जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक याचिकाकर्ता को अधिवक्ता के कक्ष में जाकर धमकाने एवं मोबाइल छीनने के मामले को गंभीरता से लेते हुए आरोपी कांस्टेबल को सस्पेंड कर दिया है. कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक भीलवाड़ा को निर्देश दिये हैं कि कांस्टेबल चन्द्रपाल सिंह को निलंबित कर उसकी जांच करने के साथ अगली सुनवाई पर रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष पेश की जाए.
वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता व न्यायाधीश मनोज कुमार गर्ग की खंडपीठ के समक्ष मंगलवार को कविश नाथ की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई थी. सुनवाई के दौरान युवती को भी न्यायालय में पेश किया लेकिन उसे दबाव में देखते हुए कोर्ट ने नारी निकेतन भेजने का आदेश दिया ताकि वह भय मुक्त होकर अपने बयान दे सके.
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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सिकंदर खान ने अदालत को बताया था कि युवक जोगी सम्प्रदाय से है जबकि युवती राजपुत समाज से है. दोनो ने प्रेम विवाह किया था. उसके बाद अदालत से सुरक्षा के लिए गुहार लगाई थी. पुलिस ने अदालत के आदेश के बावजूद युवती को पकड़ कर उसके परिजनों के सुपुर्द कर दिया था. इसी दौरान युवक जब बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के लिए जोधपुर में अधिवक्ता के कार्यालय पर पहुंचा तो वहां पर भीलवाड़ा के करेरा थाने में कार्यरत कांस्टेबल चन्द्रपाल सिंह भी जोधपुर आया हुआ था.
उसे जब भनक लगी तो वह अधिवक्ता के कार्यालय पहुंचा और वहां पर याचिकाकर्ता को धमकाया. उसका मोबाइल छीनकर उसका डेटा डिलीट कर दिया. यहां तक कि न्यायालय के आदेश के बावजूद पुलिस सुरक्षा देने की बजाय पोकरण में कांस्टेबल ने युवती को उसके परिजनों के हवाले कर दिया.
उच्च न्यायालय ने इसे गंभीरता से लेते हुए भीलवाड़ा पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिये हैं कि कांस्टेबल के खिलाफ कारवाई शुरू कर उसकी रिपोर्ट अगली सुनवाई पर न्यायालय के समक्ष पेश करें. इस दौरान कांस्टेबल को निलंबित रखा जाए. मामले में अगली सुनवाई 16 जुलाई को होगी.