जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश फरजंद अली ने एक विविध फौजदारी याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायिक मजिस्ट्रेट पश्चिम भीलवाड़ा से स्पष्टीकरण मांगा (Rajasthan High Court seeks clarification from Bhilwara west judicial magistrate) है.
याचिकाकर्ता दिपिका नन्दावत ने अधिवक्ता राकेश अरोड़ा के जरिए याचिका पेश कर बताया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 156 के तहत एक परिवाद न्यायिक मजिस्ट्रेट पश्चिम भीलवाड़ा के समक्ष करीब डेढ़ साल पूर्व पेश किया था. परिवाद में जो आरोप लगाए गए थे, उससे जो अपराध बनना पाया जाता है, वह संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है.
अधिवक्ता ने तर्क दिया कि धारा 156 के तहत मजिस्ट्रेट को परिवाद तुरंत सम्बंधित पुलिस थाने में कार्यवाही के लिए प्रेषित किया जाना चाहिए था. लेकिन करीब डेढ़ साल से परिवाद पर मजिस्ट्रेट ने कोई प्रभावी आदेश पारित नहीं किया है. परिवाद को इतने लम्बे समय तक मजिस्ट्रेट को अपने पास रखना, न केवल सुप्रीम कोर्ट द्वारा ललिता कुमार बनाम स्टेट ऑफ उत्तर प्रदेश में पारित निर्णय में प्रतिवादित सिद्धांतो के विपरीत है बल्कि अवमानना की श्रेणी में भी आता है.
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न्यायालय ने प्रारम्भिक सुनवाई के बाद परिवाद को इतने लम्बे समय तक बिना किसी वजह अपने पास रखने और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की पालना नहीं करने पर न्यायिक मजिस्ट्रेट पश्चिम भीलवाड़ा से अगली सुनवाई पर स्पष्टीकरण मांगा है.