जोधपुर. अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर जोधपुर के महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश शोध केंद्र और बाबा रामदेव शोध पीठ राजस्थानी विभाग जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर की ओर से विश्व मायड़ भाषा दिवस के उपलक्ष में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस संगोष्ठी में राजस्थानी भाषा जिसे मायड़ भाषा कहा जाता है, उसकी प्राथमिक शिक्षा में क्या मान्यता है, उस बारे में चर्चा की गई.
इस दौरान मुख्य अतिथि के तौर पर हाईकोर्ट के न्यायाधीश पुष्पेंद्र सिंह भाटी जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के कुलपति और मनीता कवि अर आलोचक डॉक्टर आईदान सिंह भाटी उपस्थित रहे. संगोष्ठी के निदेशक डॉक्टर गजे सिंह राजपुरोहित ने बताया कि राजस्थानी भाषा की मान्यता को लेकर लगभग 18 साल से प्रयास चल रहे हैं, राज्य सरकार की ओर से राजस्थानी भाषा को प्राथमिक शिक्षा में सम्मिलित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से अब तक इस संबंध में मंजूरी नहीं मिली है.
उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में जारी की गई नई शिक्षा नीति के अनुसार भी मायड़ भाषा को प्राथमिक शिक्षा में सम्मिलित करने के लिए कहा गया है, लेकिन राजस्थान में पढ़ रहे बच्चों की विषयों में राजस्थानी भाषा को अभी तक सम्मिलित नहीं किया गया है. इसी मायड़ भाषा को प्राथमिक शिक्षा में लाने के संदर्भ में इस संगोष्ठी के जरिए प्रयास किया गया.
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कार्यक्रम के संयोजक ने बताया कि इस संगोष्ठी में राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलवाने और प्राथमिक शिक्षा में लाने के संदर्भ में महिलाएं युवा भी सामने आए हैं. साथ ही वे अपने राजस्थान की संस्कृति को प्राथमिक शिक्षा के जरिए बच्चों से रूबरू करवाने का भी प्रयास कर रहे हैं.