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संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी के विरुद्ध HC ने मांगी तथ्यात्मक रिपोर्ट...अगली सुनवाई 2021 में मुकर्रर

राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड के विरुद्ध पेश याचिका में न्यायाधीश मनोज गर्ग की अदालत ने तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करने के निर्देश देते हुए जनवरी 2021 में अगली सुनवाई मुकरर्र की है.

Rajasthan High Court, Sanjeevani Credit Co-operative Society case
संजीवनी क्रेडिट कॉ-ऑपरेटिव सोसायटी के विरुद्ध राजस्थान उच्च न्यायालय ने मांगी फैक्च्यूल रिपोर्ट
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Published : Dec 23, 2020, 3:08 PM IST

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड के विरुद्ध पेश याचिका में न्यायाधीश मनोज गर्ग की अदालत ने तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करने के निर्देश देते हुए जनवरी 2021 में अगली सुनवाई मुकरर्र की है.

याचिकाकर्ता नरेंद्र सिंह राठौड़ की ओर से अधिवक्ता पीडी दवे ने याचिका पेश कर बताया कि नरेंद्र सिंह द्वारा संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव द्वारा 1,00,000 /- रुपये की एफडी दिनांक 20.01.2017 को करवायी, जिसकी कुल परिपक्वता राशि 1,50,000/- रुपये थी. एफडी के संबंध में संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड के कर्मचारियों व एजेन्टों द्वारा याचि से संपर्क कर, अत्यधिक धन लाभ होने का भरोसा व विश्वास जताकर, एफडी करवायी. जब उसे ज्ञात हुआ कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड में करोड़ो-अरबों रुपयों का घोटाला हुआ है, तब इस संबंध में शाखा में बातचीत की, लेकिन राशि नहीं लौटाई.

तत्पश्चात पुलिस कमिश्नर जोधपुर को परिवाद देने पर भी एफआईआर दर्ज नहीं की गयी, तब परिवादी ने महानगर न्यायिक मजिस्ट्रेट (व.ख) संख्या-3, जोधपुर के समक्ष परिवाद अंतर्गत धारा 406, 420, 467, 468, 469, 470, 471, 506 व 120 बी आईपीसी के तहत विक्रम सिंह शाखा प्रबंधक, मुख्य प्रबंधक, डायरेक्टर, संस्थापक सदस्य सहित अन्य के विरुद्ध प्रस्तुत किया, जिसे न्यायालय द्वारा 156(3) crpc मे महामंदिर थाना में भिजवा दिया गया, जिसके 61 दिन गुजरने के उपरांत दिनांक 19.10.20 को पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज की गई. एफआईआर दर्ज होने के बावजूद पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई ना करने पर राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर में अपराधिक एकल पीठ विविध याचिका प्रस्तुत की गई.

पढ़ें- संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी घोटाले में जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह और उनकी पत्नी को नोटिस

याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड के प्रभाव में पुलिस स्वतंत्र व निष्पक्ष अनुसंधान नहीं कर रही है, न ही उनके विरुद्ध कोई कानूनी कार्रवाई कर रही है, न ही अनुसंधान कर रही है, न ही जांच रिपोर्ट अधिनस्थ न्यायालय में प्रस्तुत कर रही है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दवे का पक्ष सुनकर राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा तथ्यात्मक रिपोर्ट मंगवाने का आदेश पारित कर, आगामी सुनवाई जनवरी 2021 मे नियत की है.

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड के विरुद्ध पेश याचिका में न्यायाधीश मनोज गर्ग की अदालत ने तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करने के निर्देश देते हुए जनवरी 2021 में अगली सुनवाई मुकरर्र की है.

याचिकाकर्ता नरेंद्र सिंह राठौड़ की ओर से अधिवक्ता पीडी दवे ने याचिका पेश कर बताया कि नरेंद्र सिंह द्वारा संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव द्वारा 1,00,000 /- रुपये की एफडी दिनांक 20.01.2017 को करवायी, जिसकी कुल परिपक्वता राशि 1,50,000/- रुपये थी. एफडी के संबंध में संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड के कर्मचारियों व एजेन्टों द्वारा याचि से संपर्क कर, अत्यधिक धन लाभ होने का भरोसा व विश्वास जताकर, एफडी करवायी. जब उसे ज्ञात हुआ कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड में करोड़ो-अरबों रुपयों का घोटाला हुआ है, तब इस संबंध में शाखा में बातचीत की, लेकिन राशि नहीं लौटाई.

तत्पश्चात पुलिस कमिश्नर जोधपुर को परिवाद देने पर भी एफआईआर दर्ज नहीं की गयी, तब परिवादी ने महानगर न्यायिक मजिस्ट्रेट (व.ख) संख्या-3, जोधपुर के समक्ष परिवाद अंतर्गत धारा 406, 420, 467, 468, 469, 470, 471, 506 व 120 बी आईपीसी के तहत विक्रम सिंह शाखा प्रबंधक, मुख्य प्रबंधक, डायरेक्टर, संस्थापक सदस्य सहित अन्य के विरुद्ध प्रस्तुत किया, जिसे न्यायालय द्वारा 156(3) crpc मे महामंदिर थाना में भिजवा दिया गया, जिसके 61 दिन गुजरने के उपरांत दिनांक 19.10.20 को पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज की गई. एफआईआर दर्ज होने के बावजूद पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई ना करने पर राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर में अपराधिक एकल पीठ विविध याचिका प्रस्तुत की गई.

पढ़ें- संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी घोटाले में जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह और उनकी पत्नी को नोटिस

याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी लिमिटेड के प्रभाव में पुलिस स्वतंत्र व निष्पक्ष अनुसंधान नहीं कर रही है, न ही उनके विरुद्ध कोई कानूनी कार्रवाई कर रही है, न ही अनुसंधान कर रही है, न ही जांच रिपोर्ट अधिनस्थ न्यायालय में प्रस्तुत कर रही है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दवे का पक्ष सुनकर राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा तथ्यात्मक रिपोर्ट मंगवाने का आदेश पारित कर, आगामी सुनवाई जनवरी 2021 मे नियत की है.

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