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कोटा के जेके लोन अस्पताल में बीते 4 दिनों में 19 बच्चों की मौत....10 डॉक्टर, 20 नर्सिंग स्टाफ नियुक्त

नवजात बच्चों की मौत के लिए कुख्यात हो चुके कोटा के जेके लोन अस्पताल में अब व्यवस्थाएं दुरुस्त करने की भरसक कोशिशें की जा रही हैं. हालांकि तमाम कोशिशों के बावजूद अब तक बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है. फिर भी बेहतर देखभाल के लिए अब 10 डॉक्टरों और 20 नर्सिंग स्टाफ को यहां नियुक्त किया गया है.

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जेकेलोन अस्पताल में लगाए गए 10 चिकित्सक और 20 नर्सेज
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Published : Dec 14, 2020, 8:53 PM IST

Updated : Dec 15, 2020, 5:05 AM IST

कोटा. जेके लोन अस्पताल में मासूम किलकारियों के खामोश होने के बाद अब शिशु रोग विभाग में 5 मेडिकल अफसर, 5 लोकल रेजीडेंट डॉक्टर और 20 नर्सिंग स्टाफ की फौज तैनात कर दी गई है. लापरवाही के दौर में जान गंवा चुके नवजात तो इस कवायद से वापस नहीं लाए जा सकते लेकिन लक्ष्य अब यही है कि दुनिया को देखने से पहले ही बच्चे प्रस्थान न कर जाएं. इसके बावजूद बीते 4 दिनों में इसी अस्पताल में 19 नवजात बच्चों की मौत हो चुकी है.

जेकेलोन अस्पताल में लगाए गए 10 चिकित्सक और 20 नर्सेज

10 डॉक्टर, 20 नर्सिंग स्टाफ नियुक्त

नवजातों की मौत के मामले में सुर्खियों में रहने वाले जेकेलोन अस्पताल में आखिर प्रबंधन ने सुधार शुरू कर दिया है. अस्पताल में शिशु रोग विभाग के अधीन 10 चिकित्सकों को लगाया गया है. साथ ही 20 नर्सेज को भी दूसरी जगह से यहां पर पदस्थापित किया गया है. 9 नर्सिंग कर्मियों को और लगाया जाएगा. अस्पताल के अधीक्षक डॉ. एससी दुलारा का कहना है कि जिन 10 चिकित्सकों को पदस्थापित किया गया है, इनमें प्रिंसिपल मेडिकल कॉलेज डॉ. विजय सरदाना ने पांच लोकल रेजिडेंट लगाए हैं. इसके अलावा शिशु रोग विभाग में 5 मेडिकल ऑफिसर भी तैनात किए गए हैं. ये रामपुरा अस्पताल और सीएमएचओ के अधीन आने वाली पीएससी सीएससी से भेजे गए हैं.

अब स्टाफ की कमी का बहाना नहीं

प्राचार्य डॉ. सरदाना ने मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल और एमबीएस से 9 नर्सिंग कार्मिकों को भेजा था. इन्हें भी शिशु रोग विभाग में लगाया गया है. साथ ही सीएमएचओ डॉ. तंवर ने 20 नर्सिंग कर्मियों को पेरीफेरी से भेजा था. इनमें से 11 ने ज्वाइन कर लिया है. सभी को शिशु रोग विभाग में लगाया गया है. स्टेट की कमेटी ने जो रिव्यू किया है उसमें एक बात ये भी सामने आई थी कि स्टाफ की कमी के चलते ही बार-बार नवजात शिशुओं को चिकित्सक नहीं देख पाते हैं. साथ ही एमसीआई की गाइडलाइन को देखते हुए एफबीएनसी और एनआईसीयू में स्टाफ भी पर्याप्त नहीं था. हंगामे के बाद ही जेकेलोन अस्पताल में राज्य सरकार ने कमेटी गठित की थी, वो भी दौरा करके गई है.

मानवाधिकार आयोग की टीम ने किया दौरा

साथ ही केंद्र सरकार ने भी बच्चों की मौत के कारणों की तलाश के लिए दिल्ली और जोधपुर एम्स सहित अन्य अधिकारियों की एक कमेटी भेजी थी. वो भी दौरा कर मौत के कारणों की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रही है. साथ ही आज मानवाधिकार आयोग की टीम भी जेकेलोन अस्पताल पहुंची थी. उन्होंने मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के साथ जेकेलोन में बैठक की है. साथ ही जिले के प्रशासनिक अधिकारियों और चिकित्सा महकमे के उच्च अधिकारियों के साथ संभागीय आयुक्त कार्यालय में बैठक की थी.

पढ़ें- कोटा: जेके लोन अस्पताल प्रशासन की टूटी नींद, वार्डों की साफ-सफाई में जुटे सफाईकर्मी

बीते 4 दिन में 19 नवजात की मौत, इस साल 927

बीते 4 दिनों की बात की जाए तो 19 नवजात शिशुओं की मौत जेकेलोन अस्पताल में हुई है. 10 दिसंबर के अकेले दिन में ही 12 नवजात शिशुओं की मौत हुई थी, जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी के भी प्रतिनिधि मंडल ने यहां पर दौरा किया था. पूरे दिसंबर के माह में अब तक 40 नवजात शिशु की मौत हो चुकी है. वहीं, पूरे साल में अब तक 927 शिशु उपचार के दौरान मृत हो चुके हैं. पिछले साल भी 48 घंटे में 10 नवजातों की मौत हुई थी. जिसके बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया था और पूरे देश भर में ये मुद्दा छा गया था.

