जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से वन विभाग में उच्च अधिकारी से लेकर निचले स्तर तक के कर्मचारी की वर्तमान स्थिती को लेकर आंकड़ें पेश करने के निर्देश जारी किए हैं. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महंती व न्यायाधीश दिनेश मेहता की खंडपीठ ने अधिवक्ता एवं याचिकाकर्ता रितुराज सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पूरे राजस्थान के आंकड़ें पेश करने के निर्देश देते हुए आठ मार्च को अगली सुनवाई मुकरर्र की है.
याचिकाकर्ता की ओर से एक जनहित याचिका पेश कर बताया गया कि वन विभाग के पास संसाधनों का अभाव है जबकि राज्य सरकार पर्यटन के जरिए लाखों रुपए कमा रहा है. याचिका में बताया गया कि मारवाड़ के जंगल जिसमें रावली टाडगढ़ वन्य जीव अभ्यारण एवं कुम्भलगढ़ वन्य जीव अभ्यारण में टाइगर बसाने का प्रोजेक्ट है. जबकि वन विभाग के पास तीन से पांच गुणा तक संसाधन कम हैं. करीब एक हजार वर्ग किलोमीटर जंगल में 13 वन रेंज है. जिसमें संसाधनों की बात करें तो राजस्थान वन पॉलिसी के अनुसार प्रत्येक रेंज में एक गाड़ी व तीन मोटरसाइकिल होनी चाहिएं लेकिन 4 जीपे हैं वहीं 14 मोटर साइकिल हैं. जिसमें कुछ तो बहुत पुरानी हो चुकी हैं.
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याचिका में 8 फुल बॉडी प्रोटेक्शन सूट की उपलब्धता बताई गई है. जबकि प्रत्येक रेंज पर कम से कम 2 की जरूरत भी मान कर चलें तो 26 फुल बॉडी प्रोटेक्शन सूट की जरूरत है. पूरे अभ्यारण में एक भी ट्रेंकुलाइजिंग गन उपलब्ध नहीं है. टाइगर रिजर्व में वन्यजीव गणना के लिए 4 वर्ग किलोमीटर के हिसाब से एक कैमरा ट्रैप लगाया जाता है, कुंभलगढ़ एवं टॉडगढ़ वन्य जीव अभ्यारण के क्षेत्र को देखते हुए यहां पर कम से कम 250 से 300 trap कैमरों की जरूरत है. जबकि उपलब्धता केवल 26 कैमरों की है.
याचिकाकर्ता ने बताया कि कमाई की बात करें तो साल 2016 में रणथम्भौर अभ्यारण में 25 करोड़ रुपए के टिकट बेचे गए थे. हाईकोर्ट ने अतिरिक्त महाधिवक्ता संदीप शाह से पूरे राजस्थान में वन विभाग मे स्वीकृत पदों के अनुपात में कितने वन कर्मचारी एवं अधिकारी काम कर रहे हैं एवं निचले पद के वन कर्मचारी से लेकर उच्चतम पद पर कितने कार्मिकों की कमी है की सूची मांगी है और अगली सुनवाई 8 मार्च को रखी है.
गैरमुमकिन भूमि रास्ते के निर्माण को चुनौती
राजस्थान हाईकोर्ट ने नागौर के लाडनूं के पास गैरमुमकिन भूमि पर कुछ लोगों द्वारा बनाये जा रहे रास्ते के निर्माण को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को जवाब के लिए समय दिया है. वही अधिवक्ता डॉ. सचिन आचार्य को इस याचिका में न्यायमित्र नियुक्त किया गया है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महंती की खंडपीठ के समक्ष रामनिवास की ओर से पेश जनहित याचिका की सुनवाई हुई
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता सुनील बेनीवाल ने जवाब के लिए समय चाहा जिस पर न्यायालय ने एक मार्च तक समय दिया. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आरएस चौधरी ने याचिका पेश कर बताया कि लाडनूं के गांव निम्बी जोधा में खसरा नम्बर 1014 व 1015 भूमि जो कि गैरमुमकिन गोचर भूमि है वहां पर कुछ माइनिंग लीज भी है. माइनिंग लीज के लोगों ने वहां से रास्ता निकाल दिया है. वहीं कुछ लोगों की ओर से अतिक्रमण का भी प्रयास किया जा रहा है. इस पर पूर्व में नोटिस जारी किए गए थे.