ठेका कंपनी के प्रतिनिधि को 5-5 साल की सजा से दंडित किया है. साथ ही आरोपियों पर 50-50 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया है.

56 लाख रुपए के गबन का मामला

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सहायक निदेशक अभियोजन अशोक जोशी ने बताया कि वर्ष 2007 में कोटा एसीबी के एडिशनल एसपी देवेन्द्र शर्मा को शिकायत प्राप्त हुई थी. शिकायत के अनुसार राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम के सवाई माधोपुर जिले के खंडार के जीएसएस निर्माण में अभियंताओं ने अधूरे काम के बाद भी ठेका कंपनी को 56 लाख रुपए का अधिक भुगतान कर दिया.

मिलीभगत कर किया 56 लाख रुपए का अधिक भुगतान

जांच में पाया गया कि तत्कालीन अधिशासी अभियंता आरएस मिश्रा, सहायक अभियंता ओमप्रकाश मीणा और कनिष्ठ अभियंता अशोक दुबे ने मिलीभगत कर दिल्ली की कंपनी यूएवी कंस्ट्रक्शन के प्रतिनिधि संतोष कुमार को अंतिम बिल में 56 लाख रुपए का अधिक भुगतान कर दिया, जबकि कंपनी ने काम किया ही नहीं था.

मामले में वर्ष 2007 में एफआईआर दर्ज की गई थी. इस मामले में बुधवार को एसीबी कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए तत्कालीन एक्सईन आरएस मिश्रा, एईएन ओमप्रकाश मीणा और जेईएन अशोक दुबे और यूएवी कंस्ट्रक्शन के संतोष कुमार को 5-5 साल की सजा सुनाई और 50-50 हजार के आर्थिक दंड से दंडित किया.

वर्तमान में यहां कार्यरत हैं आरोपी...

आरोपियों में ओमप्रकाश मीणा वर्तमान में बीकानेर आरवीपीएनएल में ही सिविल गुणवत्ता नियंत्रण शाखा में कार्यरत है. अशोक दुबे सहायक अभियंता बन गए हैं और वह भी आरवीपीएनएल की सिविल गुणवत्ता नियंत्रण में बाड़मेर में कार्यरत हैं. जबकि तत्कालीन अधिशासी अभियंता रामसेवक मिश्रा सेवानिवृत्त हो चुके हैं.

फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने की टिप्पणी

वहीं, इस फैसले को सुनाते हुए न्यायालय ने टिप्पणी भी की और लिखा कि जनतांत्रिक प्रशासन में किसी भी व्यवस्था को संचालित करने का दायित्व लोकसेवक पर होता है. यदि लोकसेवक भ्रष्ट हो जाए, तो राष्ट्र की जड़ें कमजोर हो जाती है और इसका असर राष्ट्र के विकास पर पड़ता है. लोकसेवक ईमानदारी पूर्वक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें.

एशिया में सबसे ज्यादा भारत में भ्रष्टाचार

इसके अलावा न्यायालय ने फैसले में यह भी लिखा है कि भ्रष्टाचार पर नजर रखने वाली संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने एशिया में भ्रष्टाचार को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है. इसके अनुसार एशिया में सबसे अधिक भ्रष्टाचार भारत में 39 फीसदी है और यहां सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार एक बहुत बड़ी समस्या है. यह महामारी की तरह फैला हुआ है.

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न्यायालय ने अपने फैसले में लिखा कि धीमी व कठिन नौकरशाही की प्रक्रिया, अनावश्यक लालफीताशाही और अस्पष्ट नियम कानूनों के कारण आम जनता को घूसखोरी या व्यक्तिगत संबंधों का सहारा लेना पड़ता है. इससे वर्तमान में समाज में भ्रष्टाचार के मामले में तेजी से बढ़ोतरी हुई है.

Last Updated : Feb 17, 2021, 10:38 PM IST
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