जोधपुर. प्रदेश सरकार भले ही पूरे देश में इस बात के लिए अपनी पीठ थपथपाती है कि राजस्थान में कोरोना उपचार की सबसे अच्छी व्यवस्थाएं हैं. लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह नगर में हालात कैसे हैं, इसको लेकर राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएसन के अध्यक्ष रणजीत जोशी ने राज्य मानवाधिकार आयोग में जो परिवाद दायर किया है उससे साफ हो जाते हैं.
जोशी ने आरोप लगाया कि निजी अस्पताल कोरोना उपचार के नाम पर लाखों रुपए के बिल बनाकर लोगों को लूट रहे हैं. कोई भी जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहा है. जोधपुर का एम्स सिर्फ सिफारिश के आधार पर ही मरीजों को भर्ती कर रहा है. जोशी ने आमजन को लेकर कई मुद्दों के साथ परिवाद पेश किया था, जिसके बाद राज्य मानवाधिकार आयोग एक्शन में आया.
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गुरुवार को राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस महेश शर्मा ने एक आदेश पारित करते हुए जोधपुर के संभागीय आयुक्त समीर शर्मा को निर्देश दिए कि वो एक कमेटी बनाकर निजी व सरकारी अस्पतालों का दौरा करें और जमीनी हालात की रिपोर्ट पेश करें. आयोग के अध्यक्ष ने अस्पतालों में व्यवस्थाओं को सुधारने के भी निर्देश दिए जिससे की की कोरोना संक्रमितों की जान बचाई जा सके.
राजस्थान मानवाधिकार आयोग के आदेश की पालना के लिए रजिस्ट्रार उम्मीद जोशी शुक्रवार को जोधपुर पहुंचे. उन्होंने संभागीय आयुक्त के साथ परिवादी रणजीत जोशी वह आयोग के निर्देशित किए गए लोगों के साथ बैठक की. रजिस्ट्रार ने बताया कि कलेक्टर ने आश्वस्त किया है कि राज्य सरकार के निर्देश पर निजी अस्पतालों को पाबंद किया जाएगा. जोशी ने बताया कि रविवार को वे शहर के सभी अस्पतालों का दौरा करेंगे अगर कहीं कोई अनियमितता पाई जाती है तो महामारी अधिनियम के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.