कोटा. जेके लोन अस्पताल में मासूम किलकारियों के खामोश होने के बाद अब शिशु रोग विभाग में 5 मेडिकल अफसर, 5 लोकल रेजीडेंट डॉक्टर और 20 नर्सिंग स्टाफ की फौज तैनात कर दी गई है. लापरवाही के दौर में जान गंवा चुके नवजात तो इस कवायद से वापस नहीं लाए जा सकते लेकिन लक्ष्य अब यही है कि दुनिया को देखने से पहले ही बच्चे प्रस्थान न कर जाएं. इसके बावजूद बीते 4 दिनों में इसी अस्पताल में 19 नवजात बच्चों की मौत हो चुकी है.

जेकेलोन अस्पताल में लगाए गए 10 चिकित्सक और 20 नर्सेज

10 डॉक्टर, 20 नर्सिंग स्टाफ नियुक्त

नवजातों की मौत के मामले में सुर्खियों में रहने वाले जेकेलोन अस्पताल में आखिर प्रबंधन ने सुधार शुरू कर दिया है. अस्पताल में शिशु रोग विभाग के अधीन 10 चिकित्सकों को लगाया गया है. साथ ही 20 नर्सेज को भी दूसरी जगह से यहां पर पदस्थापित किया गया है. 9 नर्सिंग कर्मियों को और लगाया जाएगा. अस्पताल के अधीक्षक डॉ. एससी दुलारा का कहना है कि जिन 10 चिकित्सकों को पदस्थापित किया गया है, इनमें प्रिंसिपल मेडिकल कॉलेज डॉ. विजय सरदाना ने पांच लोकल रेजिडेंट लगाए हैं. इसके अलावा शिशु रोग विभाग में 5 मेडिकल ऑफिसर भी तैनात किए गए हैं. ये रामपुरा अस्पताल और सीएमएचओ के अधीन आने वाली पीएससी सीएससी से भेजे गए हैं.

अब स्टाफ की कमी का बहाना नहीं

प्राचार्य डॉ. सरदाना ने मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल और एमबीएस से 9 नर्सिंग कार्मिकों को भेजा था. इन्हें भी शिशु रोग विभाग में लगाया गया है. साथ ही सीएमएचओ डॉ. तंवर ने 20 नर्सिंग कर्मियों को पेरीफेरी से भेजा था. इनमें से 11 ने ज्वाइन कर लिया है. सभी को शिशु रोग विभाग में लगाया गया है. स्टेट की कमेटी ने जो रिव्यू किया है उसमें एक बात ये भी सामने आई थी कि स्टाफ की कमी के चलते ही बार-बार नवजात शिशुओं को चिकित्सक नहीं देख पाते हैं. साथ ही एमसीआई की गाइडलाइन को देखते हुए एफबीएनसी और एनआईसीयू में स्टाफ भी पर्याप्त नहीं था. हंगामे के बाद ही जेकेलोन अस्पताल में राज्य सरकार ने कमेटी गठित की थी, वो भी दौरा करके गई है.

मानवाधिकार आयोग की टीम ने किया दौरा

साथ ही केंद्र सरकार ने भी बच्चों की मौत के कारणों की तलाश के लिए दिल्ली और जोधपुर एम्स सहित अन्य अधिकारियों की एक कमेटी भेजी थी. वो भी दौरा कर मौत के कारणों की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रही है. साथ ही आज मानवाधिकार आयोग की टीम भी जेकेलोन अस्पताल पहुंची थी. उन्होंने मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के साथ जेकेलोन में बैठक की है. साथ ही जिले के प्रशासनिक अधिकारियों और चिकित्सा महकमे के उच्च अधिकारियों के साथ संभागीय आयुक्त कार्यालय में बैठक की थी.

पढ़ें- कोटा: जेके लोन अस्पताल प्रशासन की टूटी नींद, वार्डों की साफ-सफाई में जुटे सफाईकर्मी

बीते 4 दिन में 19 नवजात की मौत, इस साल 927

बीते 4 दिनों की बात की जाए तो 19 नवजात शिशुओं की मौत जेकेलोन अस्पताल में हुई है. 10 दिसंबर के अकेले दिन में ही 12 नवजात शिशुओं की मौत हुई थी, जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी के भी प्रतिनिधि मंडल ने यहां पर दौरा किया था. पूरे दिसंबर के माह में अब तक 40 नवजात शिशु की मौत हो चुकी है. वहीं, पूरे साल में अब तक 927 शिशु उपचार के दौरान मृत हो चुके हैं. पिछले साल भी 48 घंटे में 10 नवजातों की मौत हुई थी. जिसके बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया था और पूरे देश भर में ये मुद्दा छा गया था.

Last Updated : Dec 15, 2020, 5:05 AM IST
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