जोधपुर. एम्स जोधपुर के सर्जिकल ऑंकोलॉजी विभाग में अत्याधुनिक HIPEC (हाइपरथर्मिक इन्ट्रापेरिटोनेल कीमोथेरेपी) मशीन से पेट में फैले हुए कैंसर के दो मरीजों का सफलतापूर्वक इलाज किया. सर्जिकल ऑंकोलॉजी विभाग में सह आचार्य डॉ जीवनराम विश्नोई ने बताया कि 42 वर्षीय महिला के अंडाशय (Ovary) का कैंसर बड़ी आंत सहित भीतरी अंगों में फैला गया था, जिन्हें निकाला (Ovary cancer treated by HIPEC Machine) गया.
इस प्रकार के ऑपरेशन को साइटोरेडक्टिव सर्जरी (cytoreductive surgery) कहा जाता है. इसके बाद वहां फैले कैंसर का उपचार cisplatin नामक कीमोथेरेपी की दवा से शुरू किया गया. यह दवा HIPEC मशीन से 42 डिग्री तापमान पर लगातार गर्म करते हुए 90 मिनट तक पूरे पेट में प्रवाहित किया गया. इस तरह की पूरी सर्जरी में टीम को 10 घंटे का समय लगा.
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एम्स के निदेशक डॉ संजीव मिश्रा के अनुसार पेट में फैले हुए ओवेरियन, अपेंडिक्स व बड़ी आंत के कैंसर के लिए ये तकनीक बहुत कारगर है. सामान्यतः ये कैंसर पेट के आसपास के अन्य अंगो में व पेट के अंदर की झिल्ली (पेरिटोनियम) में फैल जाता है. इस प्रकार के कैंसर रक्त से अन्य अंगो में जाने की संभावना कम रहती है. इसलिए इस प्रकार के एडवांस्ड कैंसर को साइटोरेडक्टिव सर्जरी करके पूर्णतया निकालना जरुरी होता है. इसके पश्चात HIPEC मशीन से कीमोथेरेपी की दवा को 42 डिग्री तापमान पर गर्म करके लगातार पेट में ट्यूब्स से प्रवाहित किया जाता है. इससे पेट में मौजूद कैंसर के सूक्ष्मकण पर 42 डिग्री का तापमान व कीमोथेरपी की दवा दोनों ही प्रभावशाली साबित होते हैं.
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सीधे पेट में देना कारगर: डॉ जीवनराम विश्नोई के अनुसार कीमोथेरेपी की दवाइयां भी खून की नसों के बजाय सीधी पेट में देने का फायदा यह होता है कि इससे पूरे शरीर में इसके साइड इफेक्ट्स नहीं होते हैं. साथ ही जहां पेट में ही सर्वाधिक मात्रा की आवश्यकता होती है, वहीं इसको सीधी दी जा सकती है. डॉ विश्नोई ने बताया कि इस अत्याधुनिक तकनीक से सफलतापूर्वक इलाज का श्रेय संस्थान निदेशक डॉ संजीव मिश्रा को जाता है.
इस ऑपरेशन में डॉ विश्नोई के साथ में डॉ निवेदिता शर्मा (सहायक आचार्य), डॉ धर्माराम पूनिया (सहायक आचार्य), डॉ राहुल यादव, डॉ राजेंदर, डॉ मोहित, डॉ अरविन्द, डॉ नेहा (रेजिडेंट), इबा खरनीयोर, धर्मवीर, तीजो चौधरी, रमेश (नर्सिंग ऑफिसर) शामिल थे. एनस्थेसिया टीम में प्रोफेसर प्रदीप भाटिया के नेतृत्व में डॉ प्रियंका सेठी (सहायक आचार्य), डॉ दीपक, डॉ बालाकृष्ण, डॉ पूजा (रेजिडेंट) आदि ने सहयोग किया